ग्रेटर नोएडा : आईआईटी दिल्ली के प्रो. एसके साहा ने कहा कि बच्चों में शोध संबंधित गतिविधि प्रारंभिक शिक्षा से ही प्रारंभ कर देनी चाहिए। देश में प्रयोगात्मक ज्ञान के अभाव में केवल 20 फीसद व्यवसायिक डिग्रीधारी छात्र ही सफल हो पाते हैं। प्रो. एसके साहा यहां आईईसी कॉलेज में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार ज्ञानोदय-2023 को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।

उनका कहना है कि छात्रों को रोबोटिक्स, ड्रोन तथा अत्याधुनिक तकनीकों में ज्ञान अर्जित करके प्रयोगात्मक समस्याओं के समाधान पर शोध करनी चाहिए। इस दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में देश तथा विदेश के विभिन्न शोधार्थी 100 से अधिक इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट तथा फाम्रेसी क्षेत्र में शोध पत्र प्रस्तुत कर रहे हैं। सभी शोधकर्ता अपनी शोध को विशेषज्ञों के समक्ष प्रस्तुत कर छात्रों को लाभांवित कर रहे हैं।

कार्यक्रम के दौरान इस बात पर जोर दिया गया कि उच्च शिक्षण संस्थानों द्वारा छात्रों तथा शिक्षकों को रिसर्च का माहौल तथा साधन उपलब्ध कराकर देश के विकास में सहयोग करने से ही देश की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रगाति संभव है। कार्यक्रम में प्रो. पीके शर्मा, प्रो. डॉ. भगवान सिंह, प्रो. डॉ. आरएन प्रजापति प्रो. डॉ. पीएम लूथरा, प्रो. नन्हें सिंह, प्रो. संदीप शुक्ला व विवेक गोयल आदि ने शिक्षकों तथा छात्रों से नए अन्वेषण के क्षेत्र में कार्य करने की सलाह दी। इस अवसर पर संस्थान के निदेशक प्रो. सुनील कुमार, प्रो. भानु प्रताप  सिंह, शरद माहेरी आदि मौजूद रहे।