Noida Supertech Twin Tower Demolition: आज अभी ठीक 2:30 बजे नोएडा के सुपरटेक ट्विन टावर हमेशा के लिए मिट्टी में मिल गए। करीब 100 मीटर ऊँची इन इमारतों को गिराने में मात्र 9 सेकेण्ड का वक्त लगा। ट्विन टावर को गिराने का ठेका मुंबई की कंपनी एडिफिस इंजीनियरिंग को दिया गया। कम्पनी का कहना था उन्होंने आज तक इतनी ऊँची बिल्डिंग कभी नहीं गिराई, जिसके बाद उन्होंने इसके लिए साउथ अफ्रीका की कंपनी JET डेमोलाशन प्राइवेट लिमिटेड को अपना पार्टनर बनाया। और आज करीब 37000 किलो विस्फोटक से इस इमारत को द्वस्त किया।
इन टावरों को क्यों गिराया गया और इन्हें खड़ा करने में कितनी लागत लगी है आज हम आपको इसके बारे में विस्तृत जानकारी देते हैं।
क्या है सुपरटेक ट्विन टावर की कहानी?
मामला लगभग 17-18 साल पुराना है। दरसल नोएडा अथॉरिटी ने 23 नवंबर 2004 को सुपरटेक कंपनी को नोएडा के सेक्टर-93 A में सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट (ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी) के लिए जमीन आवंटित की थी। जिस पर सुपरटेक को 14 टावर और एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बनाना था। सभी टावर की ऊंचाई जमीन से 9 फ्लोर तय की गई। सुपरटेक ने एमराल्ड कोर्ट (Emerald Court) नाम से हाउसिंग सोसाइटी बनाना शुरू किया। इसके बाद 29 दिसंबर 2006 को नोएडा अथॉरिटी ने ग्रुप हाउसिंग सोसायटी के प्रोजेक्ट में पहला संशोधन किया और दो मंजिल और बनाने का नक्शा पास किया। जिसके तहत 14 टावर मिलाकर ग्राउंड फ्लोर के अलावा 9 मंजिल की जगह 11 मंजिल बनाने का नक्शा पास हो गया।
इसके बाद टावर 15 का भी नक्शा पास किया गया। इसके बाद नोएडा अथॉरिटी ने टावर 16 का नक्शा पास किया जिसके तहत अब कुल 16 टावर के लिए 11 मंजिल की इजाजत दी गई और इसकी ऊंचाई 37 मीटर की गई। फ्लैट्स के खरीदारों को बताया गया कि सोसाइटी के ठीक सामने ग्रीन बेल्ट होगा। हरियाली होगी। इस वादे से फ्लैट्स की बुकिंग बढ़ गई। नक्शे के हिसाब से आज जहां पर 32 मंजिला ट्विन टावर (एपेक्स और सियान) खड़े हैं वहां पर ग्रीन पार्क दिखाया गया था। इसके साथ ही यहां पर एक छोटी इमारत बनाने का भी प्रावधान किया गया था। और 2008-09 में इस प्रोजेक्ट को कंप्लीशन सर्टिफिकेट भी मिल गया।
यहां तक भी सब कुछ ठीक ठाक था लेकिन इसी बीच साल 2009 में सुपरटेक ने नोएडा विकास प्राधिकरण के साथ सांठगांठ कर सोसाइटी के सामने जो नक्शे के हिसाब से ग्रीन बेल्ट थी उस जगह पर दो विशालकाय टावर T-16 (एपेक्स) और T-17 (सियान) खड़ा करने शुरू कर दिए। इन्ही को ही ट्विन टावर के नाम से जाना जाता है। इसके लिए बिल्डर ने फिर नोएडा अथॉरिटी से सांठगाँठ की और 26 नवंबर 2009 को नोएडा अथॉरिटी ने इसमें दूसरा संशोधन करते हुए टावर नंबर 17 का नक्शा पास किया। जिसमें टावर नंबर 16 और 17 पर 24 मंजिल निर्माण का नक्शा बनाया गया। और इसकी ऊंचाई 73 मीटर तय कर दी गई। नोएडा अथॉरिटी यहीं नहीं रुकी और 2 मार्च 2012 को एक फिर से टावर के नक्शे में तीसरा संशोधन किया गया। जिसमें टावर नंबर 16 और 17 के लिए एफएआर और बढ़ा दिया गया। जिसके तहत इन दोनों टावर की ऊंचाई 40 मंजिल तक करने की इजाजत दे दी गई और ऊंचाई 121 मीटर तय की गई।
इसके बाद होम बायर्स का सब्र टूट गया। दरसल जिन लोगों ने ग्रीन बेल्ट को देखकर फ्लैट बुक किया था। अब उनके सामने हरियाली की जगह दो बड़े-बड़े टावर खड़े थे। ये एक तरह से ठगी थी। स्थानीय रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने पहले इसका विरोध किया। और बिल्डर से नक्शा माँगा। बिल्डर द्वारा नक्शा नहीं दिए जाने के बाद होम बायर्स ने नोएडा प्राधिकरण से नक्शा माँगा, परन्तु वहां से भी निराशा मिलने के बाद लोगों ने कानूनी लड़ाई लड़ने की ठानी। मामला पहले स्थानीय अदालत और 2012 में इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचा। करीब डेढ़ साल की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने 11 अप्रैल 2014 को ट्विन टावर ध्वस्त करने का फैसला सुनाया। इस फैसले की आंच नोएडा विकास प्राधिकरण के अधिकारियों तक भी पहुंची। मजेदार बात ये है कि मामला जब हाईकोर्ट पहुंचा था तब ट्विन टावर सिर्फ 13 फ्लोर ही बना था। लेकिन सुपरटेक ने डेढ़ साल के भीतर 32 फ्लोर का निर्माण कार्य पूरा कर लिया।
हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। सात साल की लंबी सुनवाई के बाद 31 अगस्त 2021 को उच्चतम अदालत ने भी टावर को गिराने का आदेश सुनाया। तब से लेकर अब तक अलग-अलग कारणों से ध्वस्तीकरण की तारीख टलते-टलते आख़िरकार आज 28 अगस्त 2022 को विवादास्पद इमारत मिट्टी में मिल गयी है।
ट्विन टावर बनाने में कितना खर्च लगा?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुपरटेक ने 950 फ्लैट्स वाले ट्विन टावर को बनाने में करीब 300 करोड़ रुपये खर्च किया है। फ्लैट्स का करेंट मार्केट वैल्यू करीब 800 करोड़ रुपये है और पूरे ट्विन टावर का टोटल मार्केट वैल्यू 1000 करोड़ से ज्यादा है।
ट्विन टावर गिराने में कितने करोड़ का नुकसान?
ट्विन टावर्स को गिराने में करीब 20 करोड रुपए का खर्च आने का अनुमान है। ये खर्च भी सुपरटेक को उठाना होगा। जिसमें से सुपरटेक लगभग 5 करोड़ रुपये का भुगतान करेगी। जबकि शेष 15 करोड़ की राशि मलबे को बेचकर प्राप्त की जाएगी। जिसमें 4,000 टन स्टील और लगभग 55,000 टन आयरन निकलने की संभावना है। इसके अलावा इमारतों को गिराने के लिए जिम्मेदार कंपनी एडिफिस इंजीनियरिंग ने आसपास के क्षेत्र में किसी भी हानि के लिए 100 करोड़ रुपये का बीमा कवर भी लिया है।
देखें वीडियो: कैसे चंद सेकंडों में मलबे के ढेर में बदल गए नोएडा के ट्विन टावर