श्रीनगर गढ़वाल: उत्तराखण्ड कि दिवंगत महान विभूति, सैर्या गढ़वाळि लोक साहित्य तैं पैली बार इकबटोळ यानि संग्रै कैरिक वे तैं लिपिबद्ध(डाक्यूमंटेशन) कन्न मा अपणो भगीरथ योगदान द्येण वळा, भाषाविद अर हिन्दी मा नाट्यालोचना क्षेत्र का जण्या-मण्या साहित्यकार “डॉ. गोविन्द चातक” जी कि जयन्ती पर “आखर” समिति (श्रीनगर गढ़वाल) द्वारा “नगर पालिका परिषद सभागार” मा एक भव्य कार्यक्रम कैरिक “चातक” जी तैं श्रद्धांजलि दिये ग्ये अर गढ़वाळि भाषा साहित्य, लोक साहित्य मा समग्र अवदान का वास्ता प्रख्यात साहित्यकार/ हिन्दी विभागाध्यक्ष (पं. ललित मोहन शर्मा स्नातकोत्तर महाविद्यालय, ऋषिकेश) डॉ. नन्दकिशोर ढौंडियाल ‘अरुण’ जी तैं पैलु “डॉ.गोविन्द चातक स्मृति आखर साहित्य सम्मान” दिये ग्ये। सम्मान का दगड़ा 11,000 (ग्यारह हजार रुप्या) कि नकद राशि डॉ. गोविन्द चातक जी का परिवार वळों/सुपुत्रों मुख्य रूप से संजय वर्धन कण्डारी जी कि तर्फां बटि दिए ग्ये।
य धनराशि सम्मानित होण वळा सरल, सहृय, डॉ. गोविन्द चातक जी का हिट्यां बाटा पर हिटण वळा प्रख्यात साहित्यकार डॉ. नन्दकिशोर ढौंडियाल “अरुण” जीन् “आखर समिति” का विकास अर अगन्या काम कन्नौ वास्ता “आखर” तैं भेंट करि द्ये। य आखर का वास्ता बि भौत सम्मानजनक बात छ।
पिछला साल 19 दिसम्बर 2017 बटि “आखर समिति” डॉ. गोविन्द चातक जी कि जयन्ती पर कार्यक्रम आयोजित कन्नी छ। कार्यक्रम मा वक्ताओंन लोक साहित्य मा डॉ. गोविन्द चातक जीक् योगदान पर विस्तार से अपणि- अपणि बात राखि। डॉ. गोविन्द चातक जी का जीवन पर्बि चर्चा ह्वे।
कार्यक्रम कि शुर्वात अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन, डा. गोविन्द चातक जी का चित्र पर माल्यार्पण/पुष्पांजलि अर “आखर” कि महिला सदस्यों द्वारा माँगळ गायन से ह्वे। मांगळ से पैलि डॉ.नन्दकिशोर ढौंढ़ियाल जीन् “जौ भ्वर्यां पाथा मा रख्यूं द्यू” बाळि। श्री मुकेश काला जीन् स्वागत भाषण से अतिथियों कु स्वागत करी। रेखा चमोली जीन् “आखर समिति” को परिचय सब्यूं का लामणि राखि। श्रीमती राधा मैंदोली जीन् डॉ.गोविन्द चातक जीक् जीवन परिचय बांचि। प्रभाकर बाबुलकर जीन् सम्मान पत्र पढ़ि।
ये कार्यक्रम मा मंचासीन मुख्य अतिथि का रूप मा हे.न.ब. केन्द्रीय विश्व विद्यालय कि माननीय कुलपति प्रो.अन्नपूर्णा नौटियाल जीन् बोलि कि – लोक साहित्य मा डॉ.चातक जीन भौत बड़ो काम करि। डॉ0 चातक जीक लोककथौं मि लोक द्यिखेंद, भले हि वु हिन्दी मा लिखीं होवुन। वूं कि जयन्ती का अवसर पर वूं पर केन्द्रित “आखर“ समिति द्वारा जो कार्यक्रम आयोजित कर्ये ग्ये वु सराहनीय च। कार्यक्रम अध्यक्ष का रूप मा वरिष्ठ साहित्यकार/ इतिहासकार डॉ. शिव प्रसाद नैथानी जीन् बोलि कि- आखर कि य पहल भौत बड़ी पहल छ कि वूंन डॉ.गोविन्द चातक जी जनि विभूति पर कार्यक्रम उर्यायि । डॉ.गोविन्द चातक जी अर वूं का काम तैं याद कन्न जरूरी छ।
वक्ता अर मंचासीन अतिथि का रूप मा आकाशवाणी कि पूर्व संगीत निदेशिका अर प्रसिद्ध लोक संस्कृतिकर्मी डॉ. माधुरी बड़थ्वाल जीन बोलि कि – डॉ. चातक जीन गौं -गौं जै कि /घूमिक, औजी, धामी, जागरी, बद्दी भै-बन्धौं दगड़ा बैठिक जागर, लोकगीत आदि रिकार्ड करींन, इकबटोळ कर्यीं। डॉ.चातक जीक काम अतुलनीय च।
लोक साहित्य विशेषग्य अर राष्ट्रीय संस्कृत महाविद्यालय, देवप्रयाग का सहायक प्रो. डॉ. वीरेन्द्र सिंह बर्त्वाल जीन् बोलि कि- डॉ. चातक जी कु काम अतुलनीय छ।
प्रसिद्ध शिक्षाविद, समालोचक डॉ.अरुण कुकसाल जीन बोलि कि – डॉ0 गोविन्द चातक जी लोकगीत इकबटोळ यानि संग्रै नि कर्दा त क्या होंदु ? वूंन विस्तार से डॉ.गोविन्द चातक जी अर वूं का काम पर विस्तार से बात राखि।
आखर का अध्यक्ष संदीप रावतन् डॉ.गोविन्द चातक स्मृति आखर साहित्य सम्मान से सम्मानित होण वळा पैला साहित्यकार गढ़ रत्न डॉ.नन्दकिशोर ढौंडियाल “अरुण” जी कु जीवन परिचय अर वूं को गढ़वाळि भाषा -साहित्य मा समग्र योगदान, साहित्यिक -सामाजिक अवदान सब्यूं का सामणि बांचि।
ये मौका पर डॉ.गोविन्द चातक जी का नाति( डॉ.गोविन्द चातक जीक सुपुत्री श्रीमती सुजाता कण्डारी विष्ट जीक सुपुत्र) श्री सौरभ विष्ट जी अर जॉ.चातक जी का समधि अयां छा। सौरभ बिष्ट जीन् ये कार्यक्रम का आयोजन मा बड़ी भूमिका निभै। कार्यक्रम मा मीडिया जगत का दगड़ा-दगड़ा श्रीनगरै संभ्रांत जनता मौजूद छै। प्रसिद्ध रंगकर्मी सर्व श्री विमल बहुगुणा जी ,प्रो.रामानन्द गैरोला जी, अनिल स्वामी जी ,सत्यजीत खण्डूड़ी जी, डॉ. प्रदीप अंथवाल जी, डा.राकेश भट्ट जी, समाजसेवी राजीव विश्नोई जी , विभोर बहुगुणा जी ,श्रीमती गंगा असनोड़ा जी , घण्टाकर्ण द्यवता का रावल श्री दिनेश प्रसाद जोशी जी , कैप्टेन सते सिंह भण्डारी जी ,सुरेन्दर सिंह रावत जी ,सुधीर भट्ट जी, डा.मनोरमा ढौंजियाल जी ,कमल रावत जी, श्रीकृष्ण उनियाल जी ,आशुतोष बहुगुणा जी ,धनवीर विष्ट जी ,आखर कि टीम का दगड़ा हौरि भौत लोग छा ।
कार्यक्रमौ संचालन आखर समिति कि संरक्षक मण्डल कि श्रीमती उमा घिल्डियाल जीन् करी ।ये कार्यक्रमौ मुख्य उद्देश्य उत्तराखण्ड कि दिंवगत महान विभूति डॉ.गोविन्द चातक जी कि जयन्ती मनौण अर गढ़वाळि भाषा – लोक साहित्य मा वूं का योगदान से सब्यूं से परिचित करौण का दगड़ा जु यख वरिष्ठ साहित्यकार छन, वूं तैं सब्यूं से परिचित करवौण का दगड़ा सम्मानित कन्न बि छ। इन विभूति तैं याद कन्न जरूरी छौ अर खासतौर से वीं जगा मा, जैं भूमि दगड़ा दगड़ा वूं को सम्बंध छौ। मुकेश काला, प्रभाकर बाबुलकर अर अंजना घिल्डियाल, गीतेश नेगीन् ये कार्यक्रम मा सक्रिय भूमिका निभै।