women forest guards in uttarakhand

देहरादून : वन प्रबंधन में स्थानीय लोगों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने उद्देश्य से 10000 वन प्रहरीओं को तत्काल प्रभाव से तैनात किया जा रहा है। इन वन प्रहरियों में से 5000 महिला वन प्रहरियों की सहभागिता सुनिश्चित करने का फ़ैसला लिया गया है।

  • फील्ड लेवल तक पर्याप्त बजट और उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित हो।
  • फायरलाईन की माॅनिटरिंग के लिए ड्रोन सर्वे किया जाए।
  • स्थानीय लोगों के हक हकूक का समय से वितरण किया जाए

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने सचिवालय में आयोजित बैठक में वनाग्नि प्रबंधन की तैयारियों की समीक्षा की। वन और जन की दूरी कम करने के लिए तथा वन प्रबंधन में स्थानीय लोगों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने उद्देश्य से 10000 वन प्रहरीओं को तत्काल प्रभाव से तैनात किया जा रहा है ।उत्तराखंड में महिलाओं काआर्थिक सुदृढ़ीकरण करने तथा वनाग्नि प्रबन्धन में महिलाओं का अभूतपूर्व योगदान को दृष्टिगत रखते हुए इन 10000 वन प्रहरियों में से 5000 महिला वन प्रहरियों की सहभागिता सुनिश्चित करने का फ़ैसला लिया गया है।

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने सचिवालय में वनाग्नि प्रबंधन की बैठक लेते हुए कैम्पा में स्वीकृत धनराशि को तत्काल फील्ड लेवल तक उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि वनाग्नि शमन के दौरान मृतक कार्मिकों और स्थानीय नागरिकों के परिवारों को अनुग्रह राशि अविलम्ब उपलब्ध कराई जाएं। वन कर्मियों को वनाग्नि शमन के लिए जरूरी सभी उपकरणों की व्यवस्था सुनिश्चित हो फायरलाईन की माॅनिटरिंग के लिए ड्रोन सर्वे कराया जाए। आपदा प्रबंधन विभाग को वनाग्नि शमन के लिए हेलीकाप्टर की भी व्यवस्था रखने के निर्देश दिए।fire in uttarakhand forest

सचिवालय में आयोजित बैठक में वनाग्नि प्रबंधन की तैयारियों की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वन पंचायतों और स्थानीय लोगों की सहभागिता बहुत जरूरी है। स्थानीय लोगों के हक हकूक का समय से वितरण किया जाए। वन, पुलिस,राजस्व व अन्य संबंधित विभागों में पूरा समन्वय हो। जिलाधिकारी नियमित रूप से वनाग्नि प्रबंधन की समीक्षा करें और ये सुनिश्चित करें कि आवश्यक मानव संसाधन, उपकरण आदि उपलब्ध हों। यदि कोई समस्या हो तो शासन को अवगत कराएं। वनाग्नि प्रबंधन संबंधी कार्यों में 5 हजार महिलाओं की सक्रिय भागीदारी की योजना बनाई जाए। फोरेस्ट फायर कन्जरवेंसी सिस्टम को विकसित कर आमजन में व्यापक प्रचार प्रसार किया जाए।

मुख्यमंत्री ने वनाग्नि प्रबंधन के लिए की गई तैयारियों के संबंध में वीडियो कान्फ्रेंसिंग द्वारा जिलाधिकारियों से भी जानकारी ली। उन्होंने कहा कि जानबूझकर आग लगाने वालों को चिन्हित किया जाए। वनाग्नि के कारण जो भी क्षति होती है, उसमें आपदा के मानकों के अनुसार तत्काल राहत राशि प्रदान की जाए। पिरूल एकत्रण का भुगतान समय से हो। इसके लिए प्रभावी मैकेनिज्म बना लिया जाए।

बैठक में बताया गया कि प्रतिवर्ष लगभग 36 हजार हैक्टेयर वन क्षेत्र में वनाग्नि शमन के लिए जरूरी नियंत्रित दाहन किया जाता है। लगभग 2700 किमी फायर लाईनों का रखरखाव किया जाता है। स्थानीय निवासियों से प्रतिवर्ष लगभग 7000 फायर वाचर अग्निकाल में लगाए जाते हैं। 40 मास्टर कंट्रोल रूम, 1317 कू्र स्टेशन और 174 वाच टावर स्थापित हैं। जिला फायर समितियों की बैठक कर ली गई हैं।

बैठक में मुख्य सचिव ओमप्रकाश, प्रमुख सचिव आनंदबर्द्धन, सचिव अमित नेगी, नीतेश झा, प्रमुख वन संरक्षक राजीव भरतरी, सहित वन विभाग के अधिकारी, मंडलायुक्त और जिलाधिकारी उपस्थित थे।