धारी की रामलीला : राज्य स्थापना की 21वीं वर्षगाँठ पर मंगलवार को गढ़वाल की प्रसिद्ध धारी रामलीला मंचन के दौरान उत्तराखंड राज्य निर्माण में सहादत देने वाले राज्य आंदोलनकारियों को मंच के माध्यम से श्रद्धाजिल दी गई।
उल्लेखनीय है कि पौड़ी गढ़वाल के कल्जीखाल विकासखण्ड की पश्चिमी मनियारस्यूं पट्टी के धारी गांव की रामलीला अपने आप में गढ़वाल की सबसे प्रसिद्ध रामलीलाओं में से एक है। 87वर्ष पुरानी इस रामलीला की शुरुआत वर्ष 1935 में हुई थी। रामलीला मंचन के निर्देशक दलवीर सिंह रावत ने बताया कि धारी रामलीला का मंचन सन 1935 से लगातार हो रहा हैं। इस दौरान अब तक यहाँ केवल दो बार रामलीला मंचन नहीं हो पाया। एक बार सं 1994 में उत्तराखण्ड राज्य की मांग के दौरान रामलीला मंचन नही हुयी थी। उस समय रामलीला मंचन के स्थान पर सात दिवसीय यज्ञ का आयोजन किया गया था। और उसके बाद पिछले वर्ष 2020 में कोरोना कॉल में धारी में रामलीला का मंचन नही हो पाया था, केवल यज्ञ और पाठ का आयोजन किया गया। दलवीर रावत बताते है कि पिछले डेढ दशक से अब यहाँ रामलीला का मंचन दिन में यानी सुबह 10 बजे से सायं 5 बजे तक होता है।
उन्होंने बताया कि वर्ष 1935 में खुले खेत में छिल्लों की रोशनी के साथ शुरू हुआ रामलीला मंचन आज आधुनिक प्रकाश व्यवस्था व कम्प्यूटराइज्ड साउंड सिष्टम तक पहुंच चुका हैं। साथ ही अब मंचन इंडोर ऑडिटोरियम में होने लगा हैं। इतना ही नही इस मंचन में एक साथ तीन दृश्य देखे जा सकते है। पिछले डेढ़ दशक से यहां रामलीला का मंचन दिन में होता है। जिसमें बुर्जुग महिलाएं, बच्चे बड़ी संख्या में आसानी से इस मंचन को देखने पहुंच रहे है। इंडोर ऑडिटोरियम के समीप वाहनों के लिए पार्किंग व्यवस्था बनी हुई है।
मंलवार को प्रथम दिवस रामलीला मंचन में श्रवण लीला एवं रावण के कैलाश पर्वत हिलाने के दृश्य ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया। मंचन का शुभारंभ ग्राम प्रधान धारी मदन सिंह रावत ने किया। वही विशिष्ट अतिथि के तौर पर कैप्टन (रि0) नरेन्द्र सिंह नेगी, ग्राम प्रधान थनुल रहे। उनके साथ क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता जगमोहन डांगी, माध्यमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष जयदीप रावत, वरिष्ठ पत्रकार पलायन एक चितंन के सचिव अजय रावत, समाजिक कार्यकर्ता जसवीर रावत, मंचन व्यवस्थापक सोबन सिंह रावत, रोशन सिंह रावत, सुदर्शन सिंह रावत, सुमित रावत आदि मौजूद रहे। मंचन का संचालन सोहन सिंह रावत ने किया।
जगमोहन डांगी