ऋषिकेश: देवभूमि उत्तराखण्ड के नीलकंठ महादेव में पिछले दो दिनों में शिवभक्तों का रैला उमड़ पड़ा है। हजारों की संख्या में दुपहिया वाहनों पर नीलकंठ पहुंची कांवड़ उत्तराखण्ड पुलिस के लिए मुसीबत बन गई है। नीलकंठ में पार्किंग के लिए रत्तीभर जगह भी नहीं बची है। सड़क पर कांवड़ वाहनों का रैला होने के कारण यात्री वाहनों की आवाजाही भी लगभग ठप्प पड़ गई है। हजारों की संख्या में कावंडियों को जल चढाने के लिए लगभग 80 किलोमीटर का सफर पैदल तय करना पड़ रहा है।
नीलकंठ महादेव में नौ अगस्त तक जल चढना है। नीलकंठ में जल चढाने के लिए उत्तर प्रदेश, पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड के साथ ही बिहार, राजस्थान, गुजरात से भी भारी संख्या में कांवड पहुंच रही है। पुलिस रिकार्ड के अनुसार हरिद्वार में 27 जुलाई से 6 अगस्त तक लगभग एक करोड से अधिक कावंडिये जल उठा कर अपने गणतव्यों को निकल चुके हैं। इस आंकडे़ में से लाखों कांवड़ हर रोज नीलकंठ पंहुच रही है। सोमवार को सात लाख से अधिक कावडियों जल ने चढाया। अब हालत ऐसे हो गए हैं कि व्यवस्था में जुटी पुलिस को गरूडचटृटी पर ऋषिकेश से ही गेट सिस्टम लागू करना पड़ रहा है। कांवडियों को रोक कर एक-एक घंटे अंतराल में नीलकंठ के लिए भेजा जा रहा है। आज मंगलवार को भी उत्तराखण्ड में सुबह से ही बारिश हो रही है।
चार दिन से पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों में हो रही बारिश से गंगा नदी का जलस्तर खतरे के निशान 293 मीटर को पार कर चुका है। अब तक चार कांवडियों के गंगा में बहने की सूचना मिली है। जलस्तर बढ़ने से गंगा नदी के आसपास के गांवों-शहरों पर खतरा मंडराने लगा है। मंगलवार को सुबह से बारिश के चलते उत्तराखण्ड में बाढ के आसार बढ गए हैं। राज्य सरकार ने आपदा प्रबंधन के साथ ही एसडीआरएफ, एनडीआरआफ, सिविल पुलिस के साथ ही सामाजिक संगठनों को भी सतर्क रहने को कहा है। उल्लेखनीय है कि रविवार को गंगा में डूब कर रायसी निवासी राजकुमार का 20 वर्षीय पुत्र सुमित और उसका दोस्त अतुल नीलकंठ जा रहे थे। दोनों रविवार रात आठ बजे के लगभग ऋषिकेश के रामझूला के निकट गंगा में नहा रहे थे। इसी दौरान दोनों गंगा की तेज धारा के साथ बह गए। मंगलवार को भी हरिद्वार में दो कांवडिए बह गए थे। गंगा में विपरीत परिस्थयों के बावजूद जल पुलिस ने इन दोनों को बचा लिया।