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कल्जीखाल: पौड़ी गढ़वाल के बणेलस्यूं पट्टी स्थित पौराणिक डांडा नागराजा मंदिर में प्रत्येक वर्ष बैसाखी के दूसरे दिन लगने वाला ऐतिहासिक कंडार मेला इस वर्ष आगामी 15 अप्रैल को आयोजित किया जा रहा है। पौड़ी शहर से करीब 40 किलोमीटर दूर अदवानी-बगानीखाल मार्ग पर स्थित डांडा नागराजा के नाम से विख्यात भगवान कृष्ण (नागराज देवता) का यह पौराणिक मंदिर आस्था और विश्वास का केंद्र है।

करीब 140 वर्ष पुराने ऐतिहासिक डांडा नागराजा मंदिर के बारे में मान्यता है कि 140 साल पहले स्थानीय लसेरा गाँव में गुमाल जाति के पास एक दुधारू गाय थी। जो अन्य डंगरों के साथ डांडा (पहाड़) घास चरने जाती थी। और वहाँ एक पत्थर को हर रोज़ अपने दूध से नलहाती थी। इस वजह से गाय के मालिक को उसका दूध नहीं मिल पाता था। इस बात से परेशान मालिक ने एक दिन गुस्से में आकर गाय पर ऊपर कुल्हाड़ी से वार कर दिया। परन्तु सयोंग से उसका वार गाय को न लगकर सीधे उस पत्थर पर जा लगा जिसे वह गाय अपने दूध से नहलाती थी। कुल्हाड़ी लगते ही पत्थर दो भागों में टूट गया और इसका एक भाग आज भी डांडा नागराजा मंदिर में मौजूद है। इस क्रूर घटना के बाद गुमाल जाती पूरी तरह से समाप्त हो गई।

काफल, बांज और बुरांश के घने पेड़ो से घिरा डांडा नागराजा मंदिर तीर्थालुओं के लिए आस्था के साथ-साथ आकर्षण का भी केंद्र है। मंदिर के ठीक सामने सुदूर हिमालय में हिमाछदित पर्वत मालाएं तथा दूसरी ओर पवित्र घाटी ब्यासाश्रम एवं मां गंगा, नयारनदी की संगम स्थली के मनमोहक दर्शन होते है। पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण पौड़ी शहर से नजदीक काफल, बांज और बुरांश के घने वृक्षों के बीच स्थापित सिद्धपीठ श्री डांडा नागराजा की इस पवित्र स्थली को सरकारी उपेक्षा का दंश झेलना पड़ रहा हैं। क्षेत्रीय विधायक एवं पर्यटन मंत्री, स्थानीय होने बावजूद भी यह पवित्र धाम आज भी उपेक्षा का दंश जेल रहा हैं। प्रसाशन एवं जनप्रतिनिधियो ने इस धार्मिक स्थल पर अपेक्षा के अनुरूप इस ओर ध्यान नही दिया. हालांकि यहाँ  हमेशा देश-विदेश से भारी संख्या में श्रद्धालुओं का आगमन होता रहता हैं।danda-nageraja-mandir-kandar

मंदिर परिसर में जो भी विकास हुआ उसमे अधिकतर मंदिर के प्रति आस्था रखने वालों भक्तो ने किया है। इस वर्ष 15 अप्रैल को मेले के सफल आयोजन के लिए मंदिर समिति के अध्यक्ष शशिकांत चमोली की अध्यक्षता में बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें मेला स्थल में यातायात व्यवस्था एवं शांति व्यवस्था के लिए समिति द्वारा मंदिर जिला प्रसाशन को ज्ञापन दिया गया। हालांकि मंदिर में सबसे बडी समस्या पेयजल की होती थी। लेकिन हाल में ब्यासचट्टी पम्पिंग योजना का पानी मंदिर में पहुच चुका हैं। जिससे श्रद्धालुओं एवं स्थानीय गांवो को इसका लाभ मिल रहा हैं। बैठक में सचिव देवेन्द्र कुकरेती, बीरेंद्र प्रसाद भट्ट, राजेंद्र प्रसाद बिजल्वाण, पुजारी किशोर देशवाल, विनोद देशवाल आदि लोग मौजूद रहे। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी मेले के शुभारम्भ पर उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध लोक गायक मुकेश कठैत एवं टीम द्वारा भजन गए जायेंगे।

मुख्य पुजारी किशोर देशवाल एवं मंदिर समिति अध्यक्ष शशिकांत चमोली से बातचीत पर आधारित जगमोहन डांगी की विशेष रिपोर्ट।

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