chamola

श्रीनगर गढ़वाल : जनपद रुद्रप्रयाग ग्राम कौशलपुर के निवासी रा.इ.का. सुमाडी में हिन्दी अध्यापक के पद पर कार्यरत अखिलेश चन्द्र चमोला विगत क्ई वर्षोँ से अपना बेहतर परीक्षा परिणाम देने के साथ ही छात्रों में भारतीय संस्कृति के बीजरोपित करने के लिए प्रेरणा दायिनी साहित्य का सृजन कर रहे हैं। चमोला का कहना है कि वर्तमान परिदृश्य में जिस तरह से आम जनमानस पाश्चात्य संस्कृति की ओर आकृष्ट दिखाई दे रहा है। उस प्रभाव से युवा वर्ग भी अक्षूता नहीं है। इस समस्या के समाधान के लिए उन्हें दिव्य महापुरुषोँ के महत्वपूर्ण प्रेरक प्रसँगोँ से परिचित करना बहुत ही जरुरी है। बच्चे अनुकरण करके उन्हें अपने जीवन में उतारने का प्रयास करते हैं। चमोला द्वारा लिखे हुए प्ररेक प्रसंग विभिन्न पत्र पत्रिकाओँ तथा राष्ट्रीय सँकलनो में प्रकाशित हो चुके हैं। अभी तक चमोला द्वारा साहित्य का सृजन इस प्रकार से किया गया है 1. नैतिक बोध कथायेँ 2. शैक्षिक नवाचार एवम क्रियात्मक शोध 3. कपिला, साझा संकलन कृपालू, समर्पण, गँगोत्री, आकाश गंगा, कोमल, साहित्यायन, दीपशिखा, भारतीय संस्कृति तथा नैतिक ऊर्जा के आयाम, साहित्य संकलन पुष्पान्जलि, प्रकाशनाधीन, महापुरुषोँ के अनमोल विचार, डमरु धार्मिक पत्रिका, सम्पादन का कार्य, नगर पालिका परिषद् श्रीनगर गढवाल द्वारा स्मारिका में निरन्तर तीन वर्षोँ से सम्पादक का कार्य, पाइनल कौल में साहित्यिक सम्पादक का कार्य। इस तरह से दर्जनोँ साहित्य का सृजन करके अपनी अद्भुत लेखनी से समाज में एक अनूठी मिसाल कायम करने का अतुलनीय व सराहनीय कार्य कर रहे हैं।

भावी पीढी के सन्दर्भ में इनके प्रयासों का मूल्यांकन इस सन्दर्भ में भी किया जा सकता है कि इनके द्वारा लॉकडाऊन की अवधि में शैक्षिक नवाचार एवम क्रियात्मक शोध नामक पुस्तक लिखी गई। पुस्तक प्रकाशित होने पर स्वय विद्यालयोँ मे जाकर छात्रों को निशुल्क वितरित करने का अतुलनीय कार्य किया जा रहा है। यही नहीं निरन्तर 22 वर्षोँ से उत्तराखंड बोर्ड परीक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण छात्राओं को अपने निजी खर्चे पर सम्मानित करने का भी कार्य कर रहे हैं। युवा पीढ़ी नशे से दूर रहे, इसके लिए नशा उन्मूलन कार्यक्रम आयोजित करके प्रतिज्ञा पत्र भरकर नशा न करने का सँकल्प पत्र भी भरते हैं। इनकी इस तरह की अनूठी मुहिम को देख कर के शिक्षा विभाग जनपद पौडी गढवाल ने इन्हें नशा उन्मूलन प्रभारी  का भी दायित्व दिया है। जिसमें चमोला द्वारा लिखी गई नशा उन्मूलन प्रतिज्ञा का भी सप्ताह में एक दिन प्रार्थना सभा में सस्वर वाचन किया जाता है। चमोला के इस तरह के विशिष्ट और अनुकरणीय कार्योँ की जानकारी होने पर इनसे सम्पर्क स्थापित किया गया। जिसमें इन्होने बताया कि मेरा प्रयास है कि कि जैसे उत्तराखंड को देवभूमि, तपोभूमि, पुण्य भूमि के नाम से जाना जाता है। इसकी सार्थकता को बनाये रखने के लिए भावी पीढी को संस्कारवान बनाया जाना बहुत ही जरुरी है। यही हमारी बहुमूल्य धरोहर है। इनके समुचित सँस्कारोँ से ही सुसंस्कृत समाज का निर्माण किया जा सकता है। चमोला विद्यार्थी जीवन से ही बडे संयमी तथा प्रतिभा शाली छात्र के रूप में रहे हैं। कला निष्णात दर्शन शास्त्र में सर्वोच्च अँक प्राप्त करने पर केन्द्रीय विश्व विद्यालय श्रीनगर द्वारा इन्हें स्वर्ण पदक के सम्मान से अँलकृत किया। शिक्षा के क्षेत्र में नये क्षितिज स्थापित करने पर इन्हें मुख्यमंत्री सम्मान, आदर्श उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान, शिक्षाश्री सम्मान, राज्य पाल पुरस्कार सम्मान, शिक्षक साहित्य कार सम्मान, इन्टरनेशनल एजुकेशन अवार्ड, से सम्मानित किया गया। प्रेरणा दायिनी साहित्य का सृजन का मूल्यांकन करने पर इन्हें विभिन्न राष्ट्रीय सँस्थाओँ तथा विद्या पीठ के द्वारा विद्या वाचस्पति, हिमालय हिन्दुस्तान गौरव, साहित्य वाचस्पति, विद्या सागर, साहित्य सागर, दीपशिखा सम्मान, जयशकर प्रसाद स्मृति सम्मान, काव्य कुमुद सम्मान, दुष्यन्त स्मृति सम्मान, काव्य कुमुद सम्मान, राष्ट्रीय काव्य कौस्तुभ विदश्री, साहित्य महोपाध्याय, साहित्य वारिधि, साहित्य जगत के स्वर्ण स्तम्भ, माखन लाल चतुर्वेदी सम्मान, दिव्य तूलिका सम्मान, भारत गौरव रत्न सम्मान, जिलाधिकारी रजत प्लेट, साहित्य जगत के शिलालेख, आदि अनेकोँ सम्मानोपाधियोँ से सम्मानित किया गया। ज्योतिष तथा प्राच्यविद्या के प्रचार प्रसार मे उल्लेख नीय योगदान पर ज्योतिष सम्मान, ज्योतिष रत्न, ज्योतिष महर्षि, ज्योतिष भारत रत्न, ज्योतिष समाधान शिरोमणि, डॉ. ऑफ ऐस्ट़ोलाजी आदि अनेकोँ उपाधियोँ से विभूषित हो चुके हैं। चमोला का मानना है कि इन सब पुरस्कारों से भी सबसे बड़ा पुरस्कार मेरे लिए भावी पीढी है। उनका जीवन आदर्श बन जाय वही सबसे बड़ी उपलब्धि है।