जम्मू कश्मीर के बांदीपुरा में आंतकवादियों से लोहा लेते हुए उत्तराखण्ड के रुद्रप्रयाग जिले के कविल्ठा गांव का वीर सपूत मानवेन्द्र रावत शहीद हो गया। मानवेन्द्र के शहीद होने की खबर पहुंचते ही उनके गांव सहित पूरा इलाके में मातम फैल गया। शहीद मानवेन्द्र का पार्थिव शरीर शुक्रवार या शनिवार तक गांव पहंचने की उम्मीद है। जहां उनके पैत्रिक घाट पर उनको सैन्य सम्मान के साथ अन्तिम विदाई दी जायेगी। जानकारी के अनुसार गुरुवार सुबह जम्मू कश्मीर के बांदीपुरा में भारतीय सेना और आतंकवादियों के बीच जबरदस्त मुठभेड़ हुई। भारतीय सेना को खबर मिली थी कि सीमा पार से कुछ आतंकी घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे हैं। जिसे देखते हुए भारतीय सेना ने वहां जवानों की एक टोली आतंकियों को खत्म करने के लिए भेजी। इसीबीच दोनों तरफ से अंधाधुंध फायरिंग होने लगी। मानवेन्द्र एवं उनके साथियों ने दो आतंकवादियों को ढ़ेर कर दिया। लेकिन इसी दौरान मानवेन्द्र पर भी गोली लग गई। जिससे वह बुरी तरह घायल हो गए, और अंत मे आतंकियों से लड़ते हुए देश के लिए शहीद हो गये।
ऊखीमठ ब्लॉक के कालीमठ घाटी के कविल्ठा निवासी नरेन्द्र सिंह रावत एवं कमला देवी के दो लड़के तथा पांच लडकियां हैं। शहीद मानवेन्द्र की दो बड़ी बहिनें तथा तीन छोटी बहिनें एवं एक भाई है। वे 2007 में सेना में भर्ती हुए थे तथा उनकी अभी हाल में ही जम्मू कश्मीर में तैनाती हुई थी। शहीद की पांच वर्ष की एक पुत्री तथा ढ़ाई वर्ष का एक बेटा है जो कि देहरादून में रहते हैं। मानवेन्द्र के शहीद होने की खबर मिलते ही उनके घर में मातम छाया है। उनकी पत्नी का रो-रो कर बुरा हाल है। उन्हें भी देहरादून से गाँव लाया जा रहा है।