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अनेकों रहस्मयी कथाओं को अपने आप में समेटे हुए बेतालघाट “नकुवा बूबू” की घाटी पर पहली बार बेतालेश्वर कौतिक (मेले) में भव्य रंगारंग प्रोग्राम का आयोजन किया गया। बेतालघाट महोत्सव मे मुख्य अतिथि संजय शर्मा (अधिवक्ता दिल्ली उच्च न्यायालय) एवं उनकी टीम का भव्य स्वागत किया गया।

उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड की संस्कृति, बोली-भाषा, रीति-रिवाज, उत्तराखंड के लघु उद्योगों, रोजगार  को बढ़ावा, उत्तराखंड की कृषि को बढ़ावा, उत्तराखंड की स्वस्थ व्यवस्था को ठीक करने,  उत्तराखंड की शिक्षा को बढ़ावा देने तथा उत्तराखंड से पलायन को रोकने के लिये नई पहल नई सोच के तहत संजय शर्मा के माध्यम से भी निरंतर प्रयास कर रहे हैं। betal-ghati-nakua-bubu

बेतालघाट महोत्सव के पहले दिन महिलाओं ने कोसी नदीं के किनारे बने बेतालेश्वर (नकुवा बूबू) मंदिर से भव्य कलशयात्रा निकाली। इस कलश यात्रा एवं ततपश्चात सांस्कृतिक कार्यक्रम को देखने के लिए भारी जनसैलाब उमड़ा हुआ था।

बेताल “नकुवा बूबू” की कहानी का रहस्य

नैनीताल जनपद का बेतालघाट क्षेत्र अनेक रहस्मयी कथाओं को अपने आप में समेटे हुए है। नैनीताल से करीब 55 किलोमीटर दूर बेतालेश्वर घाटी में पतित पावनी कौशिश गंगा (कोसी) नदी के पावन तट पर नकुआ बूबू का चमत्कारिक दरबार स्थित है। कोसी नदीं के किनारे बना बेतालेश्वर (नकुवा बूबू) मंदिर करीब 150 साल पुराना है।

विक्रम बेताल की कहानी बेताल पच्चीसी तो सभी ने सुनी होगी। जिसमे बेताल एक पिशाच होता है जो श्मशान में उल्टा लटका रहता है परन्तु दुनिया में एक ऐसी जगह भी है जहाँ बेताल की पूजा की जताई है जी हाँ नैनीताल जनपद के अंतर्गत बेतालघाट क्षेत्र में बेताल का एक भव्य बेतालेश्वर मंदिर है। जहाँ बेताल की पूजा “नकुआ बुबु” के रूप में की जाती है। इसके पीछे कहानी है कि कि पौराणिक समय में बेताल यहां के बच्चों के साथ दिन में खेलता था और रात होते ही एक बच्चे को उठा कर ले जाता था। इस बात से परेशान होकर स्थानीय लोगों ने देवताओं का आवाहन किया। जिस पर बेताल प्रकट होकर बोला कि में क्षेत्राधिपति बेताल हूं,  अगर मेरी स्थापना शिव मंदिर के पास कर देंगे तो यह सब बंद हो जाएगा। लोगों ने बेताल के कहे अनुसार बेताल मंदिर की स्थापना कर दी और इस क्षेत्र से बच्चों का गायब होना खत्म हो गया। तभी से स्थानीय लोग बेताल की भगवान के रूप में पूजा करते आ रहे हैं

कुमाऊंनी भाषा में बुबु दादा को कहा जाता है। स्थानीय लोगों का मानना है कि बेताल क्षेत्र के लोगों की सभी मान्यताएं पूरी करते हैं। इस क्षेत्र के लोग हर शुभ कार्य से पहले बेताल की पूजा करते हैं। शादी व्याह हो या फसल कटाई सबसे पहले भोग बेताल को लगाया जाता है। यहाँ तक कि इस क्षेत्र में आने वाले कर्मचारी नकुआ बूबू के इस मन्दिर में मत्था टेकने ज़रूर पहुंचते हैं। मंदिर में बेताल को भोग के रूप में खिचड़ी भी चढ़ाई जाती है। इस मंदिर में मनौती के लिए घन्टियां भी खूब चढ़ाई जाती है।

कहानी है कि कि बेताल यहां के बच्चों के साथ दिन में खेलता था और रात होते ही एक बच्चे को उठा कर ले जाता था। लोगों ने देवताओं का आवाहन किया तो बेताल ने प्रकट होकर कहा कि में क्षेत्राधिपति बेताल हूं, मेरी स्थापना शिव मंदिर के पास कर दें तो यह सब बंद हो जाएगा। बेताल मंदिर की स्थापना के बाद बच्चों का गायब होना खत्म हो गया।

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