पौड़ी : पौड़ी गढ़वाल के विकासखण्ड कल्जीखाल के अंतर्गत मनियारस्यूं पट्टी के कांसदेव गांव में एक 65 वर्षीय बुजुर्ग व्यक्ति का शव गाँव के नजदीक झाड़ियों में मिला है। ग्रामीणों ने का कहना है कि बुजुर्ग की मौत गुलदार के हमले से हुई है। जिसके बाद इस क्षेत्र के ग्रामीण दहशत में हैं।

ग्राम प्रधान राकेश कुमार ने बताया कि कांसदेव गांव में 65 वर्षीय गोविंद सिंह और उनकी पत्नी अकेले रहते थे। जबकि उनके पुत्र ऋषिकेश रहते है। शनिवार को गोविन्द सिंह की पत्नी बकरियां चराने गयी थी, जबकि गोविंद सिंह घर पर ही थे। जब वह घर लौटी तो पति घर पर नहीं थे। उन्होंने सोचा पति आस-पास के गांव में गया होगा। लेकिन देर रात तक जब गोविंद सिंह घर वापस नही आया तो उन्होंने इसकी सूचना ग्राम प्रहरी शिवनारायण तथा अपने बेटों को दी।

बेटे ने आज सुबह फोन पर ग्राम प्रधान राकेश कुमार को बताया कि पिताजी घर नही आए। जिसके बाद प्रधान राकेश ने ग्रामीणों के साथ घर के नजदीक खोचबीन शुरू की। उन्होंने बताया कि गोविंद के पास मोबाईल था। फोन की घण्टी बजने से ही मृतक गोविंद का सुराग लगा। जैसे ही फोन मिला नजदीक में खून के धब्बे भी मिलने शुरू हो गए, और घर से कुछ दूर झाड़ियों में शव बरामद हुआ। जिसके बाद मौके पर पहुंची वन विभाग एवं राजस्व टीम द्वारा गोविंद सिंह का शव कब्जे में लेकर पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए जिला चिकित्सालय ले जाएगा गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के कारणों का खुलासा हो पाएगा।

ग्राम प्रधान थापला राकेश कुमार ने हमारे संवाददाता को बताया कि मृतक गोबिंद सिंह का शव घर से 200 मीटर दूर झाड़ियों से बरामद किया गया है। उन्होंने बताया कि मृतक की गर्दन और एक हाथ जानवर ने खा रखा है। इस घटना से गाँव में दहशत बनी हुई है। उन्होंने बताया कि इस घटना को लेकर वे कल कुछ ग्रामीणों के साथ डीएम साहब से मिलने पौड़ी जायेंगे।

वहीँ प्रभारी नायब तहसीलदार पौड़ी संजय सिंह नेगी से जब इस घटना को लेकर बात की गयी तो उन्होंने कहा कि गाँव में अकेले अकेले मकान हैं गाँव भी दूर-दूर हैं इसलिए लोग दहशत में तो हैं ही, बाकी इस घटना को लेकर उचित कार्रवाई की जाएगी।

ज्ञात हो कि गत डेढ़ वर्ष पहले भी इसी गांव में शिव मन्दिर के पुजारी राम प्रसाद का भी जंगली जानवर द्वारा खाया गया शव कई दिनों बाद बरामद हुआ था।

इस घटना से क्षेत्र में दहशत का मौहल बना है। ग्रामीण विजय नैथानी ने बताया वह नजदीक बाजार कांसखेत में डाक विभाग में कार्यरत है। और उनकी माता गांव में अकेली रहती थी गुलदार के भय से वह माता जी को अपने साथ कांसखेत ले गए।

जगमोहन डांगी