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नई दिल्ली: दिल्ली के गढ़वाल भवन में रविवार को प्राचीन सिद्धपीठ थानेश्वर महादेव मंदिर समिति थनुल के पदाधिकारियों ने पौड़ी गढ़वाल के थनुल गाँव स्थित थानेश्वर मंदिर तक सड़क बनाने की मांग को लेकर बैठक की। पत्रकारों से रूबरू होते हुए मंदिर समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि मंदिर तक सड़क निर्माण की मांग को लेकर वो सूबे के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज से लेकर कई अधिकारियों से मिल चुके हैं लेकिन सिर्फ आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला है। उत्तराखंड सरकार पर सिद्धपीठ थानेश्वर महादेव की अनदेखी का आरोप लगाते हुए समिति के संस्थापक सदस्य आनंद सिंह रावत ने कहा कि सरकार को यहां तीर्थाटन के साथ-साथ पर्यटन को भी बढ़ावा देना चाहिए। थानेश्वर महादेव मंदिर के इतिहास के बारे में जानकारी देते हुए मंदिर समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा निर्मित 360 मंदिरों मे से एक थानेश्वर महादेव का प्राचीन मंदिर भी है। इस पवित्र शिवालय का उल्लेख केदार खंड मे भी किया गया है। थानेश्वर मंदिर के निर्माण के कालखंड के बारे में पुरातत्व विभाग को जांच पड़ताल करनी चाहिए।   thaneshwar-mandir-press-conference

थानेश्वर महादेव को संतानदाता भगवान के रूप में पूजा जाता है। हर साल बैकुंठ चतुर्थदसी के दिन यहां पर रात्रि के पहर निसंतान दंपति हाथों में दीपक लेकर रातभर (खड़ दिया) भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा करते हैं। ऐसी निसंतान दंपत्ति को शिव की कृपा से संतान जरूर होती है। मंड़ल मुख्यालय पौड़ी के नजदीकी कल्जीखाल ब्लाक की मनियारस्यूं पट्टी के थनुल गांव में भगवान थानेश्वर का प्राचीन मंदिर। प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर थनुल गांव में सड़क की सुविधा नहीं होने से शिवभक्तों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इस मौके पर दिल्ली में सक्रिय उत्तराखंड मूल के पत्रकारों ने थानेश्वर महादेव के महत्व पर आधारित गायक मुकेश कठैत द्वारा गाए गीत की सीडी भी लांच की। पत्रकार वार्ता में समिति के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह नेगी, महासचिव हरीश भट्ट, सचिव विमल सिंह रावत, लेखा परीक्षक कमल सिंह रावत, मंदिर समिति मार्गदर्शक और थनूल ग्राम विकास समिति के सचिव विनोद कबटियाल, थनूल ग्राम विकास समिति के अध्यक्ष आनंद सिंह रावत, जगपाल सिंह नेगी, विजय सिंह नेगी, प्रचार सचिव सौरभ कबटियाल, जितेंद्र नेगी, नरेश नेगी, जयश्वरी रावत, रेखा भट्ट और पुष्पलता नेगी ने भी प्राचीन सिद्धपीठ थानेश्वर महादेव के महत्व और पूजा विधान के साथ ही राज्य सरकार से मांग की कि मंदिर परिसर में धर्मशाला, पार्किंग और जरूरी सुविधाओं की व्यवस्था की जाए।

दिल्ली से कुसुम नेगी की रिपोर्ट