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राइका सुमाडी में हिन्दी अध्यापक के पद पर कार्यरत अखिलेश चन्द्र चमोला द्वारा लिखित पुस्तक ”शैक्षिक नवाचार एवम् क्रियात्मक शोध” छात्रों के जीवन में दर्पण के रूप में निहित है। पुस्तक में सर्वप्रथम चमोला ने उन कारको की खोज करने का सराहनीय प्रयास किया है जो छात्रों के लिए बहुउपयोगी हैं। बहुधा छात्र पूरे वर्षभर अच्छी मेहनत करते हैं, लेकिन परीक्षा में अच्छे अंक नहीं प्राप्त कर पाते हैं।

चमोला ने बच्चों को अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण टिप्स दिए हैं। साथ ही पुस्तक में इस पुस्तक में इस पहलू को भी प्रमुखता दी है जिसमें अभिभावक अपने बच्चों को सरकारी विद्यालयों में प्रवेश दिलाने के बाद अपनी किसी तरह की जिम्मेदारी नहीं समझते। इस स्थिति में अभिभावकों के अपने बच्चों के प्रति जो कर्तव्य हैं उन्हें बडी सहजता के साथ स्पष्ट किया गया है। साथ ही पुस्तक का बेहतरीन रूप इस क्रम में भी है कि इसमें नैतिक मूल्यों को भी प्रमुखता के साथ स्थान दिया है। भविष्य में बच्चों पर इसका व्यापक प्रभाव पडेगा। साथ ही नवाचार क्याहै? नवाचार की सम्भावना हमें नये आयामों की ओर किस तरह का संकेत देती है? बाल मन का अपना संसार किस तरह का होता है, उसमें मनोवैज्ञानिक पहलू किस तरह का काम करता है, आदि महत्वपूर्ण व शूक्ष्म बातों पर बडी गहनता से प्रकाश डाला है। पुस्तक की भूमिका केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर गढवाल में कार्यरत वरिष्ठ प्रोफेसर राजनीति विज्ञान के प्रकांड विद्वान एमएम सेमवाल ने लिखी है। जिसमें उन्होंने इस बात को स्पष्ट रूप से स्वीकारा है कि इस पुस्तक का अध्ययन करने से छात्रों के आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। पुस्तक में विगत वर्षों के प्रश्न पत्रों को भी अभ्यास के रूप में शामिल किया गया है। कुल मिलाकर समग्र मूल्यांकन के आधार पर हम यह कह सकते हैं कि पुस्तक भावी पीढ़ी के लिए मार्ग दर्शिका के रूप में सहायक सिद्ध हो सकती है।