Lok Sabha Elections voting boycott Uttarakhand: उत्तराखंड में पाँचों लोकसभा सीटों पर आज चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो गए हैं। चुनाव आयोग के मुताबिक उत्तराखंड में रात नौ बजे तक कुल 54.09 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। वहीँ 2019 के लोकसभा चुनाव में पांचों सीटों पर 58.01 प्रतिशत वोट पड़े थे।
उत्तराखंड में आज कुछ जगहों पर मतदाताओं में उत्साह देखने को मिला। तो वहीँ कुछ बूथों पर सन्नाटा छाया रहा। प्रदेश के विभिन्न जिलों के कई गांवों के लोगों ने सुविधाओं से वंचित होने के बाद चुनाव बहिष्कार का ऐलान किया। जिसके बाद आज वोटिंग के दिन भी इन गांवों के मतदान केंद्रों में सन्नाटा पसरा रहा।
सड़क नहीं तो वोट नहीं नारे के साथ मतदान का बहिष्कार
उधमसिंह नगर जनपद के दिनेशपुर और रुद्रपुर थाना क्षेत्र स्थित अर्जुनपुर और गूलरभोज हरिपुर जलासाय, कोपा लालसिंह, मुनस्यारी सहित कई गावों के लोगों ने सड़क नहीं तो वोट नहीं नारे के साथ मतदान का बहिष्कार किया है।
काशीपुर में भी मतदान का बहिष्कार:
गदरपुर के हरिपुरा जलाशय के पार गदरपुर विधानसभा के गुलरभोज के निकटवर्ती कोपा बसंता में ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार किया है। ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव स्वास्थ्य व सड़क मार्ग से महरूम है। लोगों का कहना है कि उनके आने जाने का एकमात्र सहारा नाव है, जिससे वो मार्केट आते जाते हैं। सड़क की ऐसी हालात है कि बरसात में गड्ढे बन जाते हैं, जिन्हें भरने तक की जहमत नहीं उठाई जाती है। लोगों का कहना है कि उन्हें आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला।
बागेश्वर में सड़क और पुल की मांग को लेकर चुनाव का बहिष्कार
बागेश्वर में सड़क और पुल की मांग को लेकर मतयोली में ग्रामीणों ने चुनाव का बहिष्कार किया। जिस कारण बूथ पर 5 बजे तक किसी भी ग्रामीण ने मतदान नहीं किया। वहीं, चुनाव बहिष्कार की जानकारी मिलते ही प्रशासन ने उन्हें मानने का काफी प्रयास किया। लेकिन ग्रामीण अपनी मांग पर अडिग रहे।
पिथौराढ़ के इन गोवों में मतदान बहिष्कार:
जिले में 3 गांवों में ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार का ऐलान किया था, जो अपनी मांगों पर अडिग हैं। पिथौरागढ़ विधानसभा के क्वीतड़, जमतड़ी और क्वारबन बूथ पर अब तक वोट नहीं पड़ा है। तीनों मतदान केंद्रों में 720 मतदाता हैं। ग्रामीण लंबे समय से रोड की मांग कर रहे थे। इसलिए उन्होंने रोड नहीं तो वोट नहीं का नारा बुलंद किया है। वहीं गंगोलीहाट विधानसभा के बूथ संख्या 80 राजकीय प्राथमिक विद्यालय बनकोट में ग्रामीणों ने मतदान के बहिष्कार किया। क्षेत्र के ग्रामीण लम्बे समय से बनकोट क्षेत्र को बागेश्वर जनपद में शामिल करने की मांग कर रहे हैं। बागेश्वर जिला मुख्यालय 20 किलोमीटर की दूरी पर है, जबकि पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय 15 किलोमीटर दूरी पर है। जिस कारण लम्बे समय से ग्रामीण बागेश्वर में शामिल करने की मांग कर रहे थे।
मसूरी में मतदान का बहिष्कार:
मसूरी विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पंचायत मोटीदार कपलानी में करीब सात गांव के ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि उनके क्षेत्र में काफी लंबे समय से रोड निर्माण की मांग की जा रही है। परंतु वन विभाग द्वारा रोड निर्माण की अनुमति न दिए जाने के कारण गांव की रोड नहीं बन पा रही है। जिस वजह से लोग काफी परेशान है। उन्होंने कहा कि गांव से लगातार पलायन हो रहा है, कई लोग अपना गांव सड़क न होने के कारण छोड़कर चले गए हैं। लेकिन वन विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है, इससे लोगों में भारी आक्रोश है। उन्होंने रोड नहीं तो वोट नहीं की बात कही। ग्राम प्रधान अमर देव भट्ट ने बताया कि ग्राम पंचायत मोटी धार कपलानी ग्राम पंचायत मोटी धार कपलानी में करीब 7 गांव आते हैं। जिसमें सैकड़ों लोग निवास करते हैं।लेकिन क्षेत्र में सड़क न होने के कारण लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जिस वजह से लोगों में भारी आक्रोश है। उन्होंने बताया कि मोटीदार, पटरानी, डोंग लोहड़ीगढ़ आदि गांव के लोग ने अपने मतदान का प्रयोग नहीं कर रहे हैं। यहाँ इक्का-दुक्का लोगों ने ही वोट डाला है।
चकराता के 12 गांवों में चुनाव का बहिष्कार
टिहरी संसदीय क्षेत्र के चकराता विधानसभा क्षेत्र के 12 गांवों के लोगों ने चुनाव बहिष्कार कर दिया। ग्रामीणों का कहना है कि वो अपनी जान जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर है, लेकिन तमाम नेता और विभागीय अधिकारी सड़क का निर्माण नहीं कर पाए हैं। इसलिए वो चुनाव बहिष्कार कर रहे हैं।
टिहरी में मतदान बहिष्कार:
टिहरी जिले में वार्ड नंबर 3 और 4 के नगरवासियों ने चुनाव बहिष्कार का ऐलान किया है। प्रशासनिक अधिकारियों ने नगर वासियों को समझने का प्रयास किया और वोट करने की अपील की। लेकिन नगरवासी नहीं मानें। नगर वासियों की मांग है कि उनके गांव नोघर को नगर पंचायत से हटाया जाए। नगरवासियों ने कहा कि करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी नगर में धरातल विकास कार्य नहीं हुए। विकासखंड प्रतापनगर के ग्राम पंचायत रैका के हेलमेट गांव किमखेत के ग्रामीणों ने भी चुनाव बहिष्कार किया है। अब तक एक भी मतदान नहीं हुआ। ग्रामीणों की मांग है कि उनके हेलमेट गांव किमखेत को सड़क मार्ग से जोड़ा जाए और जीर्ण शीर्ण विद्यालय भवन का बनाया जाए।
थराली में चुनाव बहिष्कार:
थराली तहसील के देवराड़ा समेत भेटा वार्ड में नगर पंचायत से वार्ड को हटाने की मांग को लेकर ग्रामीणों ने चुनाव का बहिष्कार किया।वहीं देवाल के बलाण और पिनाउ में भी सड़क की मांग को लेकर ग्रामीण लोकसभा चुनाव के बहिष्कार पर अड़े रहे।
रुद्रप्रयाग के इशाला और रिंगेड़ के ग्रामीण नहीं गए वोट देने
रुद्रप्रयाग में भी सड़क की मांग पूरी नहीं होने पर दो गांवों के ग्रामीणों ने पूरी तरह से चुनाव बहिष्कार किया। केदारनाथ विधानसभा के अंतर्गत गिरीया के ग्रामीणों का भी चुनाव बहिष्कार था, लेकिन यहां कुछ लोगों ने अपने मत का प्रयोग किया। जबकि, ज्यादातर ग्रामीण वोट देने नहीं गए और चुनाव बहिष्कार पर अड़िग रहे।
पौड़ी गढ़वाल में भी मतदान केंद्र पर पसरा रहा सन्नाटा
पौड़ी लोकसभा क्षेत्र के गंगा भोगपुर तल्ला और मल्ला गांव में चुनाव बहिष्कार का असर देखने को मिला है। इसके चलते ग्रामीणों ने मतदान नहीं किया। ग्रामीण डांडा मंडल क्षेत्र की विभिन्न मांगों को लेकर प्रशासन के रवैये से खासे नाराज दिखे। 1319 की जनसंख्या वाले गांव के ग्रामीणों ने मतदान नहीं किया। जिसके चलते चुनाव बूथ पर सन्नाटा पसरा रहा।