देहरादून: रविवार का दिन उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित सीमांत गांव घेस के लिए ऐतिहासिक रहा। आजादी के 70 वर्षों बाद सीमांत गांव घेस में बिजली पहुंची है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने घेस में आयेाजित कार्यक्रम में बिजली का स्विच ऑन कर इसका शुभारम्भ किया। मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी चमोली को घेस, बलाण व हिमनी गांवों के सुनियोजित विकास के लिए डीपीआर बनाने के निर्देश दिए। वहां के स्थानीय संसाधनों का उपयोग करते हुए स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप किस तरह से स्थानीय लोगों की आय को दोगुना किया जा सकता, विशेषज्ञों की सहायता से विस्तृत कार्ययोजना तैयार की जाए। इन गांवों को मॉडल विलेज के तौर पर विकसित किया जाना है। इसमें ग्रामीणों की सक्रिय भागीदारी भी जरूरी है।
केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपद नायक ने घेस में राष्ट्रीय जड़ी बूटी संस्थान खोले जाने की सैद्धांतिक स्वीकृति दी।
मुख्यमंत्री रावत व केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपद नायक ने क्षेत्र में उत्पादित जड़ी बुटी कुटकी व अन्य उत्पादों का अवलोकन किया और ग्रामीणों से उनकी समस्याओं के बारे में जानकारी प्राप्त की। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य निर्माण के पीछे का उद्देश्य यह था कि पर्वतीय राज्य के दूरस्थ गांवों का विकास हो। उन्होंने कहा कि वे पिछले 13 माह में दूसरी बार घेस आए हैं, इससे सरकार की मंशा स्पष्ट होती है। चमोली जिले का घेस व पिथौरागढ़ का पिपली जैसे गांवों में विकास पहुंचाकर वहां के लोगों की आजीविका मजबूत करना, सरकार की प्राथमिकता है। हिमालय की त्रिसूली और नंन्दा घुंघटी की तलहटी में बसे देवाल ब्लाक के सीमांन्त गांव घेस में जड़ी बूटियों के संरक्षण, संवर्धन एवं विपणन के लिए कुटकी जडी बूटी महोत्सव का आयोजन किया गया। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत व केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपद नायक ने चमोली जिले के सीमांत गांव घेस में आायेजित कुटकी महोत्सव में प्रतिभाग किया। घेस में जड़ी बूटी के जरिये स्थानीय लोगों की आर्थिकी के तंत्र को मजबूती प्रदान करने के लिए पहल शुरू की गई है। इसी के तहत घेस में कुटकी जड़ी बूटी महोत्सव का आयोजन किया गया। जिसमें कुटकी के महत्व पर विचार विमर्श करते हुए इसके उत्पादन, संवर्धन व विपणन के लिए ठोस नीति तैयार करने पर जोर दिया गया, ताकि कुटकी के उत्पादन से जुड़े सीमांत क्षेत्र के किसानों को इसका लाभ मिल सके।
मुख्यमंत्री ने क्षेत्र में जैविक खेती प्रमाणन की प्रक्रिया शुरू करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जैविक खेती से उत्पादों की अच्छी कीमत मिलती है। परंतु इसकी प्रक्रिया में 3 वर्ष लगते हैं। इसलिए इसकी शुरूआत जल्द से जल्द की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि बांस, हैम्प आदि से भी काश्तकारों की आय को कई गुना बढ़ाया जा सकता है। आज जरूरत है ऐसे क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देने की जिनकी वैश्विक मांग हो।
मुख्यमंत्री ने कहा कि घेस में मटर की खेती को प्रोत्साहित किया गया था जिससे लाखों रूपए के मटर की बिक्री की गई थी। कुटकी जैसी जड़ी बुटियों से भी लोगों की आर्थिकी में सुधार किया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्थानीय लोगों के हित को देखते हुए कीड़ा जड़ी नीति बनाकर इसे वैधानिक रूप दिया गया है। नेटवर्क की समस्या के बारे में बताए जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि आप्टिकल फाईबर के लिए बिजली के खम्भों के प्रयोग को अनुमति दी गई है। मुख्यमंत्री ने बताया कि श्री मुकेश अम्बानी ने उत्तराखण्ड में अस्पताल व स्कूलों में निशुल्क वाई फाई उपलब्ध करवाने की बात कही है।
केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपद नायक ने कुटकी महोत्सव पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि जड़ी बूटियों को प्रोत्साहित करने के लिए उनका मंत्रालय हर सम्भव सहयोग देगा। घेस को आयुष ग्राम बनाने के लिए जो भी आर्थिक सहायता की जरूरत होगी, केंद्र सरकार प्रदान करेगी। उन्होंने क्षेत्र में जड़ी बूटी का राष्ट्रीय संस्थान खोले जाने पर सैद्धांतिक स्वीकृत भी दी। उन्होंने कहा कि हिमालयी क्षेत्र में जड़ी बूटी की काफी सम्भावनाएं हैं। ऐसे में यहां जड़ी बूटी के राष्ट्रीय संस्थान की मांग जायज है। उन्होंने कहा कि जब भी यहां के लोग उन्हें बुलाएंगे, वे अवश्य आएंगे और क्षेत्र के विकास के लिए जो भी हो सकेगा, करेंगे।
मुख्यमंत्री ने दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण ज्योति योजना एवं सौभाग्य योजना के अन्तर्गत घेस में विद्युतीकरण कार्य लागत 4.00 लाख, जल निगम की सरमाता घेरू घन्ना पेयजल योजना लागत 74.86 लाख, राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय घेस लागत 49.30, कृषि विपणन केन्द्र घेस लागत 20.00 लाख तथा जड़ी बूटी ड्राइंग शैड लागत 2.25 लाख की विकास योजनाओं का लोकापर्ण भी किया।
पहाड़ों में कुटकी जड़ी बूटी का उपयोग परम्परागत रूप से अतिसार तथा आमतिसार की औषधि के रूप में किया जाता है। यह लीवर तथा पैत्रिक तन्त्र के दोषों की चिकित्सा हेतु वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान स्थापित कर रही है। इसके विभिन्न उत्पादों का उपयोग अनेक उदर विकारों के लिये किया जा रहा है। कुटकी कई आयुर्वेदिक औषधियों में भी मुख्य घटक है। दूनागिरि फाउण्डेशन संस्था के विवेक दीवान ने बताया कि राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड ने औषधीय पौधों की खेती करने वाले किसानों के लिए ‘‘ई-चरक’’ वेबसाईट तैयार की है, जिसमें किसान अपने फसल के बारे में पूरी जानकारी अपलोड करेगा और इसी वेबसाईट के माध्यम से किसान को अपना खरीददार भी मिल जायेगा। उत्तरांचल यूथ एण्ड रूरल डेवलपमेंन्ट सेन्टर के डा0 हरपाल नेगी ने बताया कि घेस में कुटकी के उत्पादन व विपणन के लिए कामगार स्वायत सहकारिता बनायी गयी है। कहा कि कुटकी महोत्सव का उदेश्य कुटकी उत्पादन से जुड़े काश्तकारों को इसका वास्तविक लाभ पहुॅचाना है।
इस दौरान क्षेत्रीय विधायक मुन्नी देवी शाह, ब्लाक प्रमुख देवाल उर्मिला बिष्ट, नवनिर्वाचित नगर पंचायत अध्यक्ष दीपा भारती, प्रधान घेस नरेन्द्र बिष्ट, अमेरिका के एरोनोटिकल वैज्ञानिक प्रशांति दिजागर, वैज्ञानिक विजय कांन्त पुरोहित, डा0 अनिल कुमार, अर्जुन सिंह बिष्ट, महिला मंगलदल अध्यक्षा जशोदा देवी व नंदी देवी सहित डीएम स्वाति एस भदौरिया, एसपी तृप्ति भट्ट, सीडीओ हसांदत्त पांडे सहित अन्य संबधित विभागीय अधिकारी व स्थानीय जनता मौजूद थे।