gidradu-village-kaljikhal

कल्जीखाल : पहाड़ के ज्यादातर गांवो में जंगली जानवरों के आतंक से लोगों ने खेती करनी छोड़ दी है। हालाँकि पौड़ी जनपद के कल्जीखाल ब्लॉक के अंतर्गत पटवालस्यूं पट्टी के कई गांवो में आज भी पूरी खेती हो रही है। कृषि विभाग द्वारा कास्तकारों की खेती की सुरक्षा के लिए घेरबाड़ भी की गई है, परन्तु फिर भी ग्रामीणों को देर रात खेतो की जुगाली करनी पड़ती है। शुक्रवार को मुख्य विकास अधिकारी ने कल्जीखाल ब्लॉक के गिदरासू गांव का दौरा किया औऱ कास्तकारों की समस्याएं सुनी। हमारे सवांददाता जगमोहन डांगी एवं विक्रम पटवाल ने कास्तकारों से बात की।gidradu--gaon-kaljikhal

जब से मनरेगा आया और जंगली जानवरों की अधिक संख्या हुई पहाड़ी जिलों में कास्तकारों ने खेती से मुह मोड़ लिया। ऊपर से सस्ते गल्ले की दुकानों में सस्ती राशन के कारण भी लोगो ने खेती छोड़ दी। लेकिन पौड़ी जनपद के कल्जीखाल विकासखण्ड के पटवालस्यूं पट्टी के लगभग सभी गांवो में आज भी अच्छी खासी खेती हो रही है। कुछ गांवो में कृषि विभाग ने जानवरों की सुरक्षा को लेकर घेरबाड़ भी किया है। लेकिन फिर भी जंगली सुवंरों, बंदरों एवं अवरा पशुओं से यहाँ के कास्तकार बहुत परेशान है। फसल को बचाने के लिए ग्रामीण रात में खेती की सामूहिक जुगाली करते है। पूर्व प्रधान बीरेन्द्र बिष्ट एवं कृषक हनुमान सिंह नेगी व सुमन रावत का कहना है कि उनकी मुख्य आजीविका आज भी खेती किसानी है।

गिदरासू गांव से जगमोहन डांगी की विशेष रिपोर्ट

यह भी पढ़ें:

उत्तराखंड : पर्वतीय क्षेत्रों में जंगली सूअरों तथा बंदरों से खेती, बागवानी को बचाने के लिए जालीदार तार-बाड़ योजना के मिल रहे हैं अच्छे परिणाम