Uttarakhand Forest Fire: बीते कुछ दिनों से उत्तराखंड के जंगलों की आग ने हाहाकार मचाया हुआ है। जंगलों की आग ने पूरे पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाया है। जंगली जानवरों से लेकर आम इंसानों तक को धुएं की वजह से सांस लेना मुश्किल हो रहा है। वन्य जीव वनाग्नि की वजह से जान बचाने के लिए इधर-उधर भाग रहे हैं। कई गांवों में तो आबादी तक जंगल की आग पहुंच गई है। पिछले एक माह के दौरान जंगलों में आग की घटनाओं ने तेजी पकड़ी है। बीते एक अप्रैल से लेकर 27 अप्रैल तक पूरे प्रदेश में 559 वनाग्नि की घटनाएं हुई। इनमें कुमाऊं की 318 घटनाएं भी शामिल है। इस दौरान पूरे प्रदेश में 689 हेक्टेअर वन संपदा को नुकसान पहुंचा है। जलते जंगलों से पर्यावरण विद के साथ ही स्थानीय निवासी और सरकार तक चिंतित है। हालांकि स्थानीय लोगों का कहना है कि जब गंभीरता दिखानी चाहिए तब विभाग दिखाता नहीं, जब हालात नियंत्रण के बाहर हो जाते हैं तब विभाग, आला अफसरों से लेकर जनप्रतिनिधियों को वनाग्नि और हो रहे पर्यावरण के नुकसान की याद आती है।
वनकर्मियों की छुट्टियां रद
जंगलों में आग की बढ़ती घटनाओं की रोकथाम के लिए सरकार और शासन सक्रिय हो गए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को हल्द्वानी में तथा वन मंत्री सुबोध उनियाल ने देहरादून में समीक्षा की।
वन मुख्यालय में हुई समीक्षा बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में वन मंत्री उनियाल ने राज्य में वनों में हुई आग की घटनाओं का ब्योरा रखा। उन्होंने कहा कि सभी डीएफओ को पहले ही निर्देश दिए जा चुके हैं कि कहीं भी आग की घटना सामने आने पर वे स्वयं मौके पर जाकर इस पर नियंत्रण सुनिश्चित कराएं। उन्होंने उन्होंने फायर सीजन तक वनकर्मियों की छुट्टियां रद करने के आदेश दिए। वन विभाग ने देर शाम इस संबंध में आदेश जारी कर दिए।
नैनीताल वन प्रभाग में 28 घटनाएं
उत्तराखंड में आग से सबसे ज्यादा बुरा हाल नैनीताल जिले का है। नैनीताल जिले के अंतर्गत नैनीताल वन प्रभाग समेत छह वन प्रभाग आते हैं। इन प्रभागों के अंतर्गत आने वाले जंगलों में 15 फरवरी से अब तक 76 घटनाएं हुई है। इसमें करीब 91 हेक्टेयर क्षेत्रफल में वन संपदा को नुकसान पहुंचा। इसमें भी सर्वाधिक घटना नैनीताल वन प्रभाग में हुई है। इस प्रभाग में संबंधित अवधि में 28 वनाग्नि की घटना हुई है। इसके अलावा पिथौरागढ़ जनपद में 69, बागेश्वर में 11, चंपावत में 37, अल्मोड़ा 43 और ऊधम सिंह नगर में 41 घटनाएं हुई हैं। नैनीताल जिले में पाइंस क्षेत्र के जंगलों में लगी आग ने शुक्रवार को एक पुराने घर को अपनी चपेट में ले लिया था और उच्च न्यायालय की आवासीय कॉलोनी के पास सड़क तक पहुंच गयी थी। साथ ही इससे भारतीय सेना के लड़ियाकांठा पहाड़ी पर स्थित संवेदनशील क्षेत्र तक पहुंचने की आशंका भी पैदा हो गयी थी। इसके बाद यहां भारतीय सेना के हेलीकॉप्टर को आग बुझाने के कार्य में लगा दिया गया है। शनिवार सुबह से सेना का एक एमआई-17 हेलीकॉप्टर भीमताल झील से करीब 5000 लीटर क्षमता की बतायी जाने वाली बॉम्बी बकेट से पानी लेकर करीब 20 चक्कर लगाकर यहां पानी की बौछारें की।
उत्तराखंड में 24 घंटे में 23 जगह वनाग्नि से लोगों में दहशत
उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग कुछ क्षेत्रों में आबादी तक पहुंच गई है। बीते 24 घंटे में पर्वतीय जिलों में आग के अस्पताल, फैक्ट्री और कार्यालय भवनों तक पहुंचने से लोग दहशत में हैं। वायु सेना ने नैनीताल जिले में आग बुझाने को हेलीकॉप्टर उतार दिए हैं। टनकपुर में आग बुझाने में जुटे वन दरोगा सहित पांच वनकर्मी बेहोश हो गए। वन विभाग के रिकार्ड के मुताबिक, 24 घंटे में राज्य में वनाग्नि की 23 घटनाएं हुईं और 34 हेक्टेयर से ज्यादा जंगल प्रभावित हुआ। जंगलों में आग की अधिकांश घटनाएं कुमाऊं मंडल में हुईं। अल्मोड़ा जिले के सल्ट में शुक्रवार रात सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का बड़ा हिस्सा जंगल की आग की चपेट में आ गया।
गढ़वाल मंडल में पौड़ी के धुमाकोट के जंगलों में भयंकर आग लगी हुयी है। शुक्रवार रात आग जड़ाऊखांद के पास गांव तक पहुंच गई थी। ग्रामीणों ने रातभर जागकर बमुश्किल अपने घरों को बचाया। वहीँ कर्णप्रयाग समेत चमोली जिले के कुछ क्षेत्रों में शनिवार को बारिश ने जंगल की आग से राहत दिलाई। इसके अलावा देवप्रयाग के जंगलों में लगी आग, सौड़ गांव स्थित कर्णप्रयाग रेलवे परियोजना की सुरंग के निकट तक पहुंच गई।
ठनकपुर में आग बुझाते वन दरोगा समेत पांच झुलसे
ठनकपुर। चंपावत जिले में जंगल की आग की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। शनिवार को टनकपुर के बूम बन क्षेत्र में लगी आग को बुझाने गई टीम में एक वन दरोगा झुलस गया तथा चार वनकर्मचारी अत्यधिक गर्मी से बेहोश हो गए। सभी को टनकपुर उप जिला चिकित्सालय लाया गया है। रेंजर गुलजार हुसैन ने बताया कि बूम वन क्षेत्र में लगी आग को बुझाने के दौरान बन दरोगा मनोज राय चट्टान से फिसलने के कारण झुलस गये तथा वहीं वन कर्मी दीपक महर, कुमारी गंगा कुवर, अक्षय कुमार व होशियार सिंह अत्यधिक गर्मी के कारण बेहोश हो गए। जिन्हें तत्काल टनकपुर उप जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया है। उन्होंने बताया कि उक्त टीम ने आग पर नियंत्रण पा लिया था।
देवालय अस्पताल का ऑक्सीजन प्लांट और रिकॉर्ड रूम राख
अल्मोड़ा में देवालय का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र वनाग्नि की चपेट में आ गया। देखते ही देखते आग ने अस्पताल के एक भवन को अपनी चपेट में ले लिया। वनाग्नि से अस्पताल का ऑक्सीजन प्लॉट और रिकॉर्ड रूम जलकर राख हो गया। जानकारी के मुताबिक घटना शुक्रवार शाम की है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के पास का जंगल आग से घचक उठा। देखते ही देखते आग ने विकराल रूप ले लिया। कुछही देर में आग ने रिकॉर्ड रूम की खिड़की को अपनी चपेट में ले लिया। आग लगने की सूचना मिलते ही अस्पताल प्रबंधन में हड़कंप मच गया। स्वास्थ्य कर्मियों ने आग पर काबू पाने का प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। जब तक आग पर काबू पाया जाता अस्पताल का ऑक्सीजन प्लांट और रिकॉर्ड रूम जलकर खाक हो गया। चिकित्सा प्रभारी डा. अक्षय देवायल ने बताया कि अस्पताल की दूसरी बिल्डिंग में एक मरीज भर्ती था। दूसरी बिल्डिंग तक आग पहुंचने से पहले काबू पा लिया गया। रिकार्ड रूम के सारे दस्तावेज जल गए हैं। वहीं ऑक्सीजन प्लॉट को नुकसान पहुंचा है।
जंगल में आग लगाने वालों पर कैमरों से नजर
उत्तराखंड में जगलों में आग लगाने वालों पुष्कर सिंह धामी सरकार सख्त ऐक्शन लेगी। वन विभाग ने निगरानी के लिए आबादी के पास के इलाकों में कैमरा ट्रैप व लाइव कैमरे लगाने शुरू कर दिए हैं। सीएम धामी ने कहा कि जंगलों में लगी आग को अगर 24 घंटे के अंदर नहीं काबू किया गया तो संबंधित अफसर के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
आग 24 घंटे में काबू नहीं होने पर अफसर जिम्मेदार
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यदि जंगल की आग पर 24 घंटे के भीतर काबू नहीं पाया जाता है, तो संबंधित डीएफओ एवं रेंज अधिकारी की जिम्मेदारी तय की जाएगी। सीएम ने कहा कि वनाग्नि प्रभावित क्षेत्रों के लिए नोडल अधिकारी नामित किए जाएं ताकि अधिकारी पूर्ण जिम्मेदारी से दायित्व निवर्हन करें।
एफटीआई सभागार में कुमाऊं मंडल के अफसरों की बैठक लेते हुए सीएम ने कहा कि वनाग्नि को रोकने में स्थानीय लोगों, महिला एवं युवक मंगल दलों व महिला स्वयं सहायता समूहों का भी सहयोग लें। मुख्यमंत्री ने कहा कि आग लगाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। सभी अधिकारी अपना मोबाइल फोन 24 घंटे ऑन रखें।
शरारती तत्वों के खिलाफ सख्त हुआ वन विभाग, 196 लोगों पर केस दर्ज
वन मंत्री ने बताया, जंगल में आग लगने की तीन प्रमुख वजह है। किसान खेतों में खरपतवार जलाते हैं। दूसरा जंगल में जलती बीडी, सिगरेट फेंकने एवं तीसरा शरारती तत्वों की ओर से जंगल में आग लगाने से वनाग्नि की घटनाएं होती हैं। वन विभाग अब शरारती तत्वों से कड़ाई के साथ निपटने का फैसला कर चुका है। वन विभाग ने जंगलों में आग लगाने वालों के खिलाफ अब तक 196 केस दर्ज किए हैं। इसमें कुल 23 आग की घटनाएं ऐसी हैं, जिन्हें लगाने वालों का वन विभाग ने पता लगा लिया है। इन मामलों में कुल 29 लोगों को नामजद किया गया है, जबकि 176 केस अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज किए गए हैं। खास बात यह है कि इस बार वन विभाग ने जंगलों में आग के लिए सीधे तौर पर डीएफओ को जिम्मेदार बताया है। साथ ही जंगलों में लगने वाली आग के लिए डीएफओ को खुद मौके पर जाने के निर्देश दिए गए हैं।
बारिश से जंगलों की आग के मामलों में राहत
बारिश से जंगलों की आग के मामलों में मामूली राहत मिली है। 26 अप्रैल को वनाग्नि की 31 घटनाएं सामने आई थी, लेकिन 27 अप्रैल को वनाग्नि घटनाओं में कुछ कमी आई है। वन विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, शनिवार को प्रदेशभर में वनाग्नि की 23 घटनाएं हुई हैं। इसमें 16 कुमाऊं और सात गढ़वाल मंडल के वन क्षेत्रों की है। इसे मिलाकर अब तक वनाग्नि की घटनाएं बढ़कर 598 हो गई है।