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देहरादून : जम्मू कश्मीर के पुलवामा में गुरुवार को अब तक के सबसे बड़े आतंकी हमले में देश के 42 जवान शहीद हो गए। देश के लिए शहीद हुए जवानों में दो जवान उत्तराखंड के उत्तरकाशी के मोहनलाल रतूड़ी और खटीमा के विरेंद्र राणा भी शामिल हैं। शनिवार को दोनों शहीदों का तिरंगे लिपटे पार्थिव शरीर अपने अपने निवास स्थान पर पहुंचे। शहीदों के दर्शन के लिए पूरा जनसैलाब उमड़ पड़ा।shahid-mohan-lal

देहरादून पहुंचे शहीद मोहन रतूड़ी के पार्थिव शरीर को बेटी का आखिरी सलाम, सीएम ने दिया कंधा

शनिवार सुबह शहीद मोहनलाल रतूड़ी का पार्थिव शरीर उनके हाल निवास देहरादून पहुंचा। तिरंगे में लिपटे ताबूत को देखकर परिजनों और आसपास के लोगों में कोहराम मच गया। शहीद के अंतिम दर्शन के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ा। शहीद मोहन लाल की बेटी नम आंखों से पिता को देखती रही और पिता के पार्थिव शरीर को देखकर सैल्यूट करते हुए आखिरी सलाम किया। मूल रूप से उत्तरकाशी चिन्यालीसौड़ के बनकोट गांव के रहने वाले शहीद मोहन लाल रतूड़ी रामपुर ग्रुप सेंटर की 110 बटालियन में जम्मू-श्रीनगर हाई-वे पर रोड गश्त ड्यूटी में तैनात थे।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कारगी चैक देहरादून में शहीद मोहन लाल के आवास पर जाकर उनके पार्थिव देह पर पुष्प चक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री ने शहीद के परिजनों से भेंट कर शोक संवेदना व्यक्त की। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड की जनता दुःख की इस घड़ी में शहीद के परिवार के साथ है। राज्य सरकार शहीद के परिवारजनों का हर सम्भव सहयोग करेगी। सीएम समेत विधायक औऱ नेताओं ने शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित कर कंधा दिया। और पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए हरिद्वार ले जाया गया। हरिद्वार में सैन्य सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी गई। उनके बड़े बेटे ने मुखाग्नि दी। उनके शोक में सुबह से दोपहर तक के लिए देहरादून बाजार बंद रहा।

खटीमा पहुंचा शहीद विरेंद्र राणा का पार्थिव शरीर, मासूम बच्चे पिता की शहादत से है अनजान

उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर स्थित खटीमा के रहने वाले शहीद विरेंद्र सिंह राणा का पार्थिव शरीर शनिवार की सुबह तिरंगे में लिपटकर उनके घर पहुंचा। शदीद का शव पौंचते ही पूरे इलाकों में कोहराम मच गया। विरेंद्र की शहादत के बारे में सूचना मिलते ही पत्नी रेनू (26), उनकी भाभियां और दोनों बहनें बेसुध हो गईं। shahid-virendra-rana

वहीँ 4 वर्षीय बेटी  और ढाई वर्षीय पुत्र पिता की शहादत से बिल्कुल अंजान हैं। शहीद विरेंद्र राणा 23 जनवरी को छुट्टी पर घर आए थे और इस हादसे से दो दिन पहले 12 फरवरी ही ड्यूटी के लिए रवाना हुए थे। तब उन्होंने जल्द घर पहुंचने का वादा किया था। विरेंद्र घर तो जल्दी लौटा लेकिन तिरंगे में लिपटकर शहीद होकर

शनिवार को पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनकी अंतिम यात्रा रवाना हुई। इस दौरान केंद्रीय कपड़ा राज्यमंत्री अजय टम्टा ने पार्थिव शरीर को कंधा दिया। उनकी अंतिम यात्रा में सैकड़ों लोग पहुंचे। पिता दीवान सिंह और पत्नी रेनू बेसुध हैं। खटीमा में लोगों का आक्रोश देखा जा रहा है।shahid-virendra-rana

लोगों ने विरेंद्र की शहादत को नमन करते हुए पाकिस्तान को बर्बाद करने की मां की। उन्होंने कहा कि बात नहीं अब वार होगा।

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