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देहरादून: जैव ईधन से चलने वाला देश का पहला बायोफ्यूल विमान सोमवार को उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत द्वारा देहरादून के जौलीग्रांट एयरपोर्ट से फ्लैग ऑफ कर दिल्ली के लिये रवाना किया गया।

भारतीय पेट्रोलियम संस्थान देहरादून, सीएसआईआर के वैज्ञानिकों की 10 वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद जट्रोफा फसल से तैयार जैविक ईंधन (बायोफ्यूल) से चलने वाले स्पाइसजेट के विमान ने सोमवार सुबह 11 बजे देहरादून के जौलीग्रांट एयरपोर्ट से दिल्ली एयरपोर्ट के लिए उड़ान भरी। ट्रायल के तौर पर शुरू हुई इस उड़ान को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सुबह 11 बजे हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इसके साथ ही उत्तराखण्ड के जौलीग्रांट एयरपोर्ट का नाम भी इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया है, क्योंकि जौलीग्रांट, बायोफ्यूल विमान उड़ाने वाला देश का पहला एयरपोर्ट बन गया है।

इसके अलावा पहली बार बायोफ्यूल से विमान उड़ाकर भारत ने एविएशन इंडस्ट्री में नया मुकाम हासिल कर लिया है। स्पाइजेट ने बॉम्बार्डियर क्यू400 से देहरादून-दिल्ली के बीच इस उड़ान का सफल परीक्षण किया। इसके साथ ही भारत उन खास देशों की श्रेणी में शामिल हो गया, जिन्होंने बायोफ्यूल से किसी प्लेन को उड़ाया है। विकासशील देशों में यह उपलब्धि हासिल करने वाला भारत पहला देश बन गया है। हालाँकि कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे विकसित देश बायोफ्यूल से चलने वाले विमान उड़ा चुके हैं। बायोफ्यूल सब्जी के तेलों, रिसाइकल ग्रीस, काई, जानवरों के फैट आदि से बनता है। जीवाश्म ईंधन की जगह इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।biofuel-spicejet-plane

स्पाइसजेट एयरलाइन के प्रवक्ता ने बताया कि उन्होंने पहली जैविक ईंधन की उड़ान का सफलता से परिचालन पूरा किया। इस उड़ान के लिए इस्तेमाल ईंधन 75 प्रतिशत एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) और 25 प्रतिशत जैवजेट ईंधन का मिश्रण था। उन्होंने कहा कि एटीएफ की तुलना में जैवजेट ईंधन इस्तेमाल का फायदा यह है कि इससे कॉर्बन उत्सर्जन घटता है और साथ ही ईंधन दक्षता भी बढ़ती है। जैव जेट ईंधन की लागत कम बैठती है उन्होंने कहा, ‘इसमें हमारी परंपरागत विमान ईंधन पर प्रत्येक उड़ान में निर्भरता में करीब 50 प्रतिशत की कमी लाई जा सकती है। इससे किराये में भी कमी आएगी।