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Tourist places in Uttarakhand : यूँ तो देवभूमि उत्तराखंड का पूरा पहाड़ी क्षेत्र अपने आप में प्राकृतिक सौन्दर्य से भरा पड़ा है। यहाँ गंगा यमुना से लेकर छोटी छोटी नयार-नदियों की कल-कल करती ध्वनि, हिमाच्छादित पर्वत श्रृंखलाओं की खूबसूरती, फूलों की घाटी और मखमल सरीखी घास के बुग्याल किसी को भी आकर्षित कर सकते हैं। यही नहीं पर्यटकों की सबसे ज्यादा पसंददीदा पर्यटन स्थल औली भी उत्तराखंड में ही है। भगवान बद्री विशाल से लेकर बाबा केदारनाथ, गंगोत्री और यमनोत्री धाम भी यहीं हैं। इसके अलावा मसूरी, नैनीताल, टिहरी झील, देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश जैसे विश्व प्रसिद्ध पर्यटक स्थल भी उत्तराखंड में ही हैं। इसके अलावा कौसानी, मुन्सियारी, रानीखेत, भीमताल, अल्मोड़ा, लैंसडाउन, पौड़ी (कन्डोलिया), खिर्सू, औली, चोपता, चकराता, नई टिहरी, चम्बा जैसे खूबसूरत पर्यटन स्थल भी उत्तराखंड में हैं।

हम आपको सिलसिलेवार उत्तराखंड के इन सभी पर्यटन स्थलों के बारे में बताएँगे। परन्तु आज हम यहाँ बात करंगे सिर्फ कौसानी की। जिसे भारत का स्विट्जरलैंड भी कहा जाता है।kausani-uttarakhand

कौसानी (KAUSANI) :

कौसानी उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र के बागेश्वर जिले में कोसी और गोमती नदियों के बीच बसा एक खूबसूरत स्थल हैं। हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि सुमित्रानंदन पंत की जन्मभूमि कौसानी को भारत का स्विट्जरलैंड भी कहा जाता है। समुद्र तल से 6075 फीट की ऊंचाई पर बसा उत्तराखंड का यह खूबसूरत पर्यटन स्थल आने वाले सैलानियों को अपनी नैसर्गिक सुंदरता से मंत्र-मुग्ध कर देता है। यहां के खूबसूरत प्राकृतिक नजारे, खेल और धार्मिक स्‍थल पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। सोमेश्वर, गरुड़ और बैजनाथ कत्यूरी की सुंदर घाटियों के अलावा यहाँ से बर्फ से ढ़के नंदा देवी पर्वत, त्रिशूल और पंचाचूली जैसी महत्वपूर्ण चोटियाँ साफ दिखाई देती हैं।Anasakti-ashram-kausani-uttarakhand

प्रमुख दर्शनीय स्थल

अनासक्त‍ि आश्रम: इसे गांधी आश्रम भी कहा जाता है। इस आश्रम का निर्माण महात्‍मा गांधी को श्रद्धांजली देने के उद्देश्‍य से किया गया था। कौसानी की सुंदरता और शांति ने गांधी जी को बहुत प्रभावित किया था। इस खूबसूरत जगह को गाँधी जी ने ही स्विट्जरलैंड नाम दिया था। यहीं पर उन्‍होंने अनासक्ति योग नामक लेख लिखा था। इस आश्रम में एक अध्‍ययन कक्ष और पुस्‍तकालय, प्रार्थना कक्ष (यहां गांधी जी के जीवन से संबंधित चित्र लगे हैं) और किताबों की एक छोटी दुकान है। यहां रहने वालों को यहां होने वाली प्रार्थना सभाओं में भाग लेना होता है।kausani-uttarakhand

लक्ष्‍मी आश्रम : यह आश्रम सरला आश्रम के नाम से भी प्रसिद्ध है। सरलाबेन ने 1948 में इस आश्रम की स्‍थापना की थी। सरलाबेन का असली नाम कैथरीन हिलमेन था और बाद में वे गांधी जी की अनुयायी बन गई थी। यहां करीब 70 अनाथ और गरीब लड़कियां रहती है और पढ़ती हैं। ये लड़कियां पढ़ने के साथ-साथ स‍ब्‍जी उगाना, जानवर पालना, खाना बनाना और अन्‍य काम भी सीखती हैं। यहां एक वर्कशॉप है जहां ये लड़कियां स्‍वेटर, दस्‍ताने, बैग और छोटी चटाइयां आदि बनाती हैं।

पंत संग्रहालय : हिन्‍दी के प्रसिद्ध कवि सुमित्रानंदन पंत का जन्‍म कौसानी में हुआ था। बस स्‍टैंड से थोड़ी दूरी पर उन्‍हीं को समर्पित पंत संग्रहालय स्थित है। जिस घर में उन्‍होंने अपना बचपन गुजारा था, उसी घर को संग्रहालय में बदल दिया गया है। यहां उनके दैनिक जीवन से संबंधित वस्‍तुएं, कविताओं का संग्रह, पत्र, पुरस्‍कार आदि‍ को रखा गया है।

कौसानी चाय बागान : बढि़या किस्‍म की गिरियाज उत्तरांचल चाय 208 हेक्‍टेयर में फैले चाय बागानों में उगाई जाती है। ये चाय बागान कौसानी के पास ही स्थित हैं। यहां बागानों में घूमकर और चाय फैक्‍टरी में जाकर चाय उत्‍पादन के बारे में जानकारी प्राप्‍त की जा सकती है। यहां आने वाले पर्यटक यहां से चाय खरीदना नहीं भूलते। यहां की चाय का जर्मनी, ऑस्‍ट्रेलिया, कोरिया और अमेरिका में निर्यात किया जाता है।kausani-uttarakhand

निकटवर्ती स्थल

कोट ब्रह्मरी : कौसानी से करीब 21 किलोमीटर दूर स्थित तेहलीहाट में कोट ब्रह्मरी मंदिर है। ब्रह्मरी मंदिर देवी दुर्गा के भ्रमर अवतार को समर्पित है जो उन्‍होंने अरुण नामक दैत्‍य के वध के लिए लिया था। पर्वत पर विराजमान देवी का मुख उत्तर की ओर है। अगस्‍त में यहां मेला लगता है। तीन दिनों तक चलने वाले इस मेले में भक्‍तों की भारी भीड़ होती है।

कब जायें कौसानी : पहाड़ों की खूबसूरती देखने के लिए वैसे तो किसी भी समय जाया जा सकता है। परन्तु यहाँ घूमने के लिए मई-जून तथा दिसम्बर-जनवरी ज्यादा उचित है। उसका कारण यह है कि जहाँ मई-जून में मैदानी इलाकों में तापमान चरम पर रहता है या यूँ कहें कि सड़ी गर्मी पड़ती है वहीँ उन दिनों पहाड़ों में बेहद सुहावना मौसम होता है। इसके अलावा जो लोग बर्फ देखने के शौक़ीन हैं अगर वो दिसम्बर-जनवरी में पहाड़ों की सैर करें तो वे यहाँ बर्फ का आनन्द ले सकते हैं। kausani-uttarakhand

कैसे पहुंचे कौसानी :

कौसानी पहुँचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर में है। जबकि नजदीकी रेल जंक्‍शन काठगोदाम है। जहां से बस या टैक्‍सी द्वारा कौसानी पहुंचा जा सकता है। कौसानी दिल्ली से करीब 425 किलोमीटर तथा नैनीताल से 120 किलोमीटर जबकि अल्मोड़ा से 53 किलोमीटर दूर है।