देहरादून : उत्तराखंड शिक्षा विभाग में संयुक्त निदेशक के पद पर कार्यरत कुलदीप गैरोला द्वारा लिखित पुस्तक “नेतृत्व की डोर, सफलता की ओर’’ का विमोचन शनिवार को ग्राफिक ऐरा हिल यूनिवर्सिटी के सभागार में आईपीएस तृप्ति भट्ट, आयुष भट्ट आईआरएस, बंशीधर तिवारी, आईएएस, सीमा जौनसारी, निदेशक, माध्यमिक शिक्षा, आरके कुंवर निदेशक, अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण, डॉ. आरडी शर्मा, राम कृष्ण उनियाल, विरेन्द्र सिंह रावत, लीलाधर व्यास अपर निदेशक और विभिन्न जनपदों के मुख्य शिक्षा अधिकारियों, अध्यापकों और एससीईआरटी के अधिकारियों की उपस्थिति में किया गया।
सभी अतिथियों ने पुस्तक की सफलता की कामना करते हुए लेखक कुलदीप गैरोला को शुभकानाएं दी। यह पुस्तक नेतृत्व और प्रबंधन के महीन लेकिन महत्वपूर्ण अंतर की व्याख्या करती है, हमारे आस-पास से नेतृत्व के कुछ बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत करती लेखक कुलदीप गैरोला की यह पुस्तक नेतृत्व की डोर, सफलता की ओर, महान भारतीय विरासत से प्रेरित नेतृत्व कौशल पर आधारित है। जो परिवार, सामाजिक प्रतिष्ठान, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, शिक्षा प्रतिष्ठान, और राजनीतिक प्रतिष्ठान सबसे जुड़े हितधारकों का मार्गदर्शन करती है।
पुस्तक का केन्द्र बिन्दु हर व्यक्ति में विद्यमान नेतृत्वकर्ता को सफलता हेतु प्रेरित करना है। इस पुस्तक में नेतृत्व के 50 गुणों पर चर्चा की गयी है। जोकि उदाहरणों के माध्यम से विश्वास जगाते हैं। यह पुस्तक हाल ही में नोशन प्रेस, चेन्नई से प्रकाशित हुई है। पुस्तक के प्राक्कथन प्रो. आरके पाधी, आईआईएम, सम्बलपुर ने लिखा है कि यह पुस्तक इस मिथक को तोड़ती है कि नेतृत्व और प्रबन्धन एक पाश्चत्य अवधारणा है। जबकि भारतीय ज्ञान परंपरा में नेतृत्व के गुणों को सदियों से समाज के समक्ष रखा गया है। और भारतीय नेतृत्व शैली आज सम्पूर्ण संसार हेतु प्रेरणा का श्रोत है। पुस्तक अमेजन, फिलिप कार्ट और बुक वर्ड देहरादून मे उपलब्ध है। इस अवसर पर लेखक कुलदीप गैरोला ने पुस्तक की सामग्री पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह याद रखना आवश्यक है कि प्रबन्धक की बात का पालन होता है जबकि नेता की बात का अनुसरण होता है। एक प्रबंधक के पास भरोसेमंद और प्रदर्शन करने वाले अधीनस्थ हो सकते हैं, जबकि एक नेता के अनुयायी होते हैं।
नेतृत्व के गुण उन सभी को प्राप्त करने की आवश्यकता है जो अपने जीवन में नेतृत्व करना या सार्थक कार्य करना चाहते हैं। यह पुस्तक एक सैद्धांतिक या दार्शनिक दस्तावेज नहीं है, बल्कि वेदों, उपनिषदों, श्रीमद भगवद गीता, रामायण, श्री रामचरितमानस और थिरुक्कुरल से उद्धृत दृष्टांतों के माध्यम से आंखें खोलने वाली है। श्रीमद्भगवद गीता और रामायण में, नेतृत्व की गुणवत्ता के लिए दिलचस्प और मार्गदर्शक संदर्भ हैं। ये वर्तमान नेतृत्व की समस्याओं के समाधान हैं। थिरुक्कुरल, एक क्लासिक तमिल संगम साहित्य, नेताओं के लिए सबक है। नेतृत्व कौशल पर तर्कों का समर्थन करने के लिए इस पुस्तक में दिलचस्प कहानियां हैं। यह पुस्तक अधिकारियों, प्रबंधकों, कर्मचारियों, छात्रों और अभिभावकों के लिए भी उपयोगी होगी। यह पुस्तक आपको एक अच्छा इंसान और एक उत्कृष्ट नेता बनने के लिए प्रेरित करेगी।
पुस्तक के प्रकाशन पर राजकीय शिक्षक संघ के पूर्व मंडलीय प्रवक्ता महेंद्र सिंह नेगी ने लेखक कुलदीप गैरोला को हार्दिक बधाई एवम् शुभकामनाएं दी।