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कोटद्वार: पौड़ी गढ़वाल के कल्जीखाल ब्लॉक के अंतर्गत आदिशक्ति माँ भुवनेश्वरी मंदिर के द्वारा गुरुवार को बिलखेत तिराहे से मंदिर तक भव्य शोभा यात्रा निकालकर नवरात्रों का शुभारम्भ किया गया। इस दौरान पारम्परिक वाध्य यंत्रों (ढोल दमाऊ) तथा गाजे-बाजों के साथ मंदिर तक माँ सानगुडा की डोली यात्रा निकली गई। इस शोभा यात्रा में मंदिर के पीठाधीश गणेश शैल्वल, डॉ राजेश नैथानी, विपिन नैथानी, गोकुल नेगी, उषा नैथानी, कोमल रावत, अर्जुन सिंह रावत आदि के नेत्रत्व में सैकड़ों स्थानीय ग्रामीण महिलाओं और पुरुषो ने भाग लिया।

मां भुवनेश्वरी की महिमा किसी से छिपी नही है। नवरात्रों में आस पास के गांवों से सैकड़ों की संख्या में भक्तों की भीड़ माँ भुवनेश्वरी मंदिर पहुचती है। सतपुली से बांघाट,  ब्यासचट्‍टी,  देवप्रयाग मार्ग पर लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर प्राकृतिक सुन्दरता तथा भव्यता से परिपूर्ण सांगुड़ा नामक स्थान पर यह मां भुवनेश्वरी सिद्धपीठ स्थित है।

लोकश्रुतियों के अनुसार पूर्व समय में जब विदेशी आक्रमणकारियों ने पूजास्थलों को अपवित्र और खण्डित किया तो पांच देवियों ने वीर भैरव के साथ केदारखण्ड (गढ़वाल) की तरफ प्रस्थान किया। मां आदिशक्ति भुवनेश्वरी,  मां ज्वालपा,  मां बाल सुन्दरी,  मां बालकुंवारी और मां राजराजेश्वरी अपनी यात्रा के दौरान नजीबाबाद पहुंची। नजीबाबाद उस समय बड़ी मण्डी हुआ करती थी। सम्पूर्ण गढ़वाल क्षेत्र के लोग उस समय अपनी आवश्यक्ता के सामान के लिये नजीबाबाद आया करते थे। पौड़ी जनपद के मनियारस्यूं पट्‌टी,  ग्राम सैनार के नेगी बन्धु भी नजीबाबाद सामान लेने आये हुये थे। थकावट के कारण मां भुवनेश्वरी मातृलिंग के रूप में एक नमक की बोरी में प्रविष्ट हो गईं। अपना-अपना सामान लेकर नेगी बन्धु वापसी में कोटद्वार-दुगड्‌डा होते हुये ग्राम सांगुड़ा पहुंचे।

सांगुड़ा में श्री भवान सिंह नेगी जी ने देखा कि उनकी नमक की बोरी में एक पिण्डी है जिसको उन्होने पत्थर समझकर फेंक दिया। रात्रि को मां भुवनेश्वरी ने श्री नेगी को स्वप्न में दर्शन दिये और आदेश दिया कि मां के मातृलिंग को सांगुड़ा में स्थापित किया जाय। नैथाना ग्राम के श्री नेत्रमणि नैथानी को भी मां ने यही आदेश दिया। तत्पश्चात विधि-विधान पूर्वक मन्त्रोच्चार सहित मां की पिण्डी की स्थापना सांगुड़ा में की गई। मन्दिर की भूमि के बारे में कुछ मतभेद है कुछ लोगों का कहना है कि मन्दिर की भूमि नैथाना गांव की ही थी, जबकि कुछ लोगों का मानना है कि यह भूमि रावत जाति के लोगों की है। श्री भुवनेश्वरी ग्राम नैथाना, धारी, कुण्ड, बिलखेत, दैसंण, सैली, सैनार, गोरली आदि गांवों का प्रमुख मन्दिर है। इस मन्दिर में मकर संक्रांति के अवसर पर लगने वाला गेंद का मेला (गिन्दी कौथीग) बहुत प्रसिद्ध है।

उपरोक्त लेख आदिशक्ति माँ भुवनेश्वरी देवी के फेसबुक पेज से लिया गया है।