पौड़ी: जनपद के विकास भवन सभागार में आज उत्तराखंड मानव अधिकार आयोग द्वारा न्यायमूर्ति बीके बिष्ट अध्यक्ष, उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग की अध्यक्षता में मानवाधिकार संरक्षण एवं सुशासन के संवेदनीकरण पर परिवादों की सुनवाई की गयी।

दो दिवसीय जन सुनवाई में बुधवार को 39 मामलों की सुनवाई की गई। जिसमें से दो दर्जन से अधिक वादों का मौके पर निस्तारण किया गया। जबकि शेष पर संबंधित जिलों के डीएम के माध्यम से संबंधित विभागों को निराकरण हेतु निर्देश दिए गए।

इस अवसर पर मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि विभिन्न प्रकार के मुआवजा प्रकरण से संबंधित मामलों में बहुत ही सतर्कता बरतने की जरूरत है। ऐसे मामलों का धरातल पर ठीक तरह से सत्यापन करके ही मुआवजा संबंधित मामलों का निस्तारण करना चाहिए। जिससे किसी भी तरह का फर्जीवाड़ा ना हो पाए और सरकार को अनावश्यक रूप से वित्तीय बोझ ना पड़े।

उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में सरकार से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से मुआवजा लेने की प्रवृत्ति बढ़ी है और इसमें लगातार वृद्वि देखी जा रही है। इसलिए ऐसे प्रकरणों में बहुत पारदर्शिता और जमीनी स्तर पर बारिकी से सत्यापन करने के पश्चात ही आगे बढ़ा जाय ताकि सरकार के वित्तीय संसाधनों का राष्ट्रहित में अधिक से अधिक सद्पयोग हो सके और सरकारों से फ्री की स्कीम लेने की होड़ पर लगाम लग सके। क्योंकि देश के संसाधनों को उन जगहों पर लगाना चाहिए जहां से राष्ट्र का और अधिक जनमानस का भला हो सके।

इस दौरान सुनवाई में उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग के अन्य सदस्य गिरधर सिंह धर्मशक्तू और राम सिंह मीना के साथ-साथ सचिव उत्तराखंड शासन हरि चंद्र सेमवाल, अनुसचिव उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग रजिन्द्र सिंह झिंक्वाण सहित संबंधित अधिकारी व कार्मिक उपस्थित थे।