डिलीवरी DOON-mahila-hospital

देहरादून: उत्तराखण्ड की लचर स्वास्थ्य सेवाओं के चलते गुरूवार को अस्पताल के फर्श पर डिलीवरी के दौरान जच्चा-बच्चा दोनों की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि प्रदेश की राजधानी देहरादून स्थित दून महिला अस्पताल में बेड के अभाव में प्रसव से पीड़ित एक महिला की अस्पताल के फर्श पर ही डिलीवरी हो गई। डिलीवरी के बीस मिनट बाद ही जच्चा-बच्चा दोनों की ही मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल में समुचित उपचार नहीं मिलने से जच्चा-बच्चा की मौत हुई है।

उत्तरकाशी के चिन्यालीसौड़ के रहने वाले सुरेश राणा ने बीती 15 सितंबर को अपनी गर्भवती पत्नी 27 वर्षीय सुचिता को अस्पताल में भर्ती कराया था। बेड नहीं मिलने से गर्भवर्ती महिला पांच दिन तक बरामदे में ही लेटी रही। वहीं बृहस्पतिवार सुबह साढ़े चार बजे के आसपास बरामदे में ही महिला ने बच्चे को जन्म दे दिया। लेकिन उचित उपचार नहीं मिलने तथा अस्पताल में तैनात स्टाफ की लापरवाही के चलते बीस मिनट बाद ही जच्चा-बच्चा की मौत हो गई है।

आरोप है कि परिजन मदद के लिए स्टॉफ से गुहार लगाते रहे, लेकिन उनकी मदद नहीं की गई। बच्चे की मौत हो जाने पर स्टॉफ से जच्चा को बचाने के लिए कोशिश करने की अपील की गई, लेकिन करीब बीस मिनट तक तड़पने और उपचार न मिलने के कारण उसने भी दम तोड़ दिया। इस घटना के बाद सूबे की स्वास्थ्य सेवाएं फिर कटघरे में खड़ी हो गई हैं।

मामले की गंभीरता को देखते हुए अस्पताल में पुलिसबल तैनात किया गया है। दून महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. मीनाक्षी जोशी का कहना है कि मामला बेहद गंभीर है, अस्पताल प्रबंधन ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर दी है। जांच में जो भी दोषी पाया जायेगा उस पर कड़ी कार्रवाई की जायेगी। डॉ. मीनाक्षी जोशी कहना है कि उक्त महिला सात महीने की गर्भवती थी। उसमें खून की भारी कमी थी। उसे खून चढ़ाया जा रहा था। चार यूनिट खून चढ़ने के बाद रिएक्शन होने पर उसको खून चढ़ाना रोका गया था। लेबर रूम में ही उसको रखा गया था। महिला को बेड दिया गया था, लेकिन वो अपने बेड पर कभी भी मौजूद नहीं रहती थी परिणाम स्वरूप ये हादसा हो गया।

इधर, घटना के बाद परिजनों व अन्य लोगों ने अस्पताल में जमकर हंगामा भी किया। बिना पोस्टमार्टम किये ही मृतका व नवजात शिशु का अंतिम संस्कार भी कर दिया गया है।