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नैनीताल: उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने एनआईटी श्रीनगर को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार, राज्य सरकार तथा एनआईटी दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। सोमवार को मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की संयुक्त खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की। अगली सुनवाई दो सप्ताह के बाद नियत की है।

सुमाड़ी निवासी मोहन काला ने इस मामले में गत नवंबर माह में नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की थी। जिसमे कहा गया था कि वर्ष 2009 में स्वीकृत एनआईटी उत्तराखंड के लिए श्रीनगर से करीब 20 किलोमीटर दूर सुमाड़ी सहित अन्य गांव के लोगों ने एनआईटी के स्थायी कैंपस निर्माण के लिए नापभूमि दान में दी थी। यहां नापभूमि और सरकारी भूमि मिलाकर लगभग 300 एकड़ जमीन तकनीकी शिक्षा समिति को ट्रांसफर की गई थी। लेकिन वर्ष 2012 में एनआईटी की ओर से गठित कमेटी ने इस भूमि को अनुपयुक्त बता दिया। तब से भूमि चयन का मामला लंबित है और इसी वजह से आज तक एनआईटी का निर्माण नहीं हुआ है। याचिकाकर्ता का कहना है कि वर्ष 2012 में एनआईटी की ओर से गठित कमेटी ने गलत रिपोर्ट दी है। याचिका में इसको लेकर सरकार को आवश्यक निर्देश जारी करने की मांग की गई। सोमवार को हुई सुनवाई में अदालत ने संबंधित ग्रामीणों को पक्षकार बनाया है। आदालत में केंद्र व प्रदेश सरकार और एनआईटी प्रशासन को दो सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। मामले में अगली सुनवाई दो सप्ताह के बाद नियत की है।

बतादें कि वर्ष 2009 में स्वीकृत एनआईटी उत्तराखंड वर्ष 2010  से श्रीनगर स्थित पॉलीटेक्निक और आईटीआई की परिसंपत्तियों में संचालित हो रहा है। परन्तु पिछले कुछ वर्षों से अस्थाई कैंपस में सुविधाओं के अभाव तथा स्थाई कैम्पस की मांग की समय समय बात उठती रहती है। बीते 4 अक्टूबर से एनआईटी के स्थाई परिसर के निर्माण, सड़क दुर्घटना में घायल छात्रा के इलाज एवं अस्थाई कैंपस के स्थानांतरण की मांग को लेकर छात्र आंदोलित थे। छात्रों के आंदोलन को देखते हुए एमएचआरडी ने एनआईटी प्रशासन को अस्थाई कैंपस के लिए उपयुक्त स्थान तलाशने के निर्देश दिए थे। एनआईटी प्रशासन ने आईडीपीएल ऋषिकेश में जगह भी ढूंढ ली थी, लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के बाद एनआईटी को ऋषीकेश शिफ्ट नहीं किया गया।

इस बात से आक्रोशित छात्र 27 नवंबर से दिल्ली के जंतर-मंतर पर अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत हो गए। छात्रों के उग्र आंदोलन को देखते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने आंदोलित छात्रों को एनआईटी जयपुर शिफ्ट करने के निर्देश एनआईटी श्रीनगर के डायरेक्टर को दिये है। जिसके बाद कई छात्र जयपुर के रवाना भी हो चुके हैं। अब देखना है कि उत्तराखण्ड हाईकोर्ट द्वारा एनआईटी श्रीनगर को लेकर दायर जनहित याचिका पर सोमवार को केंद्र सरकार, राज्य सरकार तथा एनआईटी से दो सप्ताह के अंदर जवाब मांगे जाने के बाद इस मामले में क्या निर्णय आता है।