राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा पूर्व वर्षों की भांति इस बार भी दशहरे के दिन एनपीएस रूपी रावण का दहन करेगा। मोर्चा पुरानी पेंशन व्यवस्था को बहाल करने के लिए लगातार सरकार पर दबाव बनाने की नीति पर कार्य कर रहा है। इसी के तहत देशभर में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक पेंशन न्याय यात्रा राष्ट्रीय अध्यक्ष बीपी सिंह रावत के नेतृत्व में चलाई जा रही है।
राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के प्रांतीय अध्यक्ष मुकेश प्रसाद बहुगुणा का कहना है कि वास्तव में रामराज्य तभी बहाल होगा, जब कर्मचारियों को उनकी वास्तविकता आवश्यकता पुरानी पेंशन बहाल होगी।
राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के प्रांतीय महासचिव सीताराम पोखरियाल का कहना है कि पेंशन इसलिए जरूरी है, क्योंकि कर्मचारी जो 60 वर्ष तक सक्षम है तो सेवा देते हैं और जब 60 वर्ष बाद रिटायर्ड हो जाते हैं। और जब उन्हें वास्तविक रूप से सहयोग की आवश्यक्ता होती है सरकार उनका अधिकार भी उनसे छीन रही है।
राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के प्रांतीय आईटी सेल प्रभारी अवधेश सेमवाल का कहना है कि राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा का संकल्प पुरानी पेंशन को पुनः बहाल कराना है। जिसके लिए लगातार हर पर्व, त्यौहार पर या राष्ट्रीय पर्व के माध्यम से भी पुरानी पेंशन बहाली की आवाज को गंभीरता पूर्वक केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है दशहरा पर्व पर प्रदेश के 80 हजार एनपीएस कार्मिकों ने एनपीएस रूपी रावण दहन करने का कार्यक्रम निर्धारित किया है। जिससे एनपीएस कार्मिक अपने परिवार जनों के साथ अपने अपने गांव नगर शहर में इस कार्यक्रम को सफल बनायेगे। जिससे सरकार एवं देश की जनता एनपीएस काला कानून को समझने लगेंगे।एनपीएस योजना रावण रूपी राक्षस से भी भयानक है, केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों को पुरानी पेंशन हर हाल में लागू करनी होगी।
राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के प्रांतीय उपाध्यक्ष डॉ डीसी पसबोला सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहते हैं कि स्वयं के लिए तो नीतिनियंताओं ने पुरानी पेंशन रखी हुई है, जबकि वे कोई भी कार्य कर सकते हैं, जबकि सरकारी कर्मचारी जो केवल सरकारी आमदनी पर निर्भर है उसे पुरानी पेंशन देने को सरकार तैयार नहीं है।
राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के उत्तरकाशी जनपद अध्यक्ष गुरुदेव रावत ने पेंशन बहाल होने तक संघर्ष का आह्वान किया।
वर्ष 2004 में पुरानी पेंशन योजना बंद कर दी थी
केंद्र सरकार ने वर्ष 2004 में पुरानी पेंशन योजना को बंद कर बाजार आधारित नई पेंशन योजना शुरू की है। बताया गया था कि कर्मचारियों को इससे लाभ मिलेगा। संयुक्त मोर्चा का कहना है कि कार्यपालिका के लिए इसे थोपा गया। विधायिका के लिए पुरानी पेंशन ही रखा गया। कार्यपालिक वर्ग 2004 के बाद बाजार की भेंट चढ़ गए, जबकि विधायिका पुरानी पेंशन शुकून से ले रहे हैं। माेर्चा का कहना है कि नई पेंशन बुढ़ापे का सहारा नहीं है, इसीलिए 2004 के बाद भी विधायिका ने अपने लिए पुरानी पेंशन जारी रखा है और कार्यपालिका के हिस्से में नई पेंशन को थोप दिया गया है। एक ही देश व प्रदेश में अलग-अलग पेंशन योजना का विरोध लगातार जारी है।