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उत्तराखंड में अगर हम समस्याओं की बात करें तो आज भी पलायन एक बहुत बड़ी समस्या है। खासकर पहाड़ी क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य तथा सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में निरंतर बड़े शहरों की ओर पलायन करते रहे हैं। सबसे बड़ी और गंभीर बात यह है कि पृथक उत्तराखंड राज्य बनने के बाद से ही बड़ी तेजी से पलायन हुआ है‌। बीते 20 वर्षों में प्रदेश के लगभग हर गाँव से कुछ न कुछ हद तक पलायन हुआ है। एक अनुमान के मुताबिक उत्तराखंड में पलायन के चलते अब तक सैकड़ों गांव पूरी तरह से निर्जन (घोस्ट विलेज) हो चुके हैं। परन्तु इस सब के बीच उत्तराखंड के पहाड़ी जनपद उत्तरकाशी में एक ऐसा गाँव भी है जहाँ से आज तक एक भी परिवार ने पलायन नहीं किया।

आज हम आपको उस गाँव के बारे में बताते हैं जिसे सही मायनों में आदर्श गाँव कहा जा सकता है। सिर्फ पलायन मुक्त ही नहीं बल्कि यह ग्रामसभा कई मायनों में विशेष है। हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के नौगांव ब्लाक के दियाड़ी ग्रामसभा की। 44 परिवार और 450 की आबादी वाले इस गाँव का हर परिवार अपने पुश्तैनी व्यवसाय यानी खेती से जुड़ा हुआ है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस गांव में साक्षरता दर करीब 95% है और आज तक एक भी परिवार ने रोजगार के लिए पलायन नहीं किया है।

ग्रामीणों के मुताबिक गाँव का हर परिवार गेहूं और धान के साथ नकदी फसलों का भी उत्पादन करता है। यहाँ एक परिवार एक वर्ष में तकरीबन पांच से दस लाख रुपये तक के टमाटर, शिमला मिर्च व मटर आदि सब्जियां एवं फल बेचता है। इन उत्पादों को खरीदने के लिए विकासनगर, देहरादून, सहारनपुर और दिल्ली की आजादपुर मंडी से आढ़ती आते हैं। यही इस ग्रामसभा की संपन्नता की कुंजी है।

जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 150 किमी दूर स्थित दियाड़ी ग्रामसभा सड़क मार्ग से जुड़ी हुई है। इस ग्रामसभा को बीते 31 मार्च को इस वर्ष का नानाजी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्रामसभा पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। इस गाँव के ग्रामीणों ने पालीथिन का सामूहिक बहिष्कार किया हुआ है, जिसकी बदौलत यह ग्रामसभा पूरी तरह पालीथिन मुक्त है। ग्रामसभा पालीथिन मुक्त होने के साथ स्वच्छता के मानकों पर भी पूरी तरह खरी उतरती है। ग्राम प्रधान सुषमा वर्मा ने बताया कि दियाड़ी गाँव में हर सप्ताह ग्रामीण सामूहिक रूप से स्वच्छता अभियान चलाते हैं। ग्रामसभा के रास्ते, पनघट, पंचायत घर व बरात घर में स्वच्छता अभियान चलाया जाता है।

इस ग्रामसभा की संपन्नता और सामाजिक सरोकार हर किसी को लुभाते हैं। जिसकी वजह है पारदर्शिता के साथ होने वाले विकास कार्य। मनरेगा व अन्य विकास योजनाओं से गांव में जो भी कार्य करवाए जाते हैं, उनकी जन उपयोगिता को लेकर पहले ग्रामीणों की बैठक होती है। साथ ही सोशल आडिट भी किया जाता है।

ग्राम प्रधान ने बताया कि नानाजी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्रामसभा पुरस्कार के तहत ग्रामसभा को दस लाख रुपये मिले हैं। इन्हें खर्च करने के लिए भी ग्रामसभा की एक सामूहिक बैठक हो चुकी है और दूसरी बैठक होनी है। बैठक में बढ़ते पेयजल संकट को दूर करने के लिए इस धनराशि के उपयोग पर चर्चा हुई। बताया कि जिस पेयजल श्रोत से ग्रामसभा के लिए पानी की आर्पूति होती है, उसमें पानी लगातार कम हो रहा है। यही स्थिति रही तो आने वाले वर्षों में संकट बढ़ सकता है। इसलिए पेयजल स्नोत को रिचार्ज करने के लिए इस राशि से पौधारोपण, चाल-खाल निर्माण आदि कार्य किए जाएंगे। ताकि पानी की किल्लत का सामना न करना पड़े।

पलायन मुक्त गाँव “नैणी” 

दियाड़ी गाँव के अलावा भी उत्तरकाशी जनपद के नौगांव ब्लाक का ही एक और गाँव नैणी गांव है, यह गाँव भी पलायन मुक्त गाँव की श्रेणी में आता है। बताया जाता है कि इस गांव से भी आज तक किसी परिवार ने पलायन नहीं किया है। गांव के युवा नौकरी के लिए गांव से पलायन करने के बजाय गांव में ही नकदी फसल उत्पादन से सालाना 5-15 लाख तक आमदनी कर रहे हैं। करीब 300 आबादी वाले गांव में महज दस लोग सरकारी नौकरी में हैं और गांव से पलायन शून्य है।