देहरादून: उत्तराखंड के कुमाऊँ अंचल में मनाये जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से के त्यौहार है बिरुड़ पंचमी। जिसे सातू-आठू यानि गौरा पर्व के प्रथम दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन मनाया जाता है। इस त्यौहार को मनाने का एक खास अंदाज़ है। महिलाऐं उपवास रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं।
पंचमी के शुभ अवसर पर कूर्मांचल परिषद देहरादून की सभी शाखाओं द्वारा अपने-अपने स्थान पर आज बिरूड पंचमी मनाई गई। कूर्मांचल परिषद देहरादून की सांस्कृतिक सचिव बबिता साह लोहानी ने बताया कि उत्तराखंड के कुमाऊं में सातू-आठू यानि गौरा महेश पर्व मनाया जाता है। शिव-पार्वती की उपासना का यह पर्व इसकी शुरुआत बिरूड़ (पांच प्रकार का अनाज) भाद्र माह के पंचमी को भिगाये जाते है। बिरुड़े का अर्थ बिरुड़ पंचमी के दिन एक साफ तांबे या पीतल के बर्तन में पांच या सात तरह के अनाज को मंदिर के पास भिगोकर रखा जाता है। भिगोये जाने वाले अनाज मक्का, गेहूं, गहत, ग्रूस (गुरुस), चना, मटर और कलुं हैं। बर्तन के चारों ओर नौ या ग्यारह छोटी-छोटी आकृतियां बनाई जाती हैं। ये आकृतियां गोबर से बनती हैं, इन आकृति में दूब डोबी जाती है।
यह पर्व भाद्र महीने की पंचमी से शुरू होता है और पूरे हफ्ते चलता है। कूर्माचल परिषद देहरादून की सभी शाखाओ (कांवली, मोहहब्बेवाला, धर्मपुर, प्रेमनगर, नत्थनपुर, हाथीबड़कला, इंदिरानगर, माजरा, कांडली, गढ़ी, रायपुर, बालावाला) आदि द्वारा यह त्यौहार अपने-अपने स्थान में मनाया जाता है। जिसमें सामूहिक रूप से सभी महिलाएं प्रतिभाग करती हैं। परिषद का हमेशा प्रयास रहा है कि अपनी पुरानी संस्कृति और सभ्यता को हमेशा जीवित रखें और सभी त्योहारों को सामूहिक रूप से मनाते रहे।