Anandam is a better effort

आनंदम् पाठ्यचर्या क्या, क्यों और कैसे के अंतर्गत शनिवार को डाइट चड़ीगॉंव, जिला पौड़ी गढ़वाल द्वारा गूगल मीट के माध्यम से प्रतिभागियों के उन्मुखीकरण के लिए चर्चा-परिचर्चा आयोजित की गई। जिसमें डाइट चड़ीगॉंव से आनंदम के जनपदीय समन्वयक जगमोहन कठैत, प्रवक्ता डोभाल मैडम, प्रवक्ता रेनू मैडम के साथ-साथ पौड़ी जिले से शिक्षिका संगीता फरासी, रीता सेमवाल, सरिता मेंदोला, ममता भंडारी, सुनीता बहुगुणा, शिक्षक विक्रम नेगी सहित कुल 30 शिक्षक/शिक्षिकाओं ने भी प्रतिभाग किया। इसके अलावा सहयोगी संस्था लभ्य फ़ाउंडेशन से प्रणय कुमार, ब्लू ओर्ब से मोहित सिंह एवं ड्रीम ए ड्रीम से पवन चतुर्वेदी ने इस चर्चा की श्रृंखला में जुड़कर अपनी सहभागिता निभाई।

चर्चा-परिचर्चा में सम्मिलित अधिकतर शिक्षकों को आनंदम् पाठ्यचर्या के विषय में बहुत अधिक जानकारी नहीं थी इसीलिए इसको जानने की उत्सुकता और कौतूहल बना हुआ था। इस उत्सुकता को शांत करने हेतु प्रणय कुमार द्वारा सर्वप्रथम सभी शिक्षकों से आपसी परिचय द्वारा चर्चा-परिचर्चा प्रारंभ की गई। शुरुआत साँसों पर ध्यान देने की प्रक्रिया (Mindful Breathing) के द्वारा की गयी। जिसमें अपनी आती जाती सांसों को महसूस करने के लिए कहा गया। इसी क्रम में परिचर्चा को आगे बढ़ाते हुए प्रणय कुमार ने आनंदम् पाठ्यचर्या के Background, Need, Objectives व शिक्षा के उद्देश्य के साथ संबंध को समझाते हुए बताया कि पूरी पाठ्यचर्या ‘social emotional learning’ आधारित ‘experiential learning’ पाठ्यचर्या है। कैसे यह पाठ्यचर्या बच्चों को stress (तनाव), Violence (हिंसा), anxiety (चिंता), bullying (बदमासी) और depression (अवसाद) जैसी चुनौतियां से पार पाने में मददगार होगी।

पाठ्यचर्या के आयाम, syllabus एवं pedagogy के बारे में चर्चा करते हुये प्रतिभागियों से विचारों के प्रति सजग एवं विचारों में उलझा रहने (mindful–माइंडफूल एवं Mind full- माइंडफुल्ल) के अंतर, इसके फायदे एवं नुकसान पर परिचर्चा कारवाई। आज बच्चों की ही नहीं अपितु हम सब की माइंडफुल्ल की यही स्थिति बनी हुई है। मेरा स्वयं का यह मानना है कि आनंदम् के इस प्रयास से विद्यार्थियों के साथ-साथ हमें भी कई तरह के लाभ हो सकते हैं। जैसे भावनात्मक सुदृढ़ता, क्रोध से मुक्ति, वर्तमान में समग्रता से जीने की क्षमता का विकास, एक दूसरे को समझने की क्षमता का विकास, जीवन मूल्यों का विकास, मानवता के संबंधों को समझने के शक्ति का विकास आदि। वर्तमान में शिक्षा का स्तर तो बढ़ रहा है लेकिन उसे जीवन में समझ कर उतारने का स्तर कम हो रहा है। नैतिक मूल्यों का निरंतर पतन हो रहा है।  आनंदम् पाठ्यचर्या विद्यार्थियों के साथ-साथ हम सबको नैतिक एवं सामाजिक मूल्यों से जोड़कर सामाजिक सरोकारों से हम सबका नाता जोड़ने का कहीं ना कहीं भगीरथ प्रयास कर रही है। इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए मुख्य हथियार कहानियों की भूमिका की तरफ हम सबका ध्यान आकर्षित किया गया। कहानियों की आवश्यकता क्यों है, कहानी का उद्देश्य क्या है, कहानी सुनाने के पश्चात विद्यार्थियों में किन जीवन मूल्यों का विकास होगा, गतिविधि किन मूल्यों या भावों को बढ़ावा देने हेतु बनायी जाएगी यह कक्षावार समझाया गया।

अंत में कहानी के फॉर्मेट को समझाते हुए प्रणय कुमार ने सभी शिक्षक साथियों से अपनी-अपनी जिज्ञासा को रखने हेतु कहा। परिचर्चा के समापन से पूर्व मोहित सर ने कहानी को कितने समय तक ग्रुप में साझा किया जाएगा इस पर सभी के विभिन्न विचारों का स्वागत किया। एवं कहानी को एक सुधारात्मक परिवर्तन की दिशा में पहुंचाने के लिए सभी शिक्षकों के फीडबैक हेतु अगली गूगल मीट के साथ जुड़ने के लिए विचार मांगे। इस प्रकार आनंदम का हमारा यह गूगल मीट प्रशिक्षण बहुत ही ज्ञानवर्धक होने के साथ-साथ उत्साहवर्धक भी रहा।

आनंदम् का यह प्रयास भारतीय मैकाले की शिक्षा पद्धति के ताबूत में एक मजबूत कील बनकर परिवर्तन हेतु मील का पत्थर साबित होगा। धन्य हैं वे लोग जो अपने निहित स्वार्थों से हट कर देश के नैतिक उत्थान के लिए शिक्षा की जड़ों को सीचने का प्रयास कर रहे हैं आनंदम् के इस प्रयास को आने वाली संतति नमन अवश्य करेगी।