Operation Meghdoot Siachin: देश आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर जश्न मना रहा है। वहीँ 38 साल पहले सियाचिन ग्लेशियर में बर्फीली पहाड़ियों पर शहीद हुए कुमाऊं रेजीमेंट के लांस नायक चंद्रशेखर का पार्थिव शरीर एक दिन पहले बरामद हुआ है। बता दें कि 13 अप्रैल 1984 को भारतीय सेना ने दुनिया के सबसे दुर्गम युद्धस्थल सियाचिन ग्लेशियर में आपरेशन मेघदूत लॉन्च किया था। सियाचिन ग्लेशियर पर कब्जे की सूचना पर ऑपरेशन मेघदूत के तहत श्रीनगर से भारतीय जवानों की कंपनी पैदल सियाचिन के लिए निकली थी। इस लड़ाई में प्रमुख भूमिका 19 कुमाऊं रेजीमेंट ने निभाई थी। इस पूरे ऑपरेशन में 35 अधिकारी और 887 जेसीओ-ओआरएस ने अपनी जान गंवा दी थी।
ऑपरेशन मेघदूत के दौरान 29 मई 1984 की सुबह चार बजे आए एवलांच यानी हिमस्खलन में कुमाऊं रेजिमेंट के 19 जवान दब गए थे। जिनमें से 14 जवानों का शव बरामद कर लिया गया था, लेकिन पांच जवानों का शव नहीं मिल पाया था। जिसके बाद सेना ने चंद्रशेखर के घर में यह सूचना दी थी कि उनकी मौत बर्फीले तूफान की वजह से हो गई है। एक दिन पहले की चंद्रशेखर हरबोला और उनके साथ एक अन्य जवान का शव सियाचीन के बर्फ में मिला।
शहीद चंद्रशेखर का पार्थिव शरीर मिलने की सूचना से परिजनों के जख्म एक बार फिर हरे हो गए। शहीद का पार्थिव शरीर मंगलवार को हल्द्वानी पहुंचने की संभावना है। जहां रानी बाग स्थित चित्रशाला घाट में पूरे सैनिक सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
मूल रूप से उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के रानीखेत तहसील अंतर्गत बिन्ता हाथीखुर गांव निवासी लांसनायक चंद्रशेखर हर्बोला 1971 में कुमाऊं रेजिमेंट में भर्ती हुए थे। मई 1984 को बटालियन लीडर लेफ्टिनेंट पीएस पुंडीर के नेतृत्व में 19 जवानों का दल ऑपरेशन मेघदूत के लिए निकला था।
29 मई को भारी हिमस्खलन से पूरी बटालियन दब गई थी, जिसके बाद उन्हें शहीद घोषित कर दिया गया था। उस समय लांसनायक चंद्रशेखर की उम्र 28 साल थी। शनिवार रात शहीद की पत्नी शांति देवी को फोन से जानकारी मिली कि शहीद लांसनायक चंद्रशेखर का पार्थिव शरीर ग्लेशियर से बरामद हुआ है।