हरिद्वार: उत्तराखंड के उच्च शिक्षा विभाग एवं पतंजलि विश्वविद्यालय की ओर से पतंजलि योगपीठ हरिद्वार में आयोजित दो-दिवसीय राष्ट्रीय ज्ञानकुंभ का शनिवार को देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उद्घाटन किया। इस आयोजन में करीब दो हजार से ज्यादा शिक्षाविद् समेत करीब पांच हजार लोग भाग ले रहे हैं।
उत्तराखण्ड सरकार और पतंजलि योगपीठ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित होने वाले ज्ञानकुंभ के उद्घाटन कार्यक्रम में 18 राज्यों के उच्च शिक्षामंत्री व उच्च शिक्षा सचिव और 131 विश्वविद्यालयों के कुलपति शामिल रहे। इस ऐतिहासिक ज्ञानकुम्भ के बारे में उच्च शिक्षा राज्यमंत्री डा. धनसिंह रावत और पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि देश में अपनी तरह का यह पहला आयोजन है ।
दो-दिवसीय राष्ट्रीय ज्ञानकुंभ कार्यक्रम का शुभारम्भ करने के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद शनिवार सुबह दिल्ली से देहरादून के जौलीग्रांट हवाई अड्डे पर पहुंचे। राज्यपाल बेबी रानी मौर्य और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राष्ट्रपति का स्वागत किया। इसके बाद वह सीधे पतंजलि योगपीठ हरिद्वार के लिए रवाना हो गए।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि देश की दशा व दिशा को बदलने के लिए ज्ञानकुंभ में मंथन होगा। साथ ही उच्च शिक्षा के क्षेत्र की दिक्कतो को दूर करने पर भी विचार होगा। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा में भारत अभी अन्य देशों से पिछड़ा हुआ है। खासकर ग्रामीण भारत में शिक्षा की स्थिति में सुधार की जरूरत है। उन्होंने कहा कि देश में कुल 903 विश्वविद्यालय हैं। इनमें केवल 39 फीसद में ही शोध होता है। 39 हजार महाविद्यालय में से केवल 40 फीसदी महाविद्यालयों में ही उच्च शिक्षा की व्यवस्था है। इन्हीं विषयों से संबंधित मामलों में ज्ञानकुंभ में चर्चा होगी।
इस अवसर पर योग गुरु बाबा रामदेव ने कहा कि शिक्षा के जरिये हमें भारत विश्व गुरु बनाना है। कहा कि इसी उद्देश्य ज्ञान कुंभ का आयोजन हुआ है। प्रदेश में अपनी तरह का यह पहला आयोजन है। ज्ञानकुंभ में पांच तकनीकी सत्रों को मिलाकर कुल नौ सत्र होंगे। समापन सत्र में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुख्य अतिथि होंगे। पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने कहा स्वास्थ्य के अलावा शिक्षा के क्षेत्र में भी पतंजलि महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। ज्ञानकुंभ के माध्यम से उच्च शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार और नवीन विचारों का समावेश होगा। इस आयोजन से निकला संदेश भारतीय शिक्षा के लिए मील का पत्थर साबित होगा।