उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार ने 20 अप्रैल से ही प्रदेशभर में सभी शिक्षण संस्थान बंद करने के आदेश दिए गए हैं। परन्तु बावजूद इसके कुछ स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई या अन्य संचार माध्यमों के लिए शिक्षकों को स्कूल बुलाया जा रहा है। जिसके बाद आज शिक्षा सचिव आर. मीनाक्षीसुंदरम ने आदेश जारी कर कोरोना काल में स्कूल बंदी के दौरान शिक्षकों को भी स्कूल बुलाने पर रोक लगा दी।
सरकार ने साफ किया है कि कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए स्कूलों को बंद किया गया है। ऐसे में शिक्षकों को स्कूल बुलाने से संक्रमण फैलने का खतरा है। शिक्षक अपने घरों से ही अपनी कक्षा-विषयों की ऑनलाइन पढ़ाई जारी रखेंगे। शिक्षा सचिव आर. मीनाक्षीसुंदरम ने रविवार को आदेश जारी करते हुए कहा कि सरकार ने कोरोना संक्रमण की वजह से 20 अप्रैल से स्कूलों को बंद कर दिया है। परन्तु सरकार के संज्ञान में आया है कि बावजूद इसके कई स्कूलों में शिक्षकों को स्कूल आकर ऑनलाइन पढ़ाई कराने का दबाव बनाया जा रहा है। इससे संक्रमण की रोकथाम के लिए जारी गाइडलाइन का उल्लंघन होने की पूरी संभावना है। शिक्षक ऑनलाइन पढ़ाई को घर से ही जारी रखेंगे।
आनलाइन पढ़ाई पर केवल ट्यूशन फीस लेंगे निजी स्कूल
उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए मुख्यमंत्री के निर्देश पर राज्य में सभी शिक्षण संस्थान बंद किए गए हैं। अधिकांश संस्थानों में आनलाइन माध्यम से पढ़ाई चल रही है। कोरोना स्कूल बंदी के दौरान फीस को लेकर भी सरकार ने रविवार को विधिवत आदेश जारी कर दिया। शिक्षा सचिव के अनुसार स्कूल बंद रहने की अवधि में प्राइवेट स्कूल केवल टयूशन फीस लेंगे। जो अभिभावक फीस देने में सक्षम नहीं होंगे, वो स्कूलों से फीस जमा करने के लिए अतिरिक्त समय मांग सकते हैं। लेकिन, किसी भी परिस्थिति में फीस देने में देरी की वजह से छात्र को स्कूल से नहीं हटाया जा सकता। सरकारी, अर्द्धसरकारी अधिकारी-कर्मचारी को अपने बच्चों की फीस को नियमित रूप से अदा करना होगा। शिक्षा सचिव के अनुसार शासन को शिकायतें मिली हैं कि कुछ निजी स्कूल इन परिस्थितियों में भी अभिभावकों पर पूरा शुल्क जमा करने का दबाव बना रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक आनलाइन पढ़ाई हो रही है, तब तक सिर्फ और सिर्फ ट्यूशन फीस ही ली जा सकेगी।