शंभू नाथ गौतम
आज सावन का दूसरा सोमवार है। देश के शिवालयों में श्रद्धालुओं सुबह से ही जलाभिषेक कर रहे हैं। मान्यता है कि भगवान शिव को सोमवार के दिन शिव की भक्ति और उनका जलाभिषेक करने पर शिव की अपार कृपा मिलती है। सावन में जलाभिषेक करने से शंकर प्रसन्न होते है और भक्तों की सभी मनोकामना पूरी करते हैं। लेकिन भगवान भोले के बड़े दरबार में इस बार भी वीरानी छाई हुई है। हम बात कर रहे हैं चारधाम में से केदारनाथ धाम की। कोविड-19 की तीसरी लहर को देखते हुए उत्तराखंड सरकार की ओर से अभी तक चार धाम यात्रा खोलने का आदेश जारी नहीं किया गया है। बता दें कि सावन के महीने में बाबा केदार के दरबार में भक्तों की अच्छी खासी भीड़ रहती थी। देश-विदेश के अनेक हिस्सों से भक्त बाबा केदार का जलाभिषेक करने के लिए पहुंचते थे, लेकिन इस बार कोरोना महामारी के चलते हाईकोर्ट ने चारधाम यात्रा पर रोक लगाई हुई है। जिस वजह से भक्त यहां नहीं पहुंच पा रहे हैं। सावन के महीने और सोमवार के दिन भक्तों से भरा रहने वाले केदारनाथ धाम के साथ बद्रीनाथ में भी सन्नाटा पसरा हुआ है। इन दोनों धार्मिक स्थलों में पुजारी ही पूजा-अर्चना कर रहे हैं। चार धाम यात्रा स्थगित होने के चलते भक्तों में मायूसी छाई हुई है। केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। उत्तराखंड में हिमालय पर्वत की गोद में केदारनाथ मंदिर बारह ज्योतिर्लिंग में सर्वश्रेष्ठ माने जाने के साथ ही ये चार धाम और पंच केदार में से भी एक है। पत्थरों से बने कत्यूरी शैली से बने इस मंदिर के बारे में ये कहा जाता है कि इसका निर्माण पाण्डव वंश के राजा जनमेजय ने कराया था। यहां स्थापित अति प्राचीन शिवलिंग को भी स्वयम्भू यानि स्वत: स्थापित कहा जाता है। सावन में शिवभक्त बड़ी तादात में यहां दर्शन करने आते हैं। दूसरी ओर हरिद्वार के दक्षेश्वर प्रजापति महादेव समेत अन्य शिव मंदिरों में भी आज भोले के भक्त शिव का जलाभिषेक करने के लिए उमड़े। बता दें कि सावन में इस बार कोरोना संक्रमण के चलते कांवड़ यात्रा प्रतिबंधित की गई जिसके चलते में कांवड़िए नहीं आ रहे हैं और केवल स्थानीय लोग ही मंदिर पहुंच रहे हैं। वहीं सावन के दूसरे सोमवार पर उज्जैन के महाकाल में भस्मा आरती में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध जारी रहा। वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं ने भोलेनाथ की पूजा की।