Solar plant scheme is proving to be a boon in Uttarakhand

solar power scheme in uttarakhand : मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने आज सोशल मीडिया पर पौड़ी गढ़वाल के उद्यमी धीरेंद्र सिंह रावत का जिक्र करते हुए कहा कि सौर ऊर्जा पर्वतीय क्षेत्रों में स्वरोजगार के लिए वरदान साबित हो रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने इसके लिए सोलर नीति बनाई है जिसमें 25 किलोवाट के प्लांट लगाने पर ऋण व सब्सिडी दी जा रही है। इसके साथ ही ‘मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना’ भी जल्द लाई जा रही है। बहुत से स्थानीय उद्यमी व युवा इसमें आगे भी आए हैं। उन्होने पौड़ी गढ़वाल के उद्यमी धीरेन्द्र सिंह रावत को बधाई देते हुए कहा कि धीरेन्द्र सिंह रावत ने पौड़ी जिले में सोलर प्लांट स्थापित कर एक उदाहरण तो प्रस्तुत किया ही है साथ ही अन्य युवाओं को प्रशिक्षण आदि देकर उन्हें प्रेरित भी कर रहे हैं। उन्होंने युवाओं से अनुरोध किया है कि स्वरोजगार के लिए पहल करें, सरकार आपको आत्मनिर्भर बनाने लिए हर सम्भव सहायता करने के लिए तत्पर है।

पौड़ी गढ़वाल के ग्राम ओड्डा के रहने वाले धीरेंद्र सिंह रावत ने गाँव में रहते हुए सौर उर्जा के क्षेत्र में अपने आप को एक सफल उद्यमी के रूप में स्थापित किया है। धीरेन्द्र रावत ने अपने गांव के समीप बंजर भूमि पर सोलर प्लांट स्थापित किया है। 500 किलोवाट के इस सोलर प्लांट में प्रतिवर्ष सात लाख यूनिट बिजली का उत्पादन हो रहा है। यह बिजली यूपीसीएल (उत्तराखंड पॉवर कॉरपोरेशन लिमिटेड) को बेची जाती है, जिससे धीरेंद्र रावत को प्रतिमाह चार लाख रुपये की आमदनी हो रही है। धीरेन्द्र रावत ने अपने गाँव में सोलर प्लांट लगाकर न केवल स्वरोजगार को अपनाया है बल्कि वह क्षेत्र के युवाओं को प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार के लिए प्रेरित भी कर रहे हैं।

धीरेन्द्र रावत ने कहा कि सोलर योजना उत्तराखंड में पलायन रोकने के लिए और स्वरोजगार के लिए वरदान साबित हो रही है। उन्होंने बताया कि अभी हमने 14 लोगों को सोलर प्लांट लगाने का प्रशिक्षण देकर तैयार किया है। राज्य सरकार ने अभी पहाड़ लौटे युवाओं के लिए 25 किलोवट के छोटे-छोटे सोलर प्लांट निकाले हैं। सरकार इस पर सब्सिडी और लोन गारंटी भी दे रही है। यह पहाड़ लौटे लोगों के साथ-साथ यहाँ के बेरोजगार युवाओं के लिए भी स्वरोजगार का अच्छा मौका है।

धीरेन्द्र रावत ने बताया कि पहाड़ में सोलर प्लांट लगाने का एक और फायदा है कि हम अपने जल स्रोतों को जोकि बिलकुल सूख चुके हैं दुबारा जीवित कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि सोलर प्लांट लगने से धूप डायरेक्ट जमीन पर नहीं पड़ती है। जिससे पानी के स्रोत विकसित होते हैं। मेरे गाँव में इसका एक उदाहण है, मैंने अपने यहाँ एक 500 किलोवाट का सोलर प्लांट लगाया है, जिससे एक जल स्रोत विकसित हो चुका है। और अभी हम 800 किलोवाट का एक और सोलर प्लांट लगाने जा रहे हैं। इससे एक और जल स्रोत विकसित हो रहा है। उन्होंने बताया कि पहाड़ों में पानी की समस्या काफी हद तक सोलर प्लांट लगाकर हल हो सकती है।