भविष्य के लिए चिन्तित नई पेंशन विहीन कर्मचारियों ने हर तरीके से पुरानी पेंशन की आवाज़ को लगातार बरकरार रखने का मन बना लिया है। शुक्रवार को आयोजित प्रदेश स्तरीय गूगल मीट बैठक को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चे के प्रान्तीय अध्यक्ष अनिल बडोनी ने बताया कि नई पेंशन आच्छादित सभी कर्मचारियों द्वारा पुरानी पेंशन की मांग पर गढ़देश पुरानी पेंशन बहाली सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। आज उत्तराखंड और देश मे पुरानी पेंशन बहाली की एकल मांग को संयुक्त मोर्चे के द्वारा लगातार नई दिशा दी जा रही है। पुरानी पेंशन भविष्य की मांग है जिसे सरकार को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है।
संयुक्त मोर्चे के प्रदेश महासचिव सीताराम पोखरियाल ने बताया कि सेवानिवृति के बाद पुरानी पेंशन योजना जो तत्कालीन सरकारों द्वारा 2005 के बाद से राज्य में बंद कर दी गयी है, उस पुरानी पेंशन योजना में एक निश्चित धनराशि कर्मचारी को मिलती थी। लेकिन अब इस नई पेंशन योजना के द्वारा प्राप्त धनराशि इतनी कम है जिसमे एक महीने का राशन तक नहीं खरीदा जा सकता। पुरानी पेंशन योजना में जीपीएफ प्राप्त होता था जिससे कर्मचारी अपने बच्चों के विवाह, मकान, बच्चों के करियर आदि में खर्च कर अपना बोझ हल्का करता था परन्तु अब कर्मचारी के पास ऐसी कोई सुविधा नहीं।
प्रान्तीय संगठन मंत्री संतोष खेतवाल ने कहा कर्मचारी सरकार के साथ प्रत्येक निर्णय पर कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है। अपने जीवन के स्वर्णिम वर्ष वह देश के विकास में योगदान करते हुए बिताता है। देश को आयकर से लेकर आपदा में प्रत्येक स्थिति में समर्थन देता है। परन्तु उसकी सेवानिवृति के बाद आज कर्मचारी भीख मांगने को मजबूर है। प्रधानमंत्री ने देश को आत्मनिर्भरता का नारा दिया परन्तु बुढापे में जब हाथ पैर किसी काम के न हों और जेब खाली हो तो किस प्रकार आत्मनिर्भरता के उद्देश्य को पूर्ण किया जाय। इसलिए सरकार इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर ध्यान देकर पुरानी पेंशन को बहाल करे।
प्रांतीय महिला उपाध्यक्ष योगिता तिवारी ने कहा कि प्रदेश में महिला कार्मिकों ने विभिन्न तरीकों से पेंशन बहाली की मांग की। कार्मिक महिलाओं का कहना है कि बाजार आधारित नई पेंशन व्यवस्था में प्राप्त पेंशन, बिजली, पानी का बिल भरने लायक भी नही हैं। इसीलिए लगातार राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के बैनर तले सभी कार्मिक सन्गठन एक जुट हो रहे हैं। जहां एक ओर लंबे समय से महिलाओं के सशक्तिकरण और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे कार्यक्रमो से महिलाओं को मजबूत बनाने की बात सरकारे कर रही हैं, वही अपने अधीनस्थ महिला कार्मिकों को ही इस नई पेंशन व्यवस्था के अंधे कुएं में झोंक जा रहा है। शेयर बाजार आधारित पेंशन व्यवस्था ने कई रिटायर कार्मिकों के पेंशन अंशदान को घाटे में ला खड़ा किया है जिससे भविष्य में मिलने वाली पेंशन गुज़ारे लायक भी नही मिलेगी।
प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. डीसी पसबोल ने कहा कि सँयुक्त मोर्चा ने लगातार कोरोना काल मे भी ईमानदारी से सँघर्ष को जारी रखा है जिसे कर्मचारियों का लगातार साथ मिल रहा है। इसी सँघर्ष का परिणाम है कि सरकार पुरानी पेंशन के लिए नींद से जाग गयी है और केंद्र सरकार को पत्र लिखा गया। आज देश के 66 लाख कर्मचारी पुरानी पेंशन की बहाली के लिए 1 दिन का काला दिवस मना कर नई पेंशन योजना का विरोध कर सरकार से आग्रह कर रहे हैं कि पुरानी पेंशन को बहाल कर कर्मचारियों को बुढापे की चिंता से मुक्त करें।सरकार हमारे प्रयासों पर ध्यान दे रही है हाल ही में विधान सभा मे भी संयुक्त मोर्चे के प्रयासों से सत्ता पक्ष के विधायकों ने विधानसभा सत्र में मांग रखी। यह बहुत अच्छी बात है लेकिन राज्य सरकार के मात्र पत्र लिख देना भर हमारी जीत नही है। इससे आगे भी कार्यवाही का संज्ञान लेना आवश्यक है। सभी पदाधिकारियों ने समस्त कर्मचारियों से आग्रह करते हुए कहा कि 31 जनवरी के प्रदेश स्तरीय सम्मेलन में पहुंच कर अपने हक़ की आवाज़ को बुलन्द कर सरकार को मजबूत संदेश दें।