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श्रीनगर गढ़वाल : उत्तराखंड की श्रीनगर विधानसभा इन दिनों सियासी हलकों में चर्चा का केंद्र बनती जा रही है। श्रीनगर विधानसभा में चर्चा इस बात को लेकर नहीं है कि स्थानीय विधायक डॉ. धन सिंह रावत ने अपने कार्यकाल में अब तक विकास कार्यों को लेकर क्या-क्या उपलब्धियां अर्जित की। और चर्चा इस बात को लेकर भी नहीं है कि उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और श्रीनगर के पूर्व विधायक गणेश गोदियाल अपने विपक्षी नेता के धर्म का निर्वाह किस तरह से कर रहे हैं। दरअसल चर्चा इस बात को लेकर है कि साल 2017 के उत्तराखंड विधानसभा चुनावों में श्रीनगर विधानसभा से बतौर आजाद उम्मीदवार चुनावी शिरकत कर चुके उद्यमी व सीए मोहन काला एक बार फिर से चुनावी समर में उतरने का ऐलान कर चुके हैं। साल 2022 में उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव होने हैं। श्रीनगर विधानसभा से चुनावी ताल ठोकने वाले मोहन काला ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं कि वह इस बार भी निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव मैदान में होंगे या फिर क्षेत्रीय पार्टियों का दामन थामेंगे। लेकिन गांव-गांव जाकर लोगों से रूबरू हो रहे मोहन काला के क्षेत्र भ्रमण से इलाके में चुनावी मौसम सा नज़र आने लगा है।

मोहन काला के बाद अगर किसी अन्य शख्स ने श्रीनगर विधानसभा के राजनीतिक हलकों में हलचलें बढ़ा दी हैं तो वह हैं समाजसेवी गजेंद्र चौहान। दिल्ली-एनसीआर में समाजसेवा कर रहे समाजसेवी गजेंद्र चौहान ने अब उत्तराखंड का रुख किया है। कांग्रेस को अलविदा कहकर चौहान ने उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी का दामन थामा है। श्रीनगर में चौहान ने लगभग 200 से ज्यादा लोगों के साथ आम आदमी पार्टी की सदस्यता ली है। चौहान की राजनीति हैसियत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि उनके साथ आप में शामिल होने वाले लोगों में स्थानीय निकाय और पंचायतों से जुड़े रहे जनप्रतिनिधि भी शामिल हुए हैं। दिल्ली में आम आदमी पार्टी के विधायक प्रवीण कुमार की मौजूदगी में हुए इस सदस्यता ग्रहण समारोह को एक तरह से श्रीनगर सीट से गजेंद्र चौहान की आम आदमी पार्टी की दावेदारी के तौर पर देखा जा रहा है। गजेंद्र चौहान युवा हैं और सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में पिछले काफी समय से सक्रिय हैं। ऐसे में अगर आम आदमी पार्टी श्रीनगर सीट पर गजेंद्र को लेकर दांव चलती है तो फिर श्रीनगर विधानसभा का सियासी नक्शा कैसा होगा इस बात को लेकर राजनीति के पंडित गुणा-भाग के गणित में जुट गए हैं। हालाँकि कि अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि कौन सी पार्टी किसे टिकट देगी।

उत्तराखंड में विधानसभा चुनावों को लेकर अभी तकरीबन डेढ साल का समय बाकी है। लेकिन समाजसेवी और उद्यमी मोहन काला, समाजसेवी गजेंद्र चौहान की सक्रियता ने कांग्रेस और बीजेपी के रणनीतिकारों को अभी से सोचने पर मजबूर कर दिया है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड सरकार में अहम दायित्व निभा रहे राज्यमंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने इन दोनों ही समाजसेवियों की सक्रियता पर बराबर नज़र रखनी शुरू कर दी है। वहीं दो बार के विधायक रहे गणेश गोदियाल भी अब हवा का रुख भांपते हुए जनता जनार्दन की थाह लेने का मन बना रहें हैं। यह बात अलग है कि कोरोनाकाल में गणेश गोदियाल की स्थानीय जनता से दूरी अभी भी क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है।

डॉ. कुसुम भट्ट शर्मा की रिपोर्ट