अल्मोड़ा : भारत सरकार द्वारा घोषित इस साल के पद्म पुरस्कारों में भी कालजयी सुर सम्राट गोपालबाबू गोस्वामी का नाम शामिल न होने से उत्तराखण्ड समेत देशभर के कलाकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवी वर्ग में गहरा आक्रोश है। उत्तराखण्ड के जाने-माने युवा समाजिक कार्यकर्ता तथा “ग्रामीण विकास जनसंघर्ष समिति” के कार्यकारी निदेशक मोहन चंद्र उपाध्याय ने इस मामले में अपनी खुली नाराजगी का इजहार करते हुऐ, उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, देश के गृहमंत्री अमित शाह तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर भारत के महान लोकगायक स्व. गोपालबाबू गोस्वामी को राष्ट्रीय सम्मान से वंचित रखने के दुखद फैसले पर अपनी कड़ी आपत्ति दर्ज करते हुऐ, स्वर्गीय गोस्वामी के द्वारा लोककला के क्षेत्र में समाज के लिये किये गये सदी के सर्वोच्च योगदान को याद दिलाया। प्राप्त जानकारी के अनुसार महान लोकगायक स्वर्गीय गोपालबाबू गोस्वामी का कल मंगलवार को 79वे जन्मदिन की पूर्व संध्या पर प्रधानमंत्री को भेजे गये अपने शिकायत पत्र में युवा एक्टिविस्ट उपाध्याय ने हिमालय सुर सम्राट गोपाल बाबू गोस्वामी के साथ राष्ट्रीय पुरस्कारों में हुये घोर अन्याय का उल्लेख करते हुये पीएम से इस मामले पर हस्तक्षेप कर महान लोकगायक गोपालबाबू गोस्वामी को मरणोपरांत राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित करने की माँग दोहराई। समाजिक कार्यकर्ता उपाध्याय ने अपने पत्र में आरोप लगाकर प्रधानमंत्री को सम्बोधित करते हुऐ लिखा है, “कि बेहद दुख और अफसोस के साथ कहना पढ़ रहा है कि, हिमालय सुर सम्राठ के नाम से विख्यात भारत के महानतम लोकगायक, गीतकार, लेखक, उद्घोषक तथा समाज सुधारक स्वर्गीय गोपालबाबू गोस्वामी के लिये आम जनता की गुहार के बाबजूद आज तक किसी भी सरकार ने ना तो जीते जी और ना ही उन्हें मरणोपरांत किसी भी राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित किया है। जबकि समाज कल्याण और राष्ट्रहित सर्वोपरि के सिद्धान्त पर आजन्म समर्पित रहे गोपालबाबू गोस्वामी ने अपनी लेखनी और सुरों का इस्तेमाल कर आम जनमानस के मन मस्तिष्क पटल पर एक ऐसी प्रेरणाप्रद और अमिट छाप छोड़ी कि लाखों लोगों ने उन्हें अपना आदर्श गायक मानकर उनके प्रकृति प्रेम, देश प्रेम, दया, करुणा, सदाचार, सामाजिक समरसता, अंत्योदय समाजसेवा से जुड़ी बातों को आत्मसात किया। अपने शिकायत पत्र में स्व. गोस्वामी की प्रतिभा का उल्लेख करते हुऐ युवा एक्टिविस्ट उपाध्याय ने कहा कि बहुमुखी प्रतिभा के धनी गोपालबाबू गोस्वामी भारत के कला जगत में सदी के एकमात्र ऐसे दुर्लभतम (आल इन वन) कलाकार थे, जो स्वयं ही अपनी चमत्कारिक लेखनी से सामाजिक प्रेरणा के कालजयी गीतों को लिखते थे और स्वयं अपने शाश्वत मंत्रमुग्ध सुरों से इस तरह गाते थे कि उनके द्वारा गायी गयी लगभग सभी रचनायें सुपरहिट होकर अमर साहित्यिक कृतियों में दर्ज हुई। करीब साढ़े पाँच सौ सदाबहार लोकगीतों की स्वयं रचना कर सूचना, शिक्षा और मनोरंजन को एक साथ समेटकर जीवंत लोकगीत बनाने की कला में उनके जैसा माहिर कलाकार शायद ही दूसरा कोई हुआ हो। पीएम को भेजे गए पत्र में समाजिक कार्यकर्ता उपाध्याय ने लोकगीतों के माध्यम से समाज के लिये गोपालबाबू गोस्वामी के द्वारा किये गये उत्कृष्ट योगदान को याद करते हुऐ लिखा है कि गोपालबाबू गोस्वामी आधुनिक भारत के ऐसे पहले समाजसेवी गायक थे जिन्होंने 80 के दशक में ही अपने लोकगीतों के माध्यम से ग्रामीण भारत से हो रहे भीषण पलायन, हिमालयन पहाड़ी राज्यों की पीड़ा, जनसंख्या, बेरोजगारी, जल, जंगल, पर्यावरण प्रदूषण, पाश्चात्य सभ्यता और भारतीय समाज में आ रहे खौफनाक विकृतियों, नारी पीढ़ा आदि सभी ज्वलंत मुद्दों से देश को सावधान रहने की चेतावनी जारी कर दी थी, जिन समस्याओं से आज देश अब बूरी तरह जूझ रहा है। गोपालबाबू गोस्वामी के 79वे जन्मदिन पर उपाध्याय की माँग और आक्रोश का जोरदार समर्थन करते हुऐ वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता गिरीश चंद्र जोशी, तारा दत्त शर्मा ,नैनीताल हाईकोर्ट बार के प्रेसीडेंट अधिवक्ता पूरन सिंह बिष्ट, पंजाब हाईकोर्ट के अधिवक्ता मदन मोहन पांडेय, सामाजिक कार्यकर्ता केश्वदत्त जोशी, गोविंद बल्लभ उपाध्याय, दयाल पांडेय, मधु पांडेय, मनोरथ उपाध्याय समेत दर्जनों समाजिक कार्यकर्ताओं ने स्वर्गीय गोपालबाबू गोस्वामी को राष्ट्रीय पुरस्कार देने की माँग की।