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नैनीताल : उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में इन दिनों अधिकांश जंगल आग से धधक रहे हैं। वनाग्नि से करोड़ों की वन संपदा तो बर्बाद हो ही रही है साथ ही लाखों वन्य जीव जंतु भी इस आग की भेंट चढ़ रहे हैं। अक्सर देखने में आया है कि अधिकांश घटनाएं अराजक तत्वों द्वारा शुरू की जाती है।

नैनीताल जिला मुख्यालय के आसपास व समीपवर्ती ग्रामीण इलाकों में लगातार बढ़ रही वनाग्नि की घटनाओं ने वन विभाग को बैचेन कर दिया है। वन विभाग ने इन घटनाओं को रोकने के लिए अब जन सामान्य से सहयोग मांगा है। साथ ही माना है कि अधिकांश वनाग्नि की घटनायें मानवीय कृत्य हो सकती हैं। वन विभाग का मानना है कि बिना जनसहयोग के वनाग्नि की घटनाओं को रोकना असम्भव है। जिसके बाद वनाग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए नैनीताल वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी (DFO) टीआर बीजूलाल ने अपनी ओर से बड़ी पहल की है। उन्होंने आग लगाने वालों की सूचना देने वाले व्यक्ति को अपनी ओर से 10 हजार रुपए का नगद ईनाम देने की घोषणा की है। साथ ही यह भी आश्वस्त किया है कि सूचना देने वाले की पहचान पूरी तरह से गोपनीय रखी जाएगी। वहीं आग लगाने वालों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करते हुए उन्हें जेल भेजा जाएगा।

उन्होंने जनसामान्य से अपील की है कि वह आग लगने की सूचना देने के साथ ही आग को रोकने व बुझाने में स्वयं भी योगदान देकर वन विभाग का सहयोग करें। उन्होंने कहा है कि वन सभी के हैं, और सभी का जीवन वनों पर निर्भर है। बिना जनसहयोग के वनाग्नि को रोकना भी वन विभाग के लिए अकेले संभव नहीं है। साथ ही उन्होंने बताया कि वन विभाग के नैनीताल वन प्रभाग के द्वारा लीसा एवं पिरूल एकत्रीकरण के जरिये स्थानीय युवाओं को रोजगार देने का प्रयास भी किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि वन प्रभाग द्वारा पिरूल से रोजगार तथा लीसा निविदा के स्थानीय युवाओं को रोजगार देने हेतु प्रयास किये जा रहे हैं। साथ ही स्वयं सहायता समूहों, महिला मंगल दलों, युवक मंगल दलों के माध्यम से रोजगार के साधन उपलब्ध कराने के प्रयास किये हैं। उन्होंने कहा कि इस वित्तीय वर्ष में ईको टूरिज्म के माध्यम से भी रोजगार उपलब्ध कराये जायेंगे।