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नैनीताल : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों को फिलहाल कोई राहत नहीं दी है। बुधवार को मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि फिलहाल चुनाव प्रक्रिया शुरू हो गई है, इसलिए अब इस मामले में राहत नहीं दी जा सकती। अदालत ने राज्य सरकार से चार सप्ताह में जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।

उल्लेखनीय हैं कि उत्तराखंड सरकार ने पंचायत राज अधिनियम 2016 में संशोधन कर 25 जुलाई 2019 को अधिसूचना जारी की थी। संसोधन के तहत त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में दो बच्चों से अधिक बच्चे वालों को चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित कर दिया था। इस मामले में मोहन सिंह मेहरा और अन्य लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर पंचायत राज अधिनियम के सेक्शन 53(1)आर और सेक्शन 90(1)आर को चुनौती दी थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि सरकार ने ग्राम प्रधान के पद का चुनाव लड़ने के लिए भी अधिकतम दो बच्चों की शर्त रखी थी लेकिन हाईकोर्ट ने बीते 19 सितंबर को सरकार के इस फैसले को पलटते हुए कहा कि 25 जुलाई 2019 के बाद जिनके दो से अधिक बच्चे होंगे वे ही चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी थी लेकिन वहां भी सरकार को सफलता नहीं मिली।

याचिकाकर्ताओं की ओर से क्षेत्र पंचायत सदस्य व जिला पंचायत सदस्य के पदों पर भी तत्काल राहत देने की मांग की गई. परन्तु हाई कोर्ट ने इस पर तुरंत राहत देने से इनकार कर दिया है। हालांकि मामले को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है और सरकार को चार सप्ताह में जवाब देने के निर्देश दिये है। कोर्ट ने कहा है कि चुनाव प्रक्रिया शुरू हो गयी है और इन पदों पर चुनाव लड़ने को लेकर हजारों लोगों ने नामांकन पत्र भर दिए है।