देहरादून: उत्तराखंड में राजकीय शिक्षक संघ ने सरकार पर शिक्षकों की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए सोमवार को आरपार की लड़ाई का ऐलान कर दिया। शिक्षकों का कहना है कि यदि सरकार ने लंबित मांगों पर ठोस कार्यवाही न की तो शिक्षक साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे। शिक्षक और उनके परिवार के सदस्य 2024 के लोकसभा चुनाव में भाग नही लेगें। इसके साथ ही शिक्षक विभागीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल न होंगे और न ही ऑनलाइन हाजिरी भरेंगे। साथ ही प्रभारी के रूप में प्रधानाचार्य का काम देख रहे शिक्षक भी अपनी जिम्मेदारी को छोड़ देंगे। यह व्यवस्था तत्काल प्रभाव से लागू होगी। यही नहीं 7 नवंबर को शिक्षा निदेशालय की तालाबंदी भी की जाएगी।

बता दें कि राजकीय शिक्षक संघ ने शिक्षकों की 35 सूत्रीय मांगों को लेकर बीते 19 सितंबर को चरणबद्ध तरीके से आंदोलन करने की घोषणा की थी। जिसमे प्रथम चरण में 27 सितंबर को काली पट्टी बांधकर विरोध किया गया। इसके बाद दूसरे चरण में 8 अक्टूबर को परेड ग्राउंड में विशाल जागरण रैली निकाली गई। तीसरे चरण में 16 अक्टूबर को सभी जिलों में मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय में एक दिवसीय धरना भी दिया गया। इस पर भी बात नहीं बनने के बाद चौथे चरण के आन्दोलन में 26 अक्टूबर को मंडल मुख्यालयों में एक दिवसीय धरना किया गया। उसके बाद आज यानी सोमवार 30 अक्टूबर को पांचवें चरण के तहत शिक्षा निदेशालय में धरना दिया गया।

संघ के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि चार अगस्त को शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में 35 मांगों पर चर्चा की गई थी। करीब करीब सब पर कार्यवाही का आश्वासन भी दिया गया। लेकिन आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। इसलिए शिक्षकों को मजबूर होकर आंदोलन को आगे बढ़ाने का निर्णय किया गया है। छह नवंबर को 12 से एक बजे के बीच सभी राजकीय शिक्षक ऑनलाइन जुड़ते हुए संकल्प लेंगे कि वो वर्ष 2024 के लोस चुनाव में मतदान नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि यदि आंदोलन की वजह से किसी शिक्षक का उत्पीड़न हुआ तो प्रांतीय कार्य उसकी जवाबदेही लेगी और हर शिक्षक का कवच बनकर आगे खड़ी होगी।

आज के धरने में मुख्यरूप से निम्न प्रस्तावों पर सहमति बनी है

  1. 6 नवम्बर से असहयोग आन्दोलन प्रारम्भ होगा। जिसके तहत सभी प्रभारी प्रधानाचार्य अपने अपने बीईओ को लिखकर देगें कि या तो उन्हें इसका पूर्ण वेतन दिया जाय, अन्यथा वे प्रभार का त्याग करते हैं।
  2. शिक्षक पढाने के अतिरिक्त कोई कार्य नही करेगें
  3. शिक्षक किसी भी प्रकार के प्रशिक्षण में प्रतिभाग नही करेगें।
  4. शिक्षक एमडीएम, पोर्टल, विद्या समीक्षा केंद्र व अन्य हेतु किसी प्रकार की छात्र उपस्थित नही भेजेगें।
  5. 6 नवम्बर को सभी शिक्षक आनलाइन रहकर चुनाव में प्रतिभाग न करने की सपथ लेगें।
  6. शिक्षक और उनके परिवार के सदस्य 2024 के लोकसभा चुनाव में भाग नही लेगें।
  7. 7 नवम्बर को निदेशालय में तालाबंदी होगी।

ये हैं शिक्षकों की प्रमुख मांगे

  • प्रवक्ता, हेडमास्टर और प्रधानाचार्य पदों पर तत्काल प्रमोशन
  • 5400 ग्रेड पे वाले शिक्षकों को राजपत्रित अधिकारी का दर्जा
  • तबादलों की विसंगतियों को तत्काल हल कर राहत दी जाए
  • वर्ष 2005 से पहले की विज्ञप्ति से चयनित शिक्षकों को पुरानी पेंशन का लाभ
  • शिक्षक शिक्षा संवर्ग की नियमावली बनाकर शीघ्र गठन किया जाएगा
  • सभी शिक्षकों को चयन-प्रोन्नत वेतनमान पर एक इंक्रीमेंट के लाभ
  • वरिष्ठ एवं कनिष्ठ शिक्षकों की वेतन विसंगति को दूर किया जाए।
  • माता-पिता के निधन पर शिक्षक को 15 दिन का विशेष पितृ अवकाश
  • यात्रावकाश की सुविधा बहाल की जाए

शिक्षकों की नाराजगी को लेकर महानिदेशक-शिक्षा बंशीधर तिवारी ने कहा कि “शिक्षकों की मांगों पर गंभीरता से कार्यवाही की जा रही है। केवल न्यायिक और तकनीकि पेंच से जुड़े विषयों पर विलंब हो रहा है। मासिक परीक्षाएं कम करने की मांग पर आदेश किया जा चुका है। बाकी सभी मांगों पर कार्यवाही लगातार जारी है। नीतिगत विषय होने की वजह से थोड़ा समय अपेक्षित होता है। शिक्षक आश्वस्त रहें, उनकी मांगों को लेकर विभाग पूरी तरह से गंभीर है।

धरना प्रदर्शन में प्रांतीय कार्यकारिणी के सभी सदस्य, दोनों मंडलों की कार्यकारिणी, विभिन्न जनपदों, ब्लाकों की कार्यकारिणी के सदस्य उपस्थित रहे। धरने में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष केके डिमरी भी शामिल रहे। बैठक की अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष रामसिंह चौहान ने की।