नई दिल्ली: बिहार की राजधानी पटना में मंगलवार को “बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन” का शतीवर्ष आयोजित किया गया। महान कवयित्री महादेवी वर्मा की जयंती पर आयोजित इस ऐतिहासिक हिन्दी साहित्य सम्मेलन में देश के सभी प्रान्तों से 100 विदुषियों को एक साथ एक मंच पर आमंत्रित किया गया। शताब्दी-सम्मान समारोह का शुभारम्भ गोवा की राज्यपाल और विदुषी साहित्यकार डॉ. मृदुला सिन्हा ने द्वारा किया गया। इस अवसर पर “भारत की विदुषियाँ” नाम से पुस्तक का भी विमोचन किया गया। इस मौके पर संपूर्ण भारतवर्ष से चुनी गई विदुषियों को साहित्य सम्मेलन शताब्दी-सम्मान से विभूषित किया गया। जिसमें उत्तराखण्ड से शिक्षिका आरती पुण्डीर को भी राज्यपाल डॉ. मृदुला सिन्हा द्वारा सम्मान पत्र एवं शॉल भेंटकर सम्मानित किया गया।
इस मौके पर डॉ. मृदुला सिन्हा ने कहा कि भारत की विदुषियों का सम्मान वस्तुत: भारत की उस उच्च परंपरा का सम्मान है जिसमें स्त्रियों को प्रथम-पूज्या माना जाता रहा है। भारत की विदुषियां पुरुषों से मुक्ति की नहीं बल्कि प्रति और संस्कृति की कहानी लिखती हैं। अनेक लोक-गीतों के माध्यम से भारतीय नारी-मन के विविध भावों की उन्होंने लालित्यपूर्ण व्याख्या की। इस आयोजन के लिए उन्होंने साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ को बधाई दी।
प्राचीन समय से शिक्षा का केन्द्र रहे बिहार की राजघानी पटना में राष्ट्रीय स्तर के साहित्य सम्मान मिलने पर उत्तराखंड के श्रीनगर गढ़वाल के साहित्य, सांस्कृतिक एवं शिक्षक संगठनों एवं खिर्सू ब्लॉक के उपशिक्षा अधिकारी पी एल भारती ने अपार हर्ष व्यक्त कर शिक्षिका आरती पुण्डीर को बधाई एवं शुभकामनायें प्रेषित की हैं।
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