पौड़ी गढ़वाल: उत्तराखंड में मानसून आने के बाद से पहाड़ी जिलों में भारी बारिश और बादल फटने के मामले सामने आने लगे हैं। ताजा जानकारी के मुताबिक पौड़ी गढ़वाल के जयहरीखाल ब्लॉक के अंतर्गत ग्राम किमार के देशयूं तोक के गधेरे में देर रात भारी बारिश और बादल फटने से जल स्रोत, पाइप लाइन व सड़क बह गई। जिसके चलते दंगलेश्वर गडकोट गिवाली मोटर मार्ग 9 किलोमीटर पर बन्द हो गया। जिससे ग्रामीणों का बाजार से संपर्क टूट गया। सूचना मिलने पर प्रशासन की टीम मौके पर भेज दी गई है।
क्षेत्र पंचायत सदस्य किरन रौतेला ने बताया कि देशयूं गॉव व खरखा ग्राम की पेयजल लाइन पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो गई। वही ग्राम सभा किमार के सिंचित खेत बह गए। उन्होंने कहा शासन प्रशासन को ग्रामीणों को सिंचित खेत का उचित मुआवजा देना चाहिए। वहीं पेयजल लाइन को जल्द दुरस्त कर सुचारु करना चाहिए जिससे कि ग्रामीणों को राहत मिल सके।
अनिल चनियाल उपजिलाधिकारी सतपुली ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रशासन द्वारा मौका मुआयना किया जा चुका है और रोड खोलने का कार्य शुरू कर दिया है। साथ ही पेयजल सुचारू किये जाने को लेकर कार्य को लेकर सम्बंधित विभाग को निर्देशित किया जा चुका है।
बीरोंखाल में भारी बारिश से कई घरों में घुसा मलबा
उधर बीरोंखाल ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले सुकई गांव के आसपास हो रही भारी बारिश से मलबा लोगों के घरों में घुस गया। जिसके बाद लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। लोगों ने प्रशासन से जल्द समस्या के निस्तारण की मांग की है। वहीं जिलाधिकारी ने अपने अधीनस्थ अधिकारियों को मौके पर जानकर वास्तविक स्थिति का आकलन करने के निर्देश दिए हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन की ओर से उनकी समस्या का सही तरीके से समाधान नहीं किया गया, जिसके चलते बारिश होने से फिर से लोगों के घरों में मलबा घुसने लगा है। ब्लॉक प्रमुख बीरोंखाल राजेश कंडारी ने कहा कि पहले भी उनके क्षेत्र में भारी बारिश से तबाही हुई थी और जिस तरह से फिर भारी बारिश हो रही है। ग्रामीणों के घरों के अंदर तक बारिश का पानी और मलबा चला गया है, जिससे ग्रामीण काफी परेशान हैं। उन्होंने जिलाधिकारी पौड़ी से आग्रह किया है कि इस संबंध में ठोस कार्य योजना बनाई जाए। कहा कि भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए इस मानसून सीजन में कोई अप्रिय घटना न घटे, इसको लेकर जल्द कार्य किया जाए।
जिलाधिकारी पौड़ी डॉ. आशीष चौहान ने कहा कि इस संबंध में क्षेत्र के एसडीएम को निर्देशित किया गया है कि वह मौके पर जाकर वास्तविक स्थिति का आकलन करें, जो भी आवश्यकता है उसकी जानकारी मुहैया करवाई जाए।