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श्रीनगर गढ़वाल : उत्तराखंड के पावन पर्व बसंत पंचमी के अवसर पर लोक परंपराओं के संरक्षण और संवर्धन के तहत आज नगर पालिका सभागार श्रीनगर में परम्परागत लोक गीतों, थडिया, चौफला और झुमैला लोक गीतों के गायन के साथ ही परंपरागत वाद्य यंत्रों, लोक कलाकारों के द्वारा किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य आतिथि प्रसिद्ध इतिहासकार शिब प्रसाद नैथानी, नगर पालिका सभासद पूजा गौतम और प्रमिला भण्डारी, बिण्ष्णुदत्त कुकरेती, शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष पीके जोशी द्वारा दीप प्रज्जवलित कर किया गया। मुख्य अतिथियों का स्वागत पारम्परिक लय्या (सरसों) के फूलो के गुलदस्ते से किया गया। उत्तराखंड की महान लोकपरंपरा पर आधारित इस कार्यक्रम की शुरुआत ढोल सागर के ज्ञाता देवेन्द्र लाल द्वारा ढोलवादन से की गई। इसके बाद महिला मंगल चमराड़ा द्वारा आई पंचमी माव की…… झुमैला चौफला गाया गया। कार्यक्रम थडिया, चौफुला और झुमैला में प्रमिला भण्डारी एवं साथी महिलाओं द्वारा आकर्षक प्रस्तुति दी गई।

ढोलवादक देवेन्द्र, दमाऊँ पर सोनू द्वारा देवी जागर व बसन्त के गीत के अलावा सोनू और मसक वादक राजकुमार ने मसक बाजे पर कई लोक गीतों का प्रदर्शन किया। इन सभी लोक कलाकारो को शाल ओढाकर सम्मानित किया गया। अतुल चमोली राआउप्रा विद्यालय चमराड़ा और श्रीमती आरती पुण्डीर के शिष्य द्वारा डौंर थाली का संयुक्त प्रदर्शन किया गया।basant-panchami

माघ का यह पूरा मास ही उत्साह देने वाला है, माघ मास से हमारे पारम्पारिक त्यौहारों का आगमन बसन्त के साथ शुरु हो जाता है। वसंत पंचमी का पर्व भारतीय जनजीवन को अनेक तरह से प्रभावित करता है। प्राचीनकाल से इसे ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती का जन्मदिवस माना जाता है। जो शिक्षाविद भारत और भारतीयता से प्रेम करते हैं, वे इस दिन मां शारदे की पूजा कर उनसे और अधिक ज्ञानवान होने की प्रार्थना करते हैं। जो महत्व सैनिकों के लिए अपने शस्त्रों और विजयादशमी का है, जो विद्वानों के लिए अपनी पुस्तकों और व्यास पूर्णिमा का है, कवि हों या लेखक, गायक हों या वादक, नाटककार हों या नृत्यकार, सब दिन का प्रारम्भ अपने उपकरणों की पूजा और मां सरस्वती की वंदना से करते हैं। वसन्त पञ्चमी के समय सरसो के पीले-पीले फूलों से आच्छादित धरती की छटा देखते ही बनती है।

लोक कलाकारों के द्वारा इस पावन पर्व बसंत पंचमी के अवसर पर लोक परंपराओं के संरक्षण और संवर्धन के तहत परम्परागत लोक गीतों, थडिया, चौफला और झुमैला लोक गीतों के गायन के साथ ही परंपरागत वाद्य यंत्रों का वादन किया गया। कार्यक्रम मे संयोजक के रूप में डा० सुभाष पाण्डे, के अलावा मुकेश काला, प्रभाकर बाबुलकर, पी० एल० पाण्डे, रंगकर्मी बिमल बहुगुणा, बीरेन्द्र रूडोला, प्रेमलाल डंगवाल, विनोद चमोली, डॉ. सुभाष पाण्डेय, अंजलि खरे, दीपिका भंडारी, वसुधा गौतम, शालिनी बहुगुणा आदि ने शामिल थे। इस अवसर पर महेंद्र सिंह नेगी, देवेन्द्र उनियाल, हेमचंद्र ममगाईं सहित दर्जनों दर्शक मौजूद थे।

इस अवसर पर प्रो पीके जोशी, सभासद प्रमिला भण्डारी, पूजा गौतम, कार्यक्रम संयोजक डॉ. शुभाष पाण्डेय, मुकेश काला, पीएल पाण्डेय, रंगकर्मी विमल बहुगुणा, वीरेन्द्र रूडोला, प्रेमलाल डंगवाल, विनोद चमोली, आरती पुण्डीर, अतुल चमोली, मुन्नी पाण्डेय, दिवाकर बाबुलकर, अंजलि खरे, दीपिका भंडारी, वसुधा गौतम, शालिनी बहुगुणा महेंद्र सिंह नेगी, देवेन्द्र उनियाल, हेमचंद्र ममगाईं सहित दर्जनों लोग मौजूद थे।