पौड़ी विधानसभा (आरक्षित) सीट पर टिकट को लेकर भाजपा में भी घमासान कम नही हैं। मौजूदा विधायक मुकेश कोली मोदी लहर में कांग्रेस प्रत्याशी नवल किशोर से सात हजार से ज्यादा मतों से जीत गए थे। परन्तु इस मर्तबा उनकी टिकट सुनिश्चित नही लगती है। नामंकन प्रक्रिया शुरु होने में मात्र दो दिन रह गए हैं, और भाजपा में टिकट को लेकर मौजूदा विधायक मुकेश कोली और राजकुमार पोरी के दरमियान जो रार मची हैं, वह सतह पर आ चुकी हैं।  मौजूदा विधायक के क्षेत्र में जगह-जगह विरोध के अलावा संगठन का एक बड़ा धड़ा उनका टिकट का विरोध कर रहा हैं।

एक ओर वर्तमान विधायक मुकेश कोली सिटिंग गेटिंग फार्मूले के आधार पर हाई कमान के भरोसे चुनाव मैदान में डटे हुए है। वहीँ दूसरी ओर राजकुमार पोरी भी लगातार क्षेत्र में भ्रमण कर रहे हैं। वह अपने आपको जनता में इस प्रकार प्रस्तुत कर रहे हैं, जैसे वही भाजपा के आघोषित प्रत्याशी हो। वह निरंतर अपनी सरकार की उपलब्धियों को गांव-गांव तक जनसभाओं के माध्यम से गिनाते रहते हैं। इसके अलावा वे होडिंग और बैनरों के माध्यम से भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर पार्टी हाईकमान में प्रबल दावेदारी का संदेश सूचना तंत्र के माध्यम दर्ज करा चुके है। वह इस मर्तबा मौका नही गवाना चाहते हैं। वह 2012 से दावेदारी कर रहे हैं। इस मर्तबा उनके साथ संगठन का एक बड़ा धड़ा पहले से ही मजबूती से खड़ा है। और टिकट की पैरवी भी कर रहा हैं। ऐसे में उनका पक्ष मजबूत माना जा रहा है। हलांकि दावेदारी के फेहरिस्त में पूर्व प्रत्याशी घनानंद, इंजीनियर गणेश चन्द्रा, पूर्व विधायक बृजमोहन कोटवाल की पत्नी विजय लक्ष्मी कोटवाल, राकेश गौरशाली, सविता देवी भी टिकट के लिए दावेदारी कर रहे हैं। सभी ने अपने-अपने स्तर से टिकट के लिए ताकत झोंक रखी है। अब यह पार्टी हाईकमान पर निर्भर है कि वे किसे पौड़ी से अपना उम्मीदवार बनाते हैं। आने वाले दो दिनों में तस्वीर साफ हो जाएगी।

जगमोहन डांगी