Nainital Metropole Encroachment : उत्तराखंड की पर्यटन नगरी नैनीताल के मल्लीताल में राजा महमूदाबाद की शत्रु संपत्ति पर हुए अतिक्रमण को नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश और जिला प्रशासन के नोटिस के बाद हटाना शुरू कर दिया गया है। मेट्रोपोल में चिन्हित 134 अवैध निर्माण के ध्वस्तीकरण की बड़ी कार्रवाई सुबह से शुरू हो गई है। प्रशासनिक व पुलिस अफसरों की मौजूदगी में एक साथ दस बुलडोजर गरज रहे हैं। विरोध की आशंका को देखते हुए नैनीताल में पुलिस प्रशासन अलर्ट मोड पर है। मेट्रोपोल में अतिक्रमण हटाने के अभियान के दौरान कानून व्यवस्था न बिगड़े, इसके व्यापक इंतजाम किए गए हैं। इलाके में पांच कंपनी पीएसी, 80 सब इंस्पेक्टर, 150 महिला कांस्टेबल समेत सैकड़ों की संख्या में सुरक्षाकर्मी मौके पर तैनात हैं। अब तक कई मकानों को जमींदोज किया जा चुका है। ध्वस्तीकरण की कार्रवाई से पूरे शहर में हलचल है।
बता दें नैनीताल हाईकोर्ट ने शत्रु संपत्ति मामले की सुनवाई करते हुए अतिक्रमणकारियों की याचिका की खारिज कर दी है। सुनवाई के दौरान अतिक्रमणकारी महमूद अली, ताहिर समेत अन्य आठ की ओर से कहा गया कि वह सालों से मेट्रोपोल पर काबिज हैं। वहीं, सरकार का पक्ष रखते हुए महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर व मुख्य स्थाई अधिवक्ता सीएस रावत ने कोर्ट को बताया कि पांच अगस्त 2010 को सरकार ने शत्रु संपत्ति पर कब्जा ले लिया था, जिसमें 116 कब्जाधारी भी शामिल थे। अब यह किस आधार पर वहां अपना कब्जा बता रहे हैं। अब इनकी संख्या बढ़कर 134 हो गई है। यह अवैध अतिक्रमणकारी हैं। इन्हें हटाने का आदेश पारित किया जाए। महाधिवक्ता के अनुसार कोर्ट में याचिकाकर्ताओं ने माना कि उनका कब्जा अवैध है।
कोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद कब्जाधारियों ने प्रशासनिक व पुलिस अफसरों की मौजूदगी में शुक्रवार शाम से खुद ही मकान खाली करने आरंभ कर दिए थे। वहीं, खाली हो रहे मकानों पर प्रशासन ने तालाबंदी भी शुरू कर दी थी।
शुक्रवार को हाईकोर्ट से अतिक्रमणकारियों की याचिका खारिज होने के बाद प्रशासन व पुलिस ने चिन्हित घरों को खाली कराने का अभियान छेड़ दिया था। अतिक्रमण की जद में आये लोगों ने खुद ही घर खाली किये और सामान समेटकर अन्यत्र चले गए। रातभर अतिक्रमण की जद में आये लोगों ने अपने घरों की छतों को उखाड़ा। बारिश के बाद लोग चले गए। सुबह मौसम खुलने के बाद प्रशासन ने बुलडोजर मौके पर उतार कर ध्वस्तीकरण अभियान शुरू कर दिया। जो लगातार जारी है।
क्या है शत्रु संपत्ति?
आजादी के बाद देश से कई लोग पाकिस्तान में जाकर बस गए। इसके अलावा 1965 और 1971 के भारत- पाकिस्तान युद्ध को देखते हुए कई लोगों ने यहां से प्रवास किया। इन लोगों को देश छोड़ने के बाद उनकी प्रॉपर्टी छूट गई। ऐसी संपत्तियों को भारत सरकार ने शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया। इस संबंध में सरकार ने सितंबर 1959 में पहला आदेश जारी किया गया था। जबकि इस संबंध में दूसरा आदेश दिसंबर 1971 में जारी किया गया था।