Srinagar News: वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीनगर को चिकित्सा शिक्षा एवं चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने गढ़वाल क्षेत्र के लिए वायरोलॉजी लैब की सौगात दी है। तीन करोड़ 60 लाख रूपये की लागत से स्थापित अत्याधुनिक लैब बनने से उन मरीजों को फायदा मिलेगा, जिनके सैंपल जांच के लिए अन्य प्रदेशों को भेजे जाते थे। अब मेडिकल कॉलेज की लैब में जल्द जांच होने से मरीजों को सैंपल रिपोर्ट का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। साथ ही मेडिकल कॉलेज को लैब स्थापित होने से एमबीबीएस पढ़ाई कर रहे छात्रों को रिसर्च करने में भी सुविधा मिलेगी।
मेडिकल कॉलेज में पहुंचे प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बुधवार को वायरोलॉजी लैब का लोकापर्ण कर जनता के लिए चिकित्सकीय सेवा के लिए समर्पित किया। इस मौके पर स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि मेडिकल कॉलेज में गढ़वाल क्षेत्र के साथ ही चारधाम यात्रा का मुख्य स्वास्थ्य केन्द्र है। यहां पर तमाम चिकित्सकीय उपकरण से लेकर स्थाई डॉक्टरों की तैनाती की गई है। यहीं नहीं मेडिकल कॉलेज में आज अत्याधुनिक मशीनें स्थापित कर चिकित्सकीय सेवाओं को बेहतर बनाया जा रहा है। वायरोलॉजी लैब बनने से तमाम वायरस की जांच यहां हो पायेगी। जनता को सैंपल की जांच रिपोर्ट के लिए कई दिनों का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। यहां की सारी लैबों को हाईटेक बनाया गया है।
उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज अत्याधुनिक संसाधनों के साथ ही सुपर स्पेशलिटी की ओर आगे बढ़ रहा है। कैथ लैब की भी स्थापना हो चुकी है, जल्द कार्डियोलॉजिस्ट की भी तैनाती होने वाली है। कार्यक्रम में कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सीएमएस रावत एवं माइक्रोबायोलॉजी के प्रोफेसर विभागाध्यक्ष डॉ. विनिता रावत का कहना है कि वायरोलॉजी लैब की स्थापना हो जाने से यदि कभी नया वायरस की बीमारी का आउटब्रेक होता है तो वायरस का टाइप व सबटाईप की पहचान व जांच में बहुत आसानी रहेगी तथा वायरस जनित बीमारियों का स्तर पता लगने से ही इलाज करने में आसानी रहती है उन्होंने बताया कि मेडिकल कॉलेज (बेस अस्पताल) में वायरोलॉजी लैब की स्थापना हो जाने से पहाड़ी क्षेत्र में यह पहली लैब होगी जिससे तमाम विभिन्न प्रकार के वायरस जैसे रोगों को प्रथम स्तर पर ही पकड़ा जा सकेगा। सैंपलों की जांच शीघ्र मिल जाने एवं रिसर्च के उपयोग हेतु वायरोलॉजी लैब की स्थापना हो जाने से पहाड़ क्षेत्र के लोगों के लिए यह लैब बरदान है।
वायरोलॉजी लैब और फायदे
इसमें वायरस से फैलने वाली सभी बीमारियों, उनको कंट्रोल करने के तरीके, उनका रेजिस्टेंट तथा किन दवाओं का उन पर असर होता है, आदि पर रिसर्च की जाती है। इससे उनका डायग्नोसिस करने में मदद मिलती है। ऐसी नई बीमारियों के वायरस पर भी रिसर्च की जाती है, जिनकी दवा फिलहाल उपलब्ध नहीं है। उक्त लैब बनने से अब स्वाइन फ्लू, डेंगू, इन्फ्लूएंजा, बर्ड फ्लू, इबोला, रैबीज वायरस, एचआईवी, रोटा वायरस, चिकनगुनिया सहित ऐसी तमाम जांचों के लिए पूणे, भोपाल या दिल्ली के लैब पर आश्रित नहीं रहना पड़ेगा। अस्पताल में इस तरह के वायरस के केस आने पर मरीज के सैंपल लेने पर अन्य प्रदेशों के लैबों को भेजे जाते थे, जिससे रिपोर्ट के लिए मरीजों को तीन दिन से तीस दिन का इंतजार करना पड़ता था। जबकि सैंपल कलेक्ट करने और उसे सुरक्षित कर बाहर भेजने में सैंपल खराब होने का खतरा भी रहता था।
इस मौके चिकित्सा अधीक्षक डा अजेय विक्रम सिंह, फॉरेंसिक मेडिसिन के डा निरजंन गुंजन, एनाटामी के डा अनिल द्विवेदी, बायोकेमैस्ट्री के एचओडी डा कैलाश गैरोला सहित संकाय सदस्य मौजूद थे।