नई दिल्ली: उत्तरांचल विद्युत् परिषद दिल्ली द्वारा दिल्ली के पंचकुईया रोड़ स्थित गढ़वाल भवन में हिंदू नव-वर्ष विक्रमी संवत 2076 के आगमन पर शुभकामना समारोह का आयोजन किया गया। इस वर्ष विक्रमी संवत् 2076, आने वाले 6 अप्रैल से शुरू होने जा रहा है। इसी दिन से चैत्र नवरात्र भी शुरु हैं। समारोह की अध्यक्षता कर रहे ज्योतिष-कर्मकांड के प्रकांड विद्वान, गढवाल हितैषिणी सभा के पूर्व अध्यक्ष व उत्तरांचल विद्वत परिषद के अध्यक्ष पं महिमानंद द्विवेदी के कहा कि परिषद का इस तरह के आयोजन करने का मुख्य उद्देश्य अपनी युवा पीढी को अपनी प्राचीन लोक संस्कृति व धार्मिक अनुष्ठानों से अवगत कराना है। साथ ही भारतीय नव संवत्सर के महत्व को बतालाना है। जितने उत्साह से हम 1 जनवरी को अंग्रेजी नव-वर्ष का स्वागत करते हैं उसी उत्साह से हमें भारतीय नव संवत्सर हिंदू नव-वर्ष चैत्र शुक्ल वर्ष प्रतिपदा का भी स्वागत करना चाहिए।
नव संवत्सर पर व्याख्यान देते हुऐ डॉ. मधुकर द्विवेदी ने कहा कि इस वर्ष 6 अप्रैल 2019 से विक्रम संवत 2076 का आरंभ होगा। इसे परिधावी नामक संवत के नाम से जाना जायेगा। इस वर्ष संवत के राजा शनि होगें और मंत्री सूर्य होगें। इसी दिन से वासन्ती नवरात्र भी शुरु होगें। चैत्र नवरात्र को वासंती नवरात्र भी कहा जाता है। चैत्र में आने वाले नवरात्र में अपने कुल देवी-देवताओं की पूजा का विशेष प्रावधान माना गया है। चैत्र नवरात्रि प्रभु राम के जन्मोत्सव से जुड़ी हैं। हिंदी व संस्कृत अकादमी दिल्ली सरकार के महासचिव डॉ. जीतराम भटट् ने अपने व्याख्यान में कहा की प्राचीन काल से ही उत्तराखंड के गढवाल क्षेत्र ज्योतिष व कुमांऊ क्षेत्र कर्मकांड के लिऐ विख्यात थे। चैत्र नवरात्र मां की शक्तियों को जगाने का आहवान है ताकि हम एवं हमारा राष्ट्र संकटों, रोगों, दुश्मनों, आपदाओं का सामना कर सकें और हमारा बचाव हो सके। साथ ही डॉ. कुसुम नोटियाल, डॉ. हेमा उनियाल, डॉ. सतेन्द्र प्रयासी, पत्रकार सी.एम.पपनै, भागवताचार्य चंद्र वल्लभ बुडाकोटी, आचार्य श्रीधर प्रसाद बलूनी, आचार्य मदनमोहन जोशी, आचार्य अरविंद जखमोला आदि ने भी भारतीय नव-संवत्सर पर अपने विचार रखे।
इस अवसर पर डॉ. बिहारी लाल जालंधरी की किताब “उत्तराखंड की भाषा के ध्वनि आखर” गढवाली कुमाउंनी पर केंद्रित व मंगतराम धस्माना की किताब “उत्तराखंड के सिद्धपीठ” का भी विमोचन हिंदी व संस्कृत अकादमी के सचिव डॉ. जीतराम भटट् के साथ-साथ अन्य विद्वानों द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन परिषद् के महासचिव पवन कुमार मैठाणी व कार्यक्रम संयोजक रमेश घिल्डियाल ने संयुक्त रुप से किया। समारोह का शुभारंभ विद्वान वेद पाठियों के स्व-स्वर वेद पाठ व मीरा मैठाणी गैरोला द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से हुआ। कार्यक्रम दो सत्रों में चला। लंच के बाद दूसरे सत्र में गढवाली-कुमाउनी कवि सम्मेलन हुआ।
कवि सम्मेलन में कवि पूरणचंद कांडपाल, दिनेश ध्यानी, जय सिंह रावत छिप्पड़ दा, रमेश हितैषी, गिरीश भावुक, विजयालक्ष्मी कपरवाण, डॉ. सतीश कालेश्वरी, गिरीश विष्ट हंसमुख, बृजमोहन शर्मा, ललित केशवान, गिरधर रावत, प्रदीप रावत-खुदेड़, ममता रावत, कैलाश धस्माना, मीरा गैरोला व कुमारी संस्कृति ने गढवाली व कुमांउनी भाषा में बंसत पर अपनी कविता का पाठ किया। कवि सम्मेलन का संचालन कवि प्रदीप वेदवाल ने किया। समारोह में उपस्थित विद्वत समाज ने कार्यक्रम की सराहना की। पवन कुमार मैठाणी- महासचिव, उत्तरांचल विद्वत परिषद्, दिल्ली साथ ही पूरी टीम के अथक प्रयासों से सफलतापूर्वक संम्पन हुआ।
देवभूमि संवाद के लिए दीप सिलोड़ी की रिपोर्ट।