नई दिल्ली: देश की राजधानी नई दिल्ली में 1200 करोड़ रूपये की लागत से बने भव्य और हाईटेक नए संसद में आज यानी मंगलवार (19 सितम्बर 2023) से काम-काज शुरू हो गया है। नये संसद भवन की शुरुआत महिला आरक्षण बिल पर लोकसभा की कार्यवाही से हुई। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कार्यवाही के पहले दिन की शुरुआत करते हुए सदस्यों से आग्रह किया कि वे लोगों के मुद्दे उठाकर संसदीय बहस का एक नया मानक स्थापित करें। उन्होंने गणोश चतुर्थी की शुभकामनाएं भी दीं और नये संसद भवन के निर्माण की पहल को एक ऐतिहासिक घटना करार दिया। बिरला ने उन नेताओं को भी श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्होंने राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दिया है और भारत को अपना संविधान दिया है।

नये संसद भवन में कार्यवाही शुरू होने के बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि पुराने संसद भवन को अब संविधान सदन के नाम से जाना जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि संसद का कामकाज यहां नए भवन में स्थानांतरित हो गया है। अध्यक्ष ने यह भी घोषणा की कि अब लोकसभा की कार्यवाही में उपयोग किए जाने वाले सदन, लॉबी और गैलरी जैसे शब्द नई इमारत को संदर्भित करेंगे। उन्होंने कहा, जिस भवन (पुराना भवन) में हम सुबह एकत्र हुए थे, उसे अब संविधान सदन के नाम से जाना जाएगा। इस घोषणा के बाद बिरला ने सदन की कार्यवाही बुधवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

इससे पहले सोमवार को अधिवेशन के पहले दिन पुराने संसद भवन में आखिरी बार बैठक हुई, जिसमें प्रधानमंत्री से लेकर तमाम दलों के नेताओं ने 75 साल के संसद के सफर के बारे में अपने उद्गार व्यक्त किये। सबसे पहले प्रधानमंत्री मोदी को जी20 शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन के लिये दोनों सदनों में बधाई दी गई। इसके बाद मोदी ने अपने भाषण में संसद भवन के 75 साल के सफर का विस्तार से ब्यौरा दिया।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 28 मई को नये संसद भवन का उद्घाटन किया था। इस भवन में वैदिक काल से लेकर आज तक की भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं का वर्णन करने वाली कलाकृतियां स्थापित की गई हैं।

महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने वाला विधेयक लोकसभा में पेश

महिला आरक्षण बिल के पेश होने के साथ सुबह पुराने संसद भवन में विदाई समारोह के बाद जब नये संसद भवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सांसदों को संबोधित किया, उसके फौरन बाद लोक सभा में महिला आरक्षण बिल पेश कर दिया गया। इस नये बिल को नारी शक्ति वंदन अधिनियम नाम दिया गया है। इसमें संसद और विधान सभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित रखने का प्रावधान है। विधेयक पारित होने के बाद लोकसभा में महिलाओं के लिए 181 सीट आरक्षित हो जाएंगी। अभी महिलाओं की संख्या 82 है।

इससे पहले सोमवार शाम को नरेंद्र मोदी सरकार के मंत्रिमंडल ने इस नये बिल पर मुहर लगा दी थी। गणेश चतुर्थी के अवसर पर जब पुराना संसद भवन छोड़कर नवनिर्मित संसद भवन में पहली बैठक हुई, तो सबसे पहले इस विधेयक को पेश किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी दलों से आग्रह किया कि इस विधेयक को सर्वसम्मति से पारित किया जाए। विधेयक पारित होने के बादवजूद 2021की जनगणना आने के बाद ही लागू हो पायेगा। क्योंकि 2024 का चुनाव 1971 की जनगणना के आधार पर होगा। विधेयक में कहा गया है कि यह परिसीमन के बाद लागू होगा। परिसीमन 2026 तक होगा।

महिला आरक्षण बिल पर विपक्ष ने उठाये सवाल

कांग्रेस ने लोकसभा में पेश हुए महिला आरक्षण से संबंधित विधेयक को ‘चुनावी जुमला’ करार देते हुए कहा कि महिलाओं के साथ धोखा हुआ है क्योंकि विधेयक में कहा गया है कि ताजा जनगणना और परिसीमन के बाद यह 2029 से लागू होगा। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि सरकार का यह कदम ‘ईवीएम (इवेंट मैनेजमेंट)’ है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार 2021 की जनगणना कराने में विफल रही है।

रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘ चुनावी जुमलों के इस मौसम में यह सभी जुमलों में सबसे बड़ा है! करोड़ों भारतीय महिलाओं और युवतियों की उम्मीदों के साथ बहुत बड़ा धोखा है। जैसा कि हमने पहले बताया था, मोदी सरकार ने अभी तक 2021 की दशकीय जनगणना नहीं कराई है, जिससे भारत जी20 में एकमात्र देश बन गया है जो जनगणना कराने में विफल रहा है।’’  उन्होंने कहा, ‘‘अब इसमें कहा गया है कि महिला आरक्षण विधेयक के अधिनियम बनने के बाद पहली दशकीय जनगणना के पश्चात ही महिलाओं के लिए आरक्षण लागू होगा।

महिला आरक्षण बिल पर सांसद कपिल सिब्बल ने कहा कि इसमें क्या एतिहासिक है? यह कहते हैं कि आपको महिला आरक्षण 2029 में मिलेगा। इसमें परिसीमन होना जरूरी है। अगर यह (परिसीमन) नहीं होगा तो क्या होगा? यह महिलाओं को एक सपना दिखा रहे हैं कि आपको 2029 में आरक्षण मिलेगा। इनको आज महिला आरक्षण की याद क्यों आ रही हैं? इनकी सोच राजनीतिक है। यह राजनीति के अलावा सोच ही नहीं सकते हैं।

आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेता आतिशी ने मंगलवार को आरोप लगाया कि महिला आरक्षण विधेयक साल 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले महिलाओं को बेवकूफ बनाने वाला विधेयक है। सरकार ने संसद के निचले सदन, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण प्रदान करने से संबंधित ऐतिहासिक ‘नारीशक्ति वंदन विधेयक’ आज लोकसभा में पेश किया। आतिशी ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी को महिलाओं की भलाई और कल्याण में कोई दिलचस्पी नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘विधेयक के प्रावधानों को गौर से पढने पर पता चलता है कि यह ‘महिला बेवकूफ बनाओ’ विधेयक है।’’ विधेयक के अनुसार, परिसीमन प्रक्रिया शुरू होने के बाद आरक्षण लागू होगा और 15 वर्षों तक जारी रहेगा। विधेयक के अनुसार, प्रत्येक परिसीमन प्रक्रिया के बाद लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों की अदला-बदली होगी।

आतिशी ने कहा, ‘‘परिसीमन और जनगणना के प्रावधानों को क्यों शामिल किया गया है? इसका मतलब है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले महिला आरक्षण लागू नहीं किया जाएगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम मांग करते हैं कि परिसीमन और जनगणना के प्रावधानों को हटाया जाए तथा 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए महिला आरक्षण लागू किया जाए।’’