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देहरादून: उत्तराखण्ड के पहाड़ी क्षेत्रों में एक ओर जहाँ बच्चों की कमी के चलते सरकारी स्कूलों में ताले लटक रहे हैं, वही अब राज्य के करीब 20 राजकीय पॉलिटेक्निक संस्थानों पर बंदी की तलवार लटक गई है। हालाँकि इन संस्थानों में छात्र तो हैं, परन्तु सम्बंधित विषयों के शिक्षक नहीं हैं। बताया जा रहा है कि सरकार अब इन संस्थानों को बंद कर छात्रों को दूसरे संस्थानों में शिफ्ट करने पर विचार कर रही है। इसके लिए पहले ही 250 संविदा कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।

वर्तमान में उत्तराखण्ड में 70 राजकीय पॉलिटेक्निक हैं। इनमें हर साल प्रवेश परीक्षा और उसके बाद काउंसलिंग के जरिये विभिन्न ब्रांच (ट्रेड्स) में एडमिशन दिए जाते हैं। बताया जा रहा है की इस बार छात्रों को 20 ऐसे संस्थानों में एडमिशन दिए गए हैं जहाँ पर संबंधित विषय के शिक्षक ही उपलब्ध नहीं हैं। इस कारण अब इन संस्थानों के छात्रों को आसपास के संस्थानों में शिफ्ट किया जायेगा।

सूचना के अनुसार प्राविधिक शिक्षा निदेशक डॉ. अहमद इकबाल ने इस संबंध में अपर मुख्य सचिव तकनीकी शिक्षा को प्रस्ताव भेज दिया है। शासन स्तर से इस पर अभी मुहर लगनी बाकी है। शिफ्ट होने वाले छात्रों में प्रथम वर्ष से लेकर तृतीय वर्ष के छात्र शामिल हैं।

20 पॉलिटेक्निक संस्थान जिनके छात्र होंगे शिफ्ट

  1. राजकीय पॉलिटेक्निक, मल्लासालम, अल्मोड़ा
  2. राजकीय पॉलिटेक्निक, जैंती, अल्मोड़ा
  3. राजकीय पॉलिटेक्निक, जाखणीधार, टिहरी
  4. राजकीय पॉलिटेक्निक, कांडीखाल, टिहरी
  5. राजकीय पॉलिटेक्निक, गैरसैंण, चमोली
  6. राजकीय पॉलिटेक्निक, गोपेश्वर, चमोली
  7. राजकीय पॉलिटेक्निक, जोशीमठ, चमोली
  8. राजकीय पॉलिटेक्निक, जखोली, रुद्रप्रयाग
  9. राजकीय पॉलिटेक्निक, चोपता, रुद्रप्रयाग
  10. राजकीय पॉलिटेक्निक, कपकोट, बागेश्वर
  11. राजकीय पॉलिटेक्निक, चंपावत
  12. राजकीय पॉलिटेक्निक, क्वांसी, देहरादून
  13. राजकीय पॉलिटेक्निक, रामनगर, नैनीताल
  14. राजकीय पॉलिटेक्निक, पाबौ, पौड़ी
  15. राजकीय पॉलिटेक्निक, बांस, पिथौरागढ़
  16. राजकीय पॉलिटेक्निक, बांसबगड़, पिथौरागढ़
  17. राजकीय पॉलिटेक्निक, डीडीहाट, पिथौरागढ़
  18. राजकीय पॉलिटेक्निक, बेरीनाग, पिथौरागढ़
  19. राजकीय पॉलिटेक्निक, बरम, पिथौरागढ़
  20. राजकीय पॉलिटेक्निक, पीपली, उत्तरकाशी

हालाँकि इस सम्बंध में तकनीकी शिक्षा विभाग के एडिशनल डायरेक्टर, आरपी गुप्ता का कहना है कि कुछ राजकीय पॉलिटेक्निक में कई ब्रांच में छात्र संख्या भी कम है और पर्याप्त शिक्षक व कर्मचारी भी नहीं हैं। जिसके कारण वहां के छात्रों को दूसरे संस्थानों में भेजा जा रहा है। अभी किसी पॉलिटेक्निक संस्थान को बंद करने का इरादा नहीं है।