नोएडा: बुधवार को सेक्टर-62, नोएडा में देश के पहला राष्ट्रीय संग्रहालय संस्थान का उद्घाटन मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडे़कर, संस्कृति राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. महेश शर्मा ने किया। इस मौके पर कुलाधिपति, राष्ट्रीय संग्रहालय संस्थान, डॉ. बी.आर. मणि, महानिदेशक, राष्ट्रीय संग्रहालय एवं कुलपति, राष्ट्रीय संग्रहालय संस्थान, आलोक टंडन, अध्यक्ष/मुख्य कार्यपालक अधिकारी, नोएडा विकास प्राधिकरण, डॉ. डी.एस. गंगवार, अपर सचिव एवं वित्त सलाहकार, संस्कृति मंत्रालय, नवनीत कुमार, अपर महानिदेशक, केंद्रीय लोक निर्माण विभाग, डॉ. प्रद्युम्नकुमार शर्मा, कुलसचिव, राष्ट्रीय संग्रहालय संस्थान, संकाय सदस्य, गैर-शैक्षणिक सदस्य, केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के अभियंता एवं कर्मचारी, अतिथिगण एवं विद्यार्थियों एवं भारी जन समूह मौजूद रहा।
राष्ट्रीय संग्रहालय संस्थान को सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1860 के अंतर्गत 27 जनवरी, 1989 को गठित एवं पंजीकृत किया गया। इसे 28 अप्रैल, 1989 को विश्वविद्यालयवत् का दर्जा प्रदान किया गया। यह संस्थान, अपनी स्थापना से अब तक, कला एवं सांस्कृतिक विरासत के क्षेत्र में प्रशिक्षण और अनुसंधान के लिए देश में एक अग्रणी केन्द्र रहा है। यह संस्थान राष्ट्रीय संग्रहालय परिसर के अन्दर स्थित है। इसका उद्देश्य छात्रों को कला और सांस्कृतिक विरासत की सर्वोत्कृष्ट कृतियों के साथ सीधे तौर पर रूबरू कराना और समूचे शिक्षण के लिए राष्ट्रीय संग्रहालय की सुविधाओं, जैसे प्रयोगशाला, पुस्तकालय, भंडारण/आरक्षित संग्रहण तथा तकनीकी सहायक खंडों तक आसानी से पहुँचाना है।
यह संस्थान राष्ट्रीय संग्रहालय नई दिल्ली के परिसर में वर्ष 1989 में शुरू किया गया था तथा उससे अगले ही वर्ष 1990 से तीन पाठ्यक्रमों अर्थात कला इतिहास, संरक्षण एवं संग्रहालय विज्ञान में एम.ए. एवं पीएच.डी. डिग्री की शैक्षणिक गतिविधियों की शुरूआत की ये वे पाठ्यक्रम हैं जिनका हमारे महान देश की विरासत से निकट संबंध है। इसके अतिरिक्त नए पाठ्यक्रमों की भी शुरूआत होने जा रही है। ये पाठ्यक्रम हैं पुरातत्व शास्त्र, संरचनात्मकसंरक्षण, संस्कृति एव विरासत प्रबंधन पुरालेख, लिपि शास्त्र एवं मुद्रा शास्त्र।
संस्थान की शैक्षणिक गतिविधियाँ दर्शाती हैं कि यह संस्थान अध्ययन करने के लिए विशेषज्ञों के सृजन, संरक्षित करने और विरासत की विभिन्न प्रकार की धरोहरों को प्रदर्शित करने के लिए चाहे वे मूर्त हो या अमूर्त हो, हमारे देश का प्रमुख शोध केन्द्र है। संस्थान आम जनता तथा कला प्रेमियों को देश की विरासत के बारे में परिचित कराने तथा ज्ञान के प्रसार के लिए प्रतिवर्ष 5 माह की अवधि के कला परिबोधन तथा भारतीय कला निधि (हिन्दी माध्यम) अल्प कालिक पाठ्य क्रम भी संचालित करता है। यह पाठ्यक्रम बहुत ही लोकप्रिय हैं।
अंत में संस्थान के कुलसचिव, डॉ. प्रद्युम्न कुमार शर्मा ने मंच पर उपस्थित सभी मंचासीनों, संकाय सदस्य, केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों, शोधार्थियों, छात्र/छात्राओं एवं संस्थान के कर्मियों एवं मीडिया का आभार प्रकट करते हुए बधाई दी।
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